Tuesday, September 6, 2016

सुन लो मोदी जी

कमल और केसरिया वाली , गरिमा हमको भाई थी ,
पहली बार लगा था , भारत माता भी मुस्काई थी...
राष्ट्रवाद की डोर थमा दी , देशभक्त मतवाले को ,
दिल्ली की गद्दी बैठाया , चाय बेचने वाले को...
सोचा था अब देश-धर्म की , दशा सुधारी जायेगी ,
देश लूटने वालों की भी , खाल उतारी जायेगी...
सोचा था गद्दारों को अब , सबक सिखाया जाएगा ,
और तिरंगा काश्मीर की , गली-गली लहराएगा...
सोचा था अब एक नियम-कानून बनाया जाएगा ,
मज़हब से ऊपर भारत हो , पाठ पढ़ाया जायेगा...
सोचा था शोषित हिन्दू के , भाग्य सँवारे जाएंगे ,
अवधपुरी में रामलला का , मंदिर भव्य बनाएंगे...
"लेकिन यह क्या ? चित्र सभी विपरीत दिखाई देते हैं ,
भारत की बर्बादी वाले , गीत सुनाई देते हैं...
भारत को गाली देने वाला , खुलकर गुर्राता है ,
श्री नगरी में देशभक्त , बेटों को पीटा जाता है...
"गौ माता का भक्षण करने वाले हंसी उड़ाते हैं ,
भारत की जय बोल रहे जो , निर्मम लाठी खाते हैं...
लोग तुम्हारा छप्पन इंची सीना खूब चिढ़ाते हैं ,
भक्त"हमें बतलाकर हम पर , ताने मारे जाते हैं...
दो वर्षो में अडिग आस्था , आज लगा है खो दी जी ,
सबका साथ विकास सभी का , तुम्हें मुबारक मोदी जी...
अभी तलक संसद की गलियां , गद्दारों से गन्दी हैं ,
अभी तलक कालापानी में , सावरकर जी बंदी हैं...
अभी तलक गीता घायल है , कीचड़-कीचड़ गंगा है ,
"गणपति , होली , दीवाली पर , शांति प्रियों का दंगा है...
भारत को माँ नही समझिये , फर्जी फतवा आता है ,
आज तुम्हारी ख़ामोशी पर , रोती भारत माता है...
हैं मंज़ूर घास की रोटी , लेकिन यह अपमान नही ,
यह राणा का भारत है , बाबर का हिंदुस्तान नही...
आँखे खोलो , वक्त परख लो , राष्ट्रवाद की बात करो ,
या हमको सीरिया बना दो , या सब कुछ गुजरात करो...
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ये कविता मोदी जी तक जानी चाहिये..... ( प्रकाश जोशी )

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