Friday, May 18, 2018

मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा





'Pink Revolution' in India'
भारत ब्रिटिश काल में ही दुनिया के मीट उद्योग का बड़ा चेहरा बन गया था परंतु स्वतंत्रता के बाद काले अंग्रेज़ो के हाथ में सत्ता आते ही यह एक पूर्ण व्यवसाय के रूप में स्थापित हुआ। वर्ष 2009 में भारत ने मीट उद्योग में मानो एक छलांग लगायी और बड़े स्तर पर कत्लखानों को परमिट बांटे गए जहां दिन में लाखों गाय/भैंस कटने लगी। इस बड़ी छलांग को 'Pink Revolution' या मीट क्रांति की उपाधि दी गयी। मात्र 5 वर्षो में ही 2014 में भारत विश्व का सबसे बड़ा बीफ निर्यातक बन गया। वर्ष 2014 में भारत ने 2 मिलियन टन मीट का निर्यात किया और कुल वैश्विक उत्पाद के 20% हिस्से का मालिक बन गया। वर्ष 2014-15 में भारत ने ऊँची छलांग लगायी और 2.4 मिलियन टन बीफ का निर्यात कर विश्व में अपनी बादशाहत कायम रखी। अब भारत के पास बीफ उद्योग में 23.5% की कुल साझेदारी हो गयी। यदि आंकड़ो पर ध्यान दे तो साल 2009 से लेकर वर्ष 2015 तक प्रति वर्ष बीफ निर्यात में 14% की वृद्धि दर्ज हुई है। यही समय था जब भारत के बुद्धिजीवी संगठित हुए और गौ रक्षा हेतु अनेकों संगठनों ने कमर कसी जिसमें विश्व हिन्दू परिषद/बजरंग दल का सबसे प्रमुख योगदान रहा। निडर गौरक्षकों की महनत रंग लायी और पूरे भारत वर्ष में 2015-16 में प्रति दिन के हिसाब से औसतन 60 हज़ार गौवंश को बचाया गया। भारत की बीफ इंडस्ट्री पर यह सबसे बड़ा हमला था। 2014-15 में जहां भारत 2.4 मिलियन टन बीफ निर्यात कर रहा था वही 2015-16 में यह निर्यात घट कर 2 मिलियन टन से भी नीचे आ गया। भारत को पछाड़ ऑस्ट्रेलिया विश्व का सबसे बड़ा बीफ निर्यातक बन गया। गौरक्षो के चलते बीफ निर्यातकों को अरबों रूपये का घाटा झेलना पड़ा। यह वही व्यापारी समूह है जो सरकार को मोटी रिश्वत देता है।
क्या है बीफ का धंदा, एक नज़र -
भारत में एक स्वस्थ गौवंश से औसतन 714 पौंड बीफ निकलता है जो लगभग 314 किलो हुआ। कलकत्ता की मंडी में गौमांस 122 रूपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध है तो समझे की यदि एक स्वस्थ गाय को काटा जाये तो उससे 38327 रूपये का मांस मिलेगा। यह वही गाय/गौवंश है जिसे कसाई 18-20 हज़ार में खरीदते है। यदि मोटा-मोटा समझे तो प्रति गाय के कटान से इन्हें 20 हज़ार रूपये का फायदा होता है। आपको सुनकर झटका लगेगा कि कलकत्ता की बीफ मंडी में 122 रूपये की दर से बिकने वाला मीट जब अमेरिका पहुँचता है तो उसकी कीमत 122 रूपये से बढ़ कर लगभग 4 डॉलर यानी 300 रूपये हो जाती है। अथार्त एक गाय जो भारत में कसाई ने मात्र 18-20 हज़ार रूपये में खरीद कर काटी उसकी कीमत अमेरिका पहुँचते ही 94200 रूपये हो जाती है। वैसे बताने की आवश्यकता नहीं की बीफ निर्यात में भारत के सबसे बड़े उद्योग घराने एवम् राजनेता ही है जिन्होंने अपनी ऊँची पहुँच के चलते बीफ निर्यात के परमिट हासिल किये है।
वर्ष 2023 में भारत की आधी जनता को दूध नहीं होगा नसीब - यदि इसी दर से बीफ एक्सपोर्ट बढ़ता रहा तो अगले सात साल में ही भारत के लगभग 40% दुधारी पशु कम हो जायेगे और भारत में दूध नसीब होना केवल अमीरों के भाग्य में ही होगा।
भारत में गौ संरक्षण कानून-
भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 में स्पष्ठ रूप से सरकार को गौवंश के संरक्षण हेतु कठोरता से निर्देशित किया गया है। इसका बाद भी मात्र 25 राज्यो ने ही गौरक्षा कानून बनाये। भारत के 29 राज्यो में से 10 राज्यों में गौकशी वैध है, उत्तरपूर्व के 7 राज्य, बंगाल, तमिल नाडु एवम् असम। भारत में हर राज्य में गौरक्षा का अलग कानून है परंतु गौवंश को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने पर जिलाधिकारी कार्यालय की मंजूरी आवश्यक है। अगर सच कहूँ तो भारत के गौरक्षा कानून में कोई कमी नहीं पर जब इसे लागू करने की बात आती है तो कहीं पुलिस बिक जाती है कहीं सरकार ऐसे में गौमाता को बचा पाना लगभग असंभव है। विवश होकर बजरंग दल जैसे हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों को यह बीड़ा उठाना पड़ता है।
अब यह मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूँ कि क्या सच में मोदी जी के इन बीफ निर्यातक दोस्तों के गुलाबी धंदे को बचाने के लिए हम इनका विरोध बंद कर दे! हम समाज का काम करते है और यदि समाज ही सच्चे गौभक्तों को अपराधी और गुंडा कहे तो हमारा जीवन ही व्यर्थ होगा।
साभार
अमित तोमर (अधिवक्ता)
देहरादून
सभी आंकड़े USDA (United States Department of Agriculture) जो बीफ उद्योग की एक मात्र सर्वे करने वाली संस्था से लिए गए है।
(प्रार्थना - सत्ता की दलाली में इतने अंधे मत हो जाओ की धर्म भी दिखाई न दें।)


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