वास्तव में मेरे जीवन का उसी समय अन्त हो गया था जब मैंने गाँधी जी पर गोली चलायी थी । मैं मानता हूँ कि गाँधी जी ने देश के लिए बहुत कष्ट उठाए । जिसके कारण मै उनकी सेवा के प्रति एवं उनके प्रति नतमस्तक हूँ, लेकिन इस देश के सेवक को भी जनता को धोखा देकर मातृभूमि के विभाजन का अधिकार नहीं था । मैं किसी प्रकार की दया नहीं चाहता हूँ । मैं यह भी नहीं चाहता कि मेरी ओर से कोई और दया की याचना करेँ । यदि अपने देश के प्रति भक्ति-भाव रखना पाप है तो मैं स्वीकार करता हूँ कि यह पाप मैंने किया है । यदि वह पुण्य है तो उससे उत्पन्न पुण्य पर मेरा नम्र अधिकार है । मुझे विश्वास है की मनुष्यों के द्वारा स्थापित न्यायालय से ऊपर कोई न्यायालय हो तो उसमे मेरे कार्य को अपराध नहीं समझा जायेगा । मैंने देश और जाति की भलाई के लिए यह कार्य किया है ! मैंने उस व्यक्ति पर गोली चलाई जिसकी नीतियो के कारण हिन्दुओ पर घोर संकट आये और हिन्दू नष्ट हुए ! मुझे इस बात में लेशमात्र भी सन्देह नहीं की भविष्य मे किसी समय सच्चे इतिहासकार इतिहास लिखेंगे तो वे मेरे कार्य को उचित आंकेगे । - नाथूराम गोडसे
भारत स्वाभिमान दल परिचय
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