Wednesday, November 30, 2016

भीम राव आंबेडकर से सम्बंधित कुछ प्रमुख तथ्य ।

भीम राव आंबेडकर से सम्बंधित कुछ प्रमुख तथ्य ।
1. भीमा ने प्रिंसिपल को यह सूचित किया था कि गणित विषय में मैं कमजोर होने के कारण इस नवंबर 1980 की परीक्षा में नहीं बैठूँगा। इस कारण उसका एक साल व्यर्थ गया। (कालेज रिकार्ड)
2. सन् 1909 में प्रीवियस में 600अंकों में 223 अंक प्राप्त हुए,मतलब 31.90% सन् 1910 की इंटरमीडियेट परीक्षा में भीमराव की विषयानुसार अंक-सूची निम्न प्रकार से हैः—
अंग्रेजी फारसी गणित तर्कशास्त्र
कुलअंक 200 100 200 100
उत्तीर्ण होने के
लिए आवश्यक अंक 60 30 60 30
प्राप्त अंक 69 52 60 42
(एल्फिंस्टन कॉलेज रिकार्ड फाइल्स Inter 1909, Elphinstone College,BombayPersian and English)
कुल=223/600 =37.16%
3. B.A, 1913, Elphinstone College, Bombay, University of Bombay, Economics & Political Science
scored 449 marks out of 1000.means 44.90%.
इसी तरह
अम्बेडकर को मेधावी कहने वाले छुपाते हैं कि 1913 में PG करने गए तो 1917 में Ph.D. कर लेते, किन्तु 1927 में Ph.D. की डिग्री ले पाए -- तीसरी थीसिस पर !! अंग्रेजों का क़ानून भारत पर थोपा -- यही "मेधा" थी |मूर्खों को मिर्ची लगेगी तो लगे, सत्य तो सत्य ही रहेगा |अम्बेडकर अमरीका की कोलम्बिया विश्वविद्यालय 1913 में गए जहाँ उन्होंने जून 1915 में MA की अर्थशास्त्र में डिग्री ली ; उन्होंने अपनी "थीसिस" प्रस्तुत की " Ancient Indian Commerce" पर | विकिपीडिया ही बतलाता है कि उनकी दूसरी "थीसिस" 1916 ईस्वी में "National Dividend of India-A Historic and Analytical Study" पर थीसिस लिखी जिसपर केवल MA की मान्यता मिली और PhD की डिग्री 1927 में मिली !! क्या अर्थ है ?
अमरीका में PhD की डिग्री नहीं मिली तो वे 1916 में ही इंग्लैंड चले गए और बार कौंसिल में घुसने का असफल प्रयास किया एवं महाराज गायकवाड द्वारा दुबारा चार वर्षों की छात्रवृति लेने के बाद "doctoral thesis" ('The problem of the rupee: Its origin and its solution') पर लन्दन में कार्य आरम्भ किया जो उन्होंने 1921 में संपन्न किया और इस "डॉक्टरल थीसिस" पर पुनः केवल MA की डिग्री ले सके !!
1923 में अम्बेडकर को "D.Sc." (Doctor of Science) की उपाधि दी गयी जो लन्दन विश्वविद्यालय ने 1860 में देना आरम्भ किया किन्तु तेरह दशकों के बाद बन्द कर दिया | इंग्लैंड में इस डिग्री के बारे में पढ़ें :--
https://en.wikipedia.org/wiki/
Doctor_of_Science#The_United_Ki
ngdom.2C_Ireland.2C_India_and_
the_Commonwealth

1923 तक अम्बेडकर महोदय न तो कहीं से Ph.D. कर पाए थे और न ही अंतर्राष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में उनके शोध पत्र ही प्रकाशित हुए थे | अतः स्पष्ट है कि उनको D.Sc. की डिग्री किसी शोध कार्य के लिए नहीं बल्कि उनके "दलित" सम्बन्धी हिन्दू-विरोधी "महान" विचारों के कारण मिली जो अंग्रेजों को राजनैतिक कारणों से पसन्द आये ! उल्लेखनीय है कि उसी साल उनको लन्दन बार कौंसिल ने भी मान्यता दी, उससे पहले सात सालों तक लन्दन बार कौंसिल ने उनको लायक नहीं समझा ! लन्दन विश्वविद्यालय ने अपने पूरे इतिहास में केवल तीन व्यक्तियों को इतनी कम अवस्था में D.Sc. की डिग्री दी - अम्बेडकर तब केवल 32 वर्ष के थे, और यदि इसपर ध्यान दे कि अम्बेडकर ने Ph.D. भी नहीं की थी तो ब्रिटेन के पूरे इतिहास में बिना Ph.D. के इतनी अल्पावस्था में D.Sc. की डिग्री लेने वाले वे अकेले व्यक्ति थे ।
1927 में अमरीका की कोलम्बिया विश्वविद्यालय ने उनकी 1916 ईस्वी की थीसिस पर ही उनको Ph.D. की डिग्री दे दी जिसपर 1916 में Ph.D. से इनकार करके केवल MA की डिग्री दी गयी थी | इन सारी उपाधियों की जड़ थी 1916 वाली थीसिस "National Dividend of India-A Historic and Analytical Study" जिसका "क्रान्तिकारी" राजनैतिक महत्त्व समझने में अंग्रेजों को सात साल लगे और अमरीका को 11 साल लगे जब अंगेजों ने अमरीकियों को भी अक्ल दी |
1952 ईस्वी में उसी कोलम्बिया विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की दूसरी डिग्री LL.D. दी किन्तु बिना किसी थीसिस के -- | बहुत कम लोगों को पता है कि भारत के संविधान-निर्माण में अम्बेडकर के केवल दो ही वास्तविक योगदान हैं -- अनुच्छेद 15 - 17 में छूआछूत तथा आरक्षण पर उनके मत को जुडवाने में | भारतीय संविधान का दो-तिहाई तो राऊ साहब ने लिखा जिन्होंने 1935 का गवर्नमेन्ट ऑफ़ इन्डिया एक्ट मामूली फेरबदल के साथ कॉपी-पेस्ट कर दिया -- चूँकि भारत आजाद हो चूका था, पाकिस्तान बन चुका था, रजवाड़ों की भूमिका बदल चुकी थी, अतः 1935 के एक्ट में थोड़ा फेर-बदल अनिवार्य हो गया था, अन्यथा अंग्रेजों के 1935 एक्ट को ही आजाद भारत का संविधान का आधार बनाया गया जिसमें एक तिहाई अन्यान्य अनुच्छेदों को व्यापक बहस के बाद अन्य सदस्यों ने जुड़वाये | अतः यह प्रचार कि अम्बेडकर संविधान के "निर्माता" हैं बिलकुल झूठ है और इस झूठ का आरम्भ पश्चिमी ताकतों ने अम्बेडकर को महिमामंडित करने के लिए किया जिसका प्रमाण है कोलम्बिया विश्वविद्यालय द्वारा LL.D. की मानद डिग्री का उपरोक्त कारण | तत्पश्चात 1953 ईस्वी में उन्हें हैदराबाद की ओस्मानिया विश्वविद्यालय ने भी बिना किसी थीसिस के D.Litt. की मानद उपाधि दी -- उस विश्वविद्यालय की स्थापना हैदराबाद के निज़ाम के नाम पर निजामशाही के तहत हुई थी और विश्व में सर्वप्रथम उर्दू के माध्यम से शिक्षा का शुभारम्भ उसी विश्वविद्यालय ने किया था (अब सेक्युलर लोग भी वहाँ घुस गए हैं, पहले केवल "शान्तिदूतों" का ही कब्जा था जिन्होंने भारतीय फौज के विरुद्ध 1948 में हथियारबन्द संघर्ष में रजाकारों का साथ दिया था जिनके सरगना के वकील के पुत्र हैं ओवैसी महोदय ; रजाकारों के सरगना तो सरदार पटेल द्वारा भेजी गयी भारतीय फ़ौज से हारने के बाद पाकिस्तान भाग गए, ओवैसी को छोड़ गए ।
20 सालों के झूठे प्रचार के कारण अब तो ऐसा वातावरण बन गया है कि RSS  भी अम्बेडकर को वीर सावरकर और गोलवलकर के समकक्ष बिठाने में जुट गए है।
सबसे प्रमुख बात तो ये है मेरे भाइयो की ये डिग्री की जद्दोजहद उस समय बाबा साहब कर रहे थे जब लाखो लाखो भारतीयो ने अपने अंग्रेजी डिग्रीयां जला के राख़ कर दी। उपाधिया वापस कर दी।वीर सावरकर ने बैरिस्टर की डिग्री को सिर्फ इसलिए ठोकर मार दी थी की उसे ब्रिटिश महारानी के आगे घुटनों के बल झुक के लेना था।
अरविन्द घोष ने आईसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद भी अंग्रेजों के अधीन काम करना अपने स्वाभिमान के विपरीत समझा और आफिसर की पोस्ट पर लात मार दी। गोलियों और लाठियो की बरसात झेल रहे थे।
आज भी मैं बता दू भारत वर्ष में सबसे जादा डिग्री 1954 में जन्मे श्रीकांत जिजकर जी के पास है। मै यही समझता हूँ की डिग्री से कोई न तो महान बना है और न बन पायेगा। Mark Zuckerberg, Paul Allen, steave jobs, Michael Dell, Larry Ellison, Bill Gates, The Wright Brothers, Thomas Edison, Ramanujan, huxlay, alexender Fleming ये लोग बिना डिग्री के महान बने।
जय हिन्द जय भारत।

ये देश अंग्रेजों के ज़माने से ज्यादा गुलाम है

 🚩 🙏 *।।वन्दे मातरम्।।* 🙏 🚩
*ये देश अंग्रेजों के ज़माने से ज्यादा गुलाम है*

*स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता श्रीराजीव दीक्षितजी*

*मैं मेरी बात यहाँ से शुरू कर रहा हूँ कि इस देश में कोई आजादी नहीं आयी है। ये मेरे दिल का दर्द है। इस देश में कोई आजादी आई नहीं है ये देश अभी भी उतना ही गुलाम है जितना की अंग्रेजों के ज़माने में था। और कई बार मैं इस बात को एक कदम आगे जा के कहता हूँ कि ये देश अंग्रेजों के ज़माने से ज्यादा गुलाम है। देश की व्यवस्थाएं अंग्रेजों के ज़माने से ज्यादा गुलाम हैं। तो (प्लानिंग) के तीन चरण निर्धारित किए गए थे।*

*पहला चरण ये है सबसे पहले हिन्दुस्तान की व्यवस्था को खलास किया जाए और जो बात ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में चल रही है वो ये चल रही है की (इंडियन इकनोमिक सिस्टम) को (कोलाप्स) करा दिया जाए और (इंडियन इकनोमिक सिस्टम) जब (कोलाप्स) हो जायेगा तो हिन्दुस्तान के व्यापारी, हिन्दुस्तान के उद्योगपति, हिन्दुस्तान के पूंजीपति, सब खलास हो जायेंगे और ये व्यापारी, पूंजीपति, उद्योगपति अगर खलास हो जायेंगे हिन्दुस्तान में तो हमारी ईस्ट इंडिया कंपनी का माल हिन्दुस्तान के गाँव– गाँव में बिकने लगेगा और इस (डिबेट) को चलाते हुए बिलवर फ़ोर्स कह क्या रहा है एक मजेदार बात। बिलवर फ़ोर्स कह रहा है की हमको हिन्दुस्तान में फ्री ट्रेड करना है तो एक (एम् पी) पूछ रहा है उससे  “वाट डू यू मीन बय फ्री ट्रेड” तो बिलवर फ़ोर्स कह रहा है फ्री ट्रेड माने ब्रिटिश सामान का हिन्दुस्तान के गाँव – गाँव में बिकना, ब्रिटेन के माल का हिन्दुस्तान के बाज़ार में भर जाना और ब्रिटेन के माल का हिन्दुस्तानी लोगों द्वारा ज्यादा से ज्यादा उपभोग करना। ये है फ्री ट्रेड!*

*इसके दुसरे भाग में बिलवर फ़ोर्स इस फ्री ट्रेड की व्याख्या देते हुए एक और बात कह रहा है कि ये जो फ्री ट्रेड चलेगा इसमें एक चीज़ और होनी चाहिए कि हिन्दुस्तान में बहुत अच्छा कच्चा माल है जो इंग्लैंड में नहीं है जैसे कपास का कच्चा माल, स्टील का कच्चा माल, लोहे का कच्चा माल, और भी तमाम तरह का कच्चा माल तो वो कह रहा है कि कुछ इस तरह का फ्री ट्रेड चलना चाहिए कि जिससे हिन्दुस्तान का कच्चा माल ब्रिटेन में आना शुरू हो जाए और उस कच्चे माल के लिए हमको एक नया पैसा खर्च करना ना पड़े और उस कच्चे माल से हम सामान बनाएं और वापस भारतीय बाज़ार में ले जाकर बचें तो ये (डिबेट कंक्लुड़) हो रही है, (डिबेट) को (इम्प्लेमेंट) करने के लिए (पॉलिसीस) बनाई जा रही हैं और वो (पॉलिसीस) क्या बन रही हैं।*

*पहली (पालिसी) बनी है और ईस्ट इंडिया कंपनी को (चार्टर इशू) किया गया है। ये ईस्ट इंडिया कम्पनी जब आई है तो २०-२० साल के (चार्टर) इशू किये जा रहे हैं, पहला (चार्टर) १६०१ में मिला है, फिर दूसरा (charter चार्टर) १६२१ में मिलता है, फिर इस तरह से २०-२० साल के (चार्टर) दिए जाते हैं, चार्टर माने अधिकार पत्र। १८१३ की ये (debate डिबेट) जब (conclude कांक्लुड़) हो गई है तो ईस्ट इंडिया कंपनी को एक (स्पेशल चार्टर इशू) किया गया है हाउस ऑफ कॉमन्स की तरफ से और उस (चार्टर) का नाम है “ चार्टर फॉर फ्री ट्रेड” और में जोर दे रहा हूँ इस “फ्री ट्रेड” शब्द पर कि ये जो “फ्री ट्रेड” शब्द है ये कोई नया नहीं है ये २५०-३०० साल पुराना शब्द है।*

*आज जो कुछ अखबारों में पढ़ते हैं सुनते हैं की इस देश में (liberalisation लिबेरलिसतिओन) हो रहा है, (Globalisation ग्लोबलिसतिओन) हो रहा है, किसलिए हो रहा है। “फ्री ट्रेड” के लिए हो रहा है तो ये “फ्री ट्रेड” तो इस देश में अंग्रेजों ने भी चलाया और अंग्रेज इस देश में “फ्री ट्रेड” क्यूँ चला रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना है और (ब्रिटिश इकोनोमिक सिस्टम) को इस देश में स्थापित करना है इसके लिए वो “फ्री ट्रेड” चला रहे हैं तो उस फ्री ट्रेड में पालिसी क्या बन रही है जो सबसे पहली पालिसी बनी है कंपनी सरकार की, १८१३ में इस देश में कंपनी की सरकार है, ब्रिटेन की सरकार नहीं है। ब्रिटेन की सरकार आई है १८५८ के बाद, रानी की सरकार सीधे १८५८ के बाद आई है, उसके पहले कंपनी की सरकार है। माने ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार है तो ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार “फ्री ट्रेड” के लिए सबसे पहले पालिसी क्या बना रही है। वो ये है की हिन्दुस्तान में ब्रिटिश माल पर कोई (टैक्स) नहीं लगेगा और उसके बदले में जो हिन्दुस्तानी माल होगा उस पर ज्यादा से ज्यादा टैक्स लगाया जाए।*

*नतीजा क्या निकलेगा अगर ब्रिटिश माल इस देश में (टैक्स फ्री) हो जायेगा तो गाँव – गाँव में ब्रिटिश माल सस्ता होगा और हिन्दुस्तानी माल पर लगातार (टैक्स ) बढ़ा दिया जायेगा तो हिन्दुस्तानी माल महंगा हो जायेगा। स्वदेशी माल महंगा हो जायेगा और विदेशी माल सस्ता हो जायेगा इसके लिए (पालिसी) बनाई है कंपनी सरकार ने जिसको कहा गया है “चार्टर फॉर फ्री ट्रेड”। उसके तहत अँगरेज़ इस देश में कुछ क़ानून बना रहे हैं। क़ानून क्या बना रहे हैं ? ब्रिटेन के माल पर तो (टैक्स) हटा दिया पूरी तरह से और कोई (इम्पोर्ट ड्यूटी) नहीं लगेगी ब्रिटेन के माल पर और हिन्दुस्तानी माल पर सबसे पहला टैक्स लगाया गया “ सेंट्रल एक्साइज एंड साल्ट टैक्स ” और ये अंग्रेजों ने क्यूँ लगाया है “ सेंट्रल एक्साइज टैक्स ” ताकि हिन्दुस्तान में माल बनाने वाले लोगों का माल महंगा हो जाए तो “सेंट्रल एक्साइज टैक्स” लगा दिया माने जो वस्तुएं बन रही हैं उस पर “उत्पाद कर” यानी उत्पादन पर कर।*

*उसके बाद हिन्दुस्तानी व्यापारी उन वस्तुओं को बाज़ार में बेच रहे हैं तो कंपनी सरकार ने वस्तुओं के बाज़ार में बेचने पर भी कर लगाया है जिसको उन्होंने कहा है “सेल्स टैक्स” फिर तीसरा कर लगाया है की उन वस्तुओं के बिकने पर जो आमदनी आये उस पर भी टैक्स । उसका नाम रखा “इनकम टैक्स” तो उत्पादन पर “सेंट्रल एक्साइज टैक्स”, बिक्री पर “सेल्स टैक्स”, बिक्री से होने वाली आमदनी पर “इनकम टैक्स”। उसके बाद वस्तुओं का आवागमन जो है, यातायात जो है उस पर अंग्रेजों ने एक टैक्स लगाया है। जिसका नाम है “ओक्ट्रॉय टैक्स”, चुंगी नाका। उसके बाद एक आखिरी टैक्स और लगाया अंग्रेजों ने। कंपनी सरकार क्या करती कहीं- कहीं पुल बनती थी तो पुल पर से जब ट्रक माल लेकर गुजर रहा है तो आप को पुल का कर देना है क्यूंकि हमारी बनायीं हुई सड़क आप उपयोग कर रहे हैं। तो उसको उन्होंने नाम दिया “टोल टैक्स”।तो ये ५ टैक्स लगा दिए अंग्रेजों ने देश के उद्योगपतियों पर ताकि उद्योगपतियों का नाश किया जाए और इसके बदले में जितना भी ब्रिटेन से माल आ रहा है इस देश में उस पर से सारे टैक्स हटा लिए गए हैं। क्यूंकि ब्रिटेन का माल उनको इस देश में बेचना है।*

*नतीजे क्या निकलते हैं जब ये पाँचों के पाँचों टैक्स लग जाते हैं तो हर १०० रुपए के व्यापार पर १२७ रुपए का टैक्स और इस बात की गंभीरता को समझिये की हर १०० रुपए के व्यापार पर १२७ रूपए का टैक्स है। तो एक दिन हाउस ऑफ कॉमन्स में (डिबेट) चल रही है तो एक सांसद कह रहा है की हिन्दुस्तान के व्यापारियों पर इतना टैक्स लगा दिया है कि वो सब मर जायेंगे। तो दूसरा सांसद जवाब दे रहा है कि यही हमें करना है। एक दूसरा सांसद खड़ा हो जाता है वो कहता है दोनों हाथ में लड्डू हैं हमारे या तो हिन्दुस्तानी व्यापारी मर जायेंगे माने १०० रूपए पर १२७ रूपए टैक्स देना पड़ जाए तो या तो वो आदमी मर जायेगा और या वो बेईमान हो जायेगा।*

*और अगर वो बेईमान हो जायेगा तो भी हमारी गुलामी में आ जायेगा, और बर्बाद हो जायेगा तो हमारी गुलामी में आने ही वाला है। अब आप ध्यान करिए इन दो बातों को कि इस देश में टैक्स प्रणाली क्यूँ लाई जा रही है ताकि हिन्दुस्तान के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, काम करने वालोँ को, उत्पादकों को बेईमान बनाया जाए या फिर उनको खलास किया जाए। इमानदारी से काम करें तो खलास हो जायें और बेईमानी से काम करें तो टैक्स की चोरी करें और टैक्स की चोरी करें तो ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें क्यूंकि चोरी करने वाला आदमी आँख में आँख डालकर बात नहीं कर सकता और इसके लिए फिर उन्होंने विभाग बना दिए। “इनकम टैक्स” विभाग, “सेंट्रल एक्साइज टैक्स” विभाग, “टोल टैक्स” वाला विभाग, “सेल्स टैक्स” विभाग, “ओक्टरॉय टैक्स” विभाग और आप को मैं बताऊँ की ये पाँचों के पाँचों विभाग आज आजादी के 70 सालों में भी चल रहे हैं।*

*अंग्रेजों ने इन विभागों को बनाया था हिन्दुस्तान के व्यापारियों को ख़त्म करने के लिए तो मुझे लगता था कि जब १५ अगस्त १९४७ को इस देश में आजादी आई तो अंग्रेजों द्वारा बनाये गए ये पाँचों विभाग खत्म कर देने चाहिए थे लेकिन वो आज भी चल रहे हैं और उसी दौर की एक और जानकारी दूँ अंग्रेजों ने सबसे पहले जब “इनकम टैक्स” लगाया तो उसकी दर क्या है, कितना “इनकम टैक्स” देना पड़ता है तो जो अंग्रेजों का सबसे पहला इनकम टैक्स की दर है वो ९७ प्रतिशत की है माने १०० रूपए की कमाई है तो ९७ रूपए आपको देना पड़ेगा। माने सिर्फ ३ रूपए आप को मिलेगा और आपको शायद ये मालूम होगा कि आजादी के २०-२५ साल तक “इनकम टैक्स” ९७ प्रतिशत चलता रहा है। आजादी के बाद १९७०-१९७२ तक ९७% ही “इनकम टैक्स” लगता रहा इस देश में जबकि आजादी आ गयी थी १९४७ में तो मेरा सबसे पहला और गंभीर प्रश्न ये है कि जो कर-प्रणाली का (स्ट्रक्चर) अंग्रेजों ने बनाया वही कर-प्रणाली का “स्ट्रक्चर” इस समय देश में क्यों चल रहा है।*

*भारत में चल रही अंग्रेजी कानून व्यवस्था*
*श्री राजीव भाई दीक्षित*
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विदेशी पूंजी निवेश का सच

🚩 🙏 *।।वन्दे मातरम्।।* 🙏 🚩

*विदेशी पूँजी आती है तो वो आपके फायदे के लिए नहीं आती है वो उनके फायदे के लिए आती है और दुनिया में कोई देश ऐसा मूर्ख नहीं है जो आपके फायदे के लिए अपनी पूँजी आपके देश में लगाये।*

*एक तो सच्चाई ये है कि 1980 से यूरोपियन और अमरीकी बाजार में भयंकर मंदी है और जितना मैं अर्थशास्त्र जानता हूँ उसके अनुसार उनको पूँजी की जरूरत है, अपनी मंदी दूर करने के लिए ना कि वो यहाँ पूँजी ले कर आयेंगे।*

*ये छोटी सी बात समझ में आनी चाहिए और अमेरिका और यूरोप वाले इतने दयावान और साधू-महात्मा नहीं हो गए कि अपना घाटा सह कर भारत का भला करने आयेंगे। इतने भले वो ना थे और ना भविष्य में होंगे।*

*दुसरे हिस्से की बात कीजिये, मतलब 1991 -1997 तक विदेशी पूंजी आयी 20 हजार करोड़ लेकिन इसी अवधि में हमारे यहाँ से कितनी पूंजी चली गयी विदेश ? तो पता चला कि इसी अवधि में हमारे यहाँ से 34 हजार करोड़ रूपये विदेश चले गए। 20 हजार करोड़ रुपया आया और 34 हजार करोड़ रुपया चला गया तो ये बताइए कि कौन किसको पूंजी दे रहा है।*

*दुनिया में एक South South Commission है जो गुट निरपेक्ष देशों (NAM) के लिए बनाया गया था 1986 में और 1986 से 1989 तक डॉक्टर मनमोहन सिंह इस South South Commission के सेक्रेटरी जेनेरल थे। उनकी वेबसाइट पर आज भी मनमोहन सिंह को ही सेक्रेटरी जेनरल बताया जाता है, और भारत के वित्त मंत्री बनने के पहले भारत के तीन-तीन सरकारों के वित्तीय सलाहकार रह चुके थे, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके थे, दुनिया में उनकी एक अर्थशास्त्री के रूप में खासी इज्ज़त है।  जब डॉक्टर मनमोहन सिंह इस South South Commission के सेक्रेटरी जेनरल थे तो इन्होने एक केस स्टडी किया था, उस में उन्होंने दुनिया के 17 गरीब देशों के आंकड़े दिए थे जिसमे भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया वगैरह शामिल थे।*

*ये अध्ययन इस विषय पर था कि 1986 से 1989 के बीच में इन गरीब देशों में अमीर देशों से कितनी पूंजी आयी है और इन गरीब देशों से अमीर देशों में कितनी पूंजी चली गयी है, तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन 17 देशों में 1986 से 1989 तक 215 Billion Dollars की पूंजी आयी जिसमे FDI, Foreign Loan, Foreign Assistance और Foreign Aid शामिल है और जो चली गयी वो राशि है 345 Billion Dollars ।*

*अब जो आदमी एक अर्थशास्त्री के रूप में अपने केस स्टडी में ये कह रहा है कि विदेशों से पूंजी आती नहीं बल्कि पूंजी यहाँ से चली जाती है और जब इस देश का वित्त मंत्री बनता है तो 180 डिग्री पर घूम के उलटी बात करता है, सत्ता नहीं होती है तो दूसरी बात करते है और सत्ता मिलते ही उसके विपरीत काम क्यों करते है ये समझ में नहीं आता……*

*भारतीय अर्थव्यवस्था के पतन के कारण व निवारण*
*श्री राजीव भाई दीक्षित*
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पेट दर्द के घरेलू उपचार

*🌿☘पेट दर्द के घरेलू उपचार ☘🌿*
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🍃पेट में दर्द होना एक आम समस्या है ,जिससे लगभग सभी व्यक्तियों को जीवन में बार बार सामना करना पड़ता है | इनके कई अलग अलग काऱण हो सकते है । पेट दर्द के मुख्य कारण कब्ज का होना, ज्यादा गैस बनना, अपच, विषाक्त भोजन सेवन करना आदि सकता हैं।यहाँ पर हम कुछ आसान से उपाय बता रहे है जिसको करके आप पेट दर्द में आराम प्राप्त कर सकते है ।
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*🍀पेट दर्द मे हींग बहुत ही लाभकारी है। 5 ग्राम हींग थोडे पानी में पीसकर पेस्ट बनाएं। इसे नाभी पर और उसके आस पास लगायें फिर क़ुछ देर लेटे रहें। इससे पेट की गैस निकल जायेगी और दर्द में राहत मिलेगी ।*
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*🍀जीरा पेट दर्द मे बहुत हि लाभदायक है । जीरा को तवे पर भून ले । 2-3 ग्राम की मात्रा गरम पानी के साथ दिन मे 3-4 बार लें या वैसे ही चबाकर खाये शीघ्र लाभ प्राप्त होता है।*
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*🍀10 ग्राम तुलसी का रस पीने से पेट की मरोड़ व दर्द जल्दी ही ठीक होता है।*
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*🍀त्रिफला का 100 ग्राम चूर्ण में 75 ग्राम चीनी मिलालें इस चुर्ण का 5 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 -3 बार पानी के साथ सेवन करें। इससे पेट की सभी बीमारियां समाप्त होती हैं।*
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*🍀सूखा अदरक को मुहं मे चूसने से पेट दर्द में तुरन्त राहत मिलती है।*
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*🍀पेट दर्द में पानी में थोडा सा मीठा सोडा डालकर पीने से फ़ायदा होता है।*
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*🍀बिना दूध की चाय पीने से भी पेट दर्द में आराम मेहसूस होता हैं।*
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*🍀अजवाईन तवे पर भून लें। इसको काला नमक के साथ मिलाकर 2-3 ग्राम गरम पानी के साथ दिन में 3 बार लेने से पेट के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।*
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*🍀एक चम्मच अदरक के रस में 2 चम्मच नींबू का रस और थोडी सी चीनी मिलाकर दिन मे 3 बार लेने से भी पेट दर्द में आराम मिलता है।*
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*🍀किसी भी पेट दर्द में केला खाना लाभकारी होता है। केला एक पोषक आहार होता है। केले का सेवन से पेट दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।*
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*🍀नींबू के रस में काला नमक, जीरा, अजवायन चूर्ण मिलाकर दिन में तीन चार बार लेने से पेट दर्द से आराम मिलता है।*
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*🍀हरा धनिया का रस एक चम्मच शुद्ध घी मे मिलाकर लेने से पेट के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है।*
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*🍀अनार पेट दर्द मे बहुत लाभदायक माना गया है। अनार के बीज थोडी मात्रा में नमक और काली मिर्च के साथ दिन में दो तीन बार लें।*
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*🍀मूली की चटनी, अचार, सब्जी या मूली पर नमक, काली मिर्च डालकर खाने से पेट के सभी रोग दूर होते है।*
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*🍀चौलाई की सब्जी बनाकर खाने से पेट की सभी बीमारियां समाप्त होती है।*
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*🍀सौंठ का 1 चम्मच चूर्ण और सेंधा नमक को एक गिलास पानी में गर्म करके पीने से पेट दर्द खत्म हो जाता है।*
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*🍀इसबगोल को दूध के साथ रात को सोते वक्त लेते रहने से पेट के दर्द में आराम मिलता है ।*
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*🍀प्याज को आग में गर्म करके रस निकाल लें और इस रस में नमक मिलाकर पीएं। इससे भी पेट का दर्द ठीक हो जाता है।*
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*🍀दो चम्मच ग्राम सौंफ़ रात भर एक गिलास पानी में गलाएं इसे सुबह खाली पेट छानकर पीयें पेंट दर्द मे आराम मिलता है*
🍀☘🍃🍀☘🍃🍀☘🍃🍀☘🍃🍀☘🍃🍀
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*अपना देश, अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, अपना गौरव, भारत स्वाभिमान दल।*

*आप भी देश के लिए कुछ करना चाहते है तो भारत स्वाभिमान दल से जुड़िये, दल को तन- मन- धन से सशक्त बनायें।*
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