Friday, May 18, 2018

गौरक्षक के लिए एक्शन और गौ-हत्यारे के लिए सब्सिडी? क्या यहीं हैं भाजपा की विकास नीति ?

गौरक्षक के लिए एक्शन और गौ-हत्यारे के लिए सब्सिडी???
क्या यही हैं भाजपा की विकास नीति ?
हिन्दुस्थान में गौरक्षा की बात बड़े-बड़े महात्माओं, संतों, समाजसेवैियों, राजनेताओं और क्रान्तिकारियों ने की है, आगे बढ़कर समर्थन भी किया है । छत्रपत्रि शिवाजी महाराज, गुरू गोविन्द सिंह, रामसिंह कूका, गोकुल सिंह, महाराणा प्रताप, सुहेलदेव, स्वामी दयानंद सरस्वती, देवराहा बाबा, संत रविदास, मंगल पाण्डेय, चौधरी हरफूल, लाला लाजपतराय, श्यामजीकृष्ण वर्मा, मदनमोहन मालवीय, वीर सावरकर, महात्मा आनन्द स्वामी, श्रीराम शर्मा आचार्य आदि अनेक संत-महापुरुषों ने गो-संरक्षण हेतु अथक प्रयास भी किये ।
लेकिन वर्तमान में प्रधानमन्त्री मोदी ने काफी कठोर शब्दों का प्रयोग किया है गौरक्षकों के संदर्भ में । उन्होंने बिना किसी गुंजाइश के सभी गौरक्षकों को लपेट दिया, वो भी उन्हें जिन्होंने गायों को बचाने के लिए अपनी जानें दी हैं।
गौ रक्षको में से 80 - 90% लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की पृृष्ठभूमि के है, गौ रक्षा करते हुए 200 से अधिक गौ रक्षक गौ रक्षा करते हुए मारे जा चुके है, फिर भी बिना ठोस आधार के मोदी ने 80% गौ रक्षको को गुण्ड़ा बता दिया ?
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) ने 2015 में जो डाटा दिया था, उसके अनुसार, 'आठ करोड़ भारतीय बीफ या भैंस का मांस खाते हैं। उनमें छह करोड़, 34 लाख मुसलमान, और सवा करोड़ हिंदू बीफ या बफेलो खाते हैं। एनएसएसओ के अनुसार कुल मुस्लिम आबादी का 40 प्रतिशत बीफ या बफेलो का मांस खाते हैं, उसके अलावा साढ़े छब्बीस फीसदी ईसाइयों की फुड हैबिट यही है।
पशु कल्याण के लिए सरकार ने 1962 में 28 सदस्यीय एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (एडब्ल्यूबीआई) का गठन किया था जिसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के जरिये फंड भेजा जाता है। 2011-12 में एडब्ल्यूबीआई के लिए 21.7  करोड़ रुपये का आबंटन हुआ था, 2015-16 में यह राशि घटकर 7.8 करोड़ हो गई है। देश भर में चार हजार से अधिक गौशालाओं में साढ़े तीन करोड़ गौवंश हैं। एडब्ल्यूबीआई के चेयरमैन, डॉ. आर.एम. खर्ब के मुताबिक, 'एक गाय पर रोज का ख़र्चा कम से कम सौ रुपये है, मगर केंद्र सरकार से जो अनुदान राशि मिल रही है, उससे गौशालाओं में संरक्षित एक गाय के हिस्से साल में सिर्फ दो रुपये आते हैं।' यह है गाय पर राजनीति करने वाली सरकार का असली चेहरा!
इसके ठीक उलट सरकार ने देश भर के कसाईघरों को आधुनिक बनाने के वास्ते 2002 में दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत 5 हजार 137 करोड़ की राशि का आबंटन किया था, ताकि बीफ  एक्सपोर्ट में हम पीछे न रह जाएं। देश का दुर्भाग्य है कि कसाईघरों के आधुनिकीकरण पर हम हजारों करोड़ खा रहे हैं, मगर पशुओं के संरक्षण के वास्ते सरकार के खजाने में पैसे नहीं हैं।
मोदी_सरकार आने के बाद पहला बजट में पास किया गया जिसमे कत्लखाने खोलने के लिए 15 करोड़ सब्सिडी प्रदान की जाती है ।
2014 में  4.8 अरब डॉलर का बीफ एक्सपोर्ट हुआ था । 2015 में भी भारत, 2.4 मिलियन टन बीफ एक्सपोर्ट कर दुनिया में नंबर वन बन गया।
गाय के नाम पर वोट पाने वाली सरकार गाय के लिए क्या कर ही है ये उपर्युक्त आँकड़े से स्पष्ट है । हजारों कसाई लाखों गायों को हर साल काट रहे हैं उन्हें गुंडा नहीं बोला गया । सरकार को एक सर्वे करवाकर यह पता लगाना चाहिए कि कौन सी ‘दुकानें' ऐसी हैं जो गौरक्षा के नाम पर गाय का मांस बेच रही हैं।
भाजपा शासित राज्यों में अब गौ रक्षकों पर लगाम कसा जाएगा।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 23 अगस्त को राज्य संगठन और 27 अगस्त को पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली बैठक में इस मामले पर गंभीर विचार-विमर्श करैंगे।
भाजपा का कहना है कि गोरक्षा के नाम पर विभिन्न राज्यों में हुई घटनाओं में हिंदू महासभा, शिवसेना सहित कई ऐसे संगठनों के नाम सामने आए है ।
गौरक्षा पर पीएम के बयान से गौरक्षक और संत समाज नाराज है। काशी सुमेरु पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रांनद सरस्वती जी ने कहा, 'क्यों प्रधानमंत्री नहीं देख सकते कि दिल्ली के पाँच सितारा होटलों में गाय का मांस बिक रहा है? पंजाब में गाय के स्तनों में हवा और दूध ठूंसा जा रहा है, क्या प्रधानमंत्री को यह नहीं दिखता ? एक तरफ, उनकी अंतरात्मा कहती है कि गौशालाओं को बंद नहीं किया जाएगा और अब प्रधानमंत्री कहते हैं कि गौरक्षा के नाम पर चल रही दुकानों को बंद किया जाना चाहिए। यह गायों का देश है और उनकी रक्षा होनी ही चाहिए। प्रधानमंत्री का बयान आपत्तिजनक है और गायों की हत्या को बढ़ावा देता है। गौरक्षा करनेवाले दुकानें नहीं चलाते। वे गायों की रक्षा के लिए अपनी जान तक बलिदान कर देते हैं।'
हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि'पीएम ने किस आधार पर 80 फीसदी गौरक्षकों को गुंडा करार दिया है। इसके लिए वो पीएम को लीगल नोटिस भेजेंगे।' वहीं हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रेसीडेंट चंद्रप्रकाश कौशिक ने कहा कि 'नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के काबिल ही नहीं है। वह वाजपेयी की तरह उसी तरह लौटेंगे जिस तरह वह 2004 में लौटे थे ।
'भारत स्वाभिमान दल' ने गौ रक्षकों की गुण्डा गर्दी को जड़ मूल से समाप्त करने के संबंध में माननीय प्रधान मंत्री महोदय जी को खुला पत्र जारी करते हुये लिखा कि-
"माननीय प्रधान मंत्री जी, आप वास्तव में गौमाता की दुर्दशा से परेशान हैं और गौहत्या के नाम पर देश भर में होने वाली राजनीति को समाप्त करना चाहते हैं तो आप केन्द्र सरकार के माध्यम से गौहत्या विरोधी केन्द्रीय कानून बनाकर देशभर में कठोरता से लागू भी करवा दीजिये, जिससे कि फ़र्ज़ी गौरक्षकों की दुकानें भी बन्द हो जायें और असली गौरक्षकों को कसाइयों से संघर्ष में अपनी जान की बाज़ी भी ना लगानी पड़े.......
और हाँ, जैसा कि आपने कहा कि गन्दगी व कूड़ा-प्लास्टिक से गायों की जान जाती है, तो गौमाता की ऐसी दुर्गति की नौबत ही ना आये, ऐसी सामाजिक सहभागिता के साथ कुछ व्यापक योजनाएँ बनाकर गौवंशों का सदुपयोग किया जाये, गौवंश को अर्थव्यवस्था से कैसे जोड़ा जाये, इस पर केन्द्रीय गौवश मन्त्रालय का गठन कर गंभीरतापूर्वक विचार कर शीघ्रतिशीघ्र प्रयास कीजिये....
कल गौमाता के प्रति चिन्ता व्यक्त करते समय यदि आप अपनी सरकार के प्रतिनिधियों, सांसदों और भाजपाइयों को भी उनके आसपास के क्षेत्रों में दुर्दशा की शिकार गौवंशों की ओर देखने का भी निर्देश देते तो ज्यादा बेहतर होता...., क्योंकि राजनेताओं, प्रशासन तथा हिन्दू समाज की शर्मनाक व दर्दनाक उपेक्षा के कारण ही आज गौमाता सड़कों पर कूड़ा-प्लास्टिक खाने या गौशालाओं में चारे और देखभाल के अभाव में भूख से तड़पने के लिये मजबूर हैं......
80%गौ रक्षक फर्जी होते है उनका डोजियर तैयार करो उनमें अधिकतर रात में असामाजिक काम करते है - आदरणीय प्रधानमन्त्री जी, नकली गौ रक्षको का डोजियर तैयार होना ही चाहिये, साथ ही 99.9% नेता भ्रष्ट होते है उनका डोजियर भी तैयार करा दीजिये, उनमें अधिकतर बलात्कारी, भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी, गद्दार, देशद्रोही, गुंडे, माफिया और गौ मांस भक्षक होगें। कृपया नकली गौ रक्षको के साथ उनको भी जेल में डालों ।
मान्य प्रधानमन्त्री जी, गौ रक्षा कानून ही बना दो ना ताकि ये असामाजिक तत्व व फर्जी गौ रक्षक अपने आप ही समाप्त हो जाए। पर क़ानून सिर्फ किताबी न हो उस का कठोरता से पालन भी किया जाए।
'गुजरात में विश्व हिन्दू परिषद ने प्रेस नोट जारी करते लिखा कि '1 लाख से ज्यादा गायों का क़त्ल हो रही है, बावजूद कड़ा कानून नहीं है। गौरक्षक गुंडों के वेश में आते हैं, इस बयान से गौरक्षकों को सदमा लगा है। एक लाख गायों को हत्या करने वाले कसाई गुंडे नहीं और गौरक्षक गुंडे ? हिन्दू समाज को आपका यह परिवर्तन समझ में नहीं आ रहा। गायों को प्लास्टिक खाने से रोकने के लिए आपकी सरकारों के मुख्यमंत्रियों ने क्या किया? अगर 80% गौरक्षक फर्जी हैं तो आपके 10 साल के शासन में आपने न्यायिक प्रक्रिया के तहत कितने लोगों को दंड दिया?'
जब सत्ता में बैठे लोग कानून और संविधान की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं और ढिलाई बरतते है तो गोरक्षक को तो आगे आना ही पड़ेगा । स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि गोरक्षक का नाराज होना जायज है जब गाय की हत्या की जाए,उसे गाड़ियों में मारकर ले जाया जाए। अगर गाय को लेकर सख्त कानून बन जाये तो प्रदेश में इसकी स्मगलिंग को रोका जा सकता है। 
गाय के नाम पर भाजपा के लिए वोट माँगने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी के सुर में सुर मिलाया ।
भारत में प्रतिदिन लगभग 50 हजार गायें बड़ी बेरहमी से काटी जा रही हैं । 1947 में गोवंश की जहाँ 60 नस्लें थीं, वहीं आज उनकी संख्या घटकर 33 ही रह गयी है । हमारी अर्थव्यवस्था का आधार गाय है और जब तक यह बात हमारी समझ में नहीं आयेगी तबतक भारत की गरीबी मिटनेवाली नहीं है । गोमांस विक्रय जैसे जघन्य पाप के द्वारा दरिद्रता हटेगी नहीं बल्कि बढ़ती चली जायेगी । गौवध को रोकें और गोपालन कर गोमूत्ररूपी विषरहित कीटनाशक तथा दुग्ध का प्रयोग करें । गोवंश का संवर्धन कर देश को मजबूत करें । भारतीय गायों के मूत्र में पूरी दुनियाँ की गायों से ज्यादा रोगप्रतिरोधक शक्ति है । ब्राजील और मेक्सिको में भारत के गोवंशों को आदर्श माना जाता है । वे भारतीय गोवंश का आयात कर इनसे लाभान्वित हो रहे हैं । यदि कार्यपालिका,विधायिका व न्यायापालिका अपने स्तर पर गायों को संरक्षित करने की पहल करें तो लोग कानून को हाथ में लेने की कोशिश नहीं करेंगे । अतः समस्या को समाधान करने की कोशिश होनी चाहिए न कि गंदी राजनीति के द्वारा केवल सत्ता हथियाने की कोशिश । यदि यही नीति जारी रही तो जनता को जबाव देने भी आता है ?
अतः सरकार जल्द से जल्द गौ माता की रक्षा के लिए गौवंश मन्त्रालय व कानून बनायें । जिससे सारे झगडें खत्म हो जाये ।

मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा

No comments:

Post a Comment