*मोदी सरकार द्वारा मांस निर्यात को दिए प्रोत्साहन के नतीजे
सामने आए व 2014-15 में मीट निर्यात से होने वाली आय में 14 फीसद की बढ़ोतरी
हुई।*
*बीफ (गोमांस) को लेकर भाजपा चाहे कितना भी हल्ला
मचाए पर सच यह है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद न केवल मांस का
निर्यात बढ़ा है बल्कि नए बूचड़खाने खोलने व उनके आधुनिकीकरण के लिए 15 करोड़
रुपए की सबसिडी दी रही है। सबसे अहम बात तो यह है कि भले ही हिंदूवादी
संगठन धार्मिक आधार पर इसका विरोध कर रहे हों पर सच्चाई यह है कि देश के
सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू हैं।*
*भाजपा सरकार ने
पहले महाराष्ट्र में गणेश पूजा के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा कर
विवाद खड़ा किया था। फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गोमांस की अफवाह के बाद
जिस तरह से एक परिवार पर हमला करके उसके एक सदस्य की हत्या कर दी गई उसने
बिहार विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बना दिया। लालू प्रसाद ने गोमांस पर
जो बयानबाजी की उससे विवाद और गहरा गया है। संयोग से इसी बिहार में 2014 के
लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने नवादा की सभा में
तत्कालीन यूपीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे।*
*उन्होंने
तब कहा था कि मनमोहन सिंह सरकार हरित क्रांति की जगह गुलाबी क्रांति (मांस
उत्पादन) पर ज्यादा जोर दे रही है। वह मांस उत्पादकों को सबसिडी व टैक्स
में छूट दे रही है।*
*पर जब मोदी की सरकार बनी तो उसने
मांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए बूचड़खाने स्थापित करने व पुरानों के
आधुनिकीकरण के लिए अपने पहले बजट में 15 करोड़ रुपए की सबसिडी का प्रावधान
कर दिया। इसके नतीजे सामने आए और पहली बार देश को बासमती चावल की तुलना में
कहीं ज्यादा आय मांस के निर्यात से हुई है। उसने पिछले साल 4.8 अरब डालर
की विदेशी मुद्रा अर्जित की।*
*आम धारणा यह है कि मांस का
व्यापार गैरहिंदू विशेषकर मुसलमान करते हैं पर तथ्य बताते हैं कि देश के
सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू है। ये हैं – अल कबीर एक्सपोर्ट (सतीश और
अतुल सभरवाल), अरेबियन एक्सपोर्ट (सुनील करन), एमकेआर फ्रोजन फूड्स (मदन
एबट) व पीएमएल इंडस्ट्रीज (एएस बिंद्रा)।*
*चौंकाने वाला
तथ्य यह है कि मोदीजी के गृह राज्य गुजरात में जहां एक ओर नशाबंदी लागू है,
वहीं नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद मांस का उत्पादन काफी बढ़ गया।
उनके सत्ता में आने के पहले गुजरात का सालाना मांस निर्यात 2001-2 में
10600 टन था जो कि 2010-11 में बढ़कर 22000 टन हो गया।*
*मोदी
सरकार द्वारा मांस निर्यात को दिए प्रोत्साहन के नतीजे सामने आए व 2014-15
में मीट निर्यात से होने वाली आय में 14 फीसद की बढ़ोतरी हुई। देश ने चाहे
और किसी क्षेत्र में अपना नाम भले ही न कमाया हो पर वह दुनिया का सबसे बड़ा
मांस निर्यातक बन गया है। हालाकि बीफ का मतलब गोमांस होता है। भैसों का
मांस भी बाहर भेजा जाता है। आमतौर पर बूढ़े बैलों को काटने की अनुमति है।*
*देश
में असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल में सरकार की अनुमति लेकर व अरुणाचल
प्रदेश, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम व त्रिपुरा में बिना किसी
अनुमति के गाय भी काटी जा सकती है। इसकी एक ही शर्त है कि उसकी उम्र 10 साल
से कम नहीं होनी चाहिए।*
*वर्ष 2014-15 के दौरान भारत ने
24 लाख टन मीट निर्यात किया जो कि दुनिया में निर्यात किए जाने वाले मांस
का 58.7 फीसदी हिस्सा है। विश्व के 65 देशों को किए गए इस निर्यात में सबसे
ज्सादा मांस एशिया में (80 फीसद) व बाकी अफ्रीका को भेजा गया। वियतनाम तो
अपने कुल मांस आयात का 45 फीसद हिस्सा भारत से मंगवाता है।*
*दूसरा नंबर ब्राजील का है जिसने 20 लाख टन निर्यात किया जबकि ऑस्ट्रेलिया 15 लाख टन निर्यात करके तीसरे नंबर पर रहा।*
*भारत के पहले नंबर पर आने की वजह यह है कि यहां का मांस सस्ता होता है क्योंकि यहां दूध न देने वाले या बूढ़े गोवंश को काट देते हैं, जबकि ब्राजील व दूसरे देशों में मांस के लिए ही जीवों को पाला जाता है जिन्हें खिलाने का खर्च काफी आ जाता है।*
*जहां
दुनिया को बीफ का निर्यात कर भारत मोटा मुनाफा कमा रहा है वहीं देश में
इसकी खपत में कमी आई है। इसकी जगह मुर्गों की खपत बढ़ी है। अहम बात यह है कि
मुस्लिम बहुय जम्मू-कश्मीर में बीफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है।*
*राजनीति से अलग धननीति:*
*राजग
की सरकार ने मांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए बूचड़खाने स्थापित करने व
पुरानों के आधुनिकीकरण के लिए अपने पहले बजट में 15 करोड़ रुपए की सबसिडी
का प्रावधान कर दिया। ’इसके नतीजे सामने आए और पहली बार देश को बासमती चावल
की तुलना में कहीं ज्यादा आय मांस के निर्यात से हुई है। उसने पिछले साल
4.8 अरब डालर की विदेशी मुद्रा अर्जित की। ’वर्ष 2014-15 के दौरान भारत ने
24 लाख टन मीट निर्यात किया जो कि दुनिया में निर्यात किए जाने वाले मांस
का 58.7 फीसद है।*
- विवेक सक्सेना
जनसक्ता समाचार पत्र से साभार
मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा
जनसक्ता समाचार पत्र से साभार
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