🚩 🙏 *।।वन्दे मातरम्।।* 🙏 🚩
*विदेशी पूँजी आती है तो वो आपके फायदे के लिए नहीं आती है वो उनके फायदे के लिए आती है और दुनिया में कोई देश ऐसा मूर्ख नहीं है जो आपके फायदे के लिए अपनी पूँजी आपके देश में लगाये।*
*एक तो सच्चाई ये है कि 1980 से यूरोपियन और अमरीकी बाजार में भयंकर मंदी है और जितना मैं अर्थशास्त्र जानता हूँ उसके अनुसार उनको पूँजी की जरूरत है, अपनी मंदी दूर करने के लिए ना कि वो यहाँ पूँजी ले कर आयेंगे।*
*ये छोटी सी बात समझ में आनी चाहिए और अमेरिका और यूरोप वाले इतने दयावान और साधू-महात्मा नहीं हो गए कि अपना घाटा सह कर भारत का भला करने आयेंगे। इतने भले वो ना थे और ना भविष्य में होंगे।*
*दुसरे हिस्से की बात कीजिये, मतलब 1991 -1997 तक विदेशी पूंजी आयी 20 हजार करोड़ लेकिन इसी अवधि में हमारे यहाँ से कितनी पूंजी चली गयी विदेश ? तो पता चला कि इसी अवधि में हमारे यहाँ से 34 हजार करोड़ रूपये विदेश चले गए। 20 हजार करोड़ रुपया आया और 34 हजार करोड़ रुपया चला गया तो ये बताइए कि कौन किसको पूंजी दे रहा है।*
*दुनिया में एक South South Commission है जो गुट निरपेक्ष देशों (NAM) के लिए बनाया गया था 1986 में और 1986 से 1989 तक डॉक्टर मनमोहन सिंह इस South South Commission के सेक्रेटरी जेनेरल थे। उनकी वेबसाइट पर आज भी मनमोहन सिंह को ही सेक्रेटरी जेनरल बताया जाता है, और भारत के वित्त मंत्री बनने के पहले भारत के तीन-तीन सरकारों के वित्तीय सलाहकार रह चुके थे, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रह चुके थे, दुनिया में उनकी एक अर्थशास्त्री के रूप में खासी इज्ज़त है। जब डॉक्टर मनमोहन सिंह इस South South Commission के सेक्रेटरी जेनरल थे तो इन्होने एक केस स्टडी किया था, उस में उन्होंने दुनिया के 17 गरीब देशों के आंकड़े दिए थे जिसमे भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया वगैरह शामिल थे।*
*ये अध्ययन इस विषय पर था कि 1986 से 1989 के बीच में इन गरीब देशों में अमीर देशों से कितनी पूंजी आयी है और इन गरीब देशों से अमीर देशों में कितनी पूंजी चली गयी है, तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन 17 देशों में 1986 से 1989 तक 215 Billion Dollars की पूंजी आयी जिसमे FDI, Foreign Loan, Foreign Assistance और Foreign Aid शामिल है और जो चली गयी वो राशि है 345 Billion Dollars ।*
*अब जो आदमी एक अर्थशास्त्री के रूप में अपने केस स्टडी में ये कह रहा है कि विदेशों से पूंजी आती नहीं बल्कि पूंजी यहाँ से चली जाती है और जब इस देश का वित्त मंत्री बनता है तो 180 डिग्री पर घूम के उलटी बात करता है, सत्ता नहीं होती है तो दूसरी बात करते है और सत्ता मिलते ही उसके विपरीत काम क्यों करते है ये समझ में नहीं आता……*
*भारतीय अर्थव्यवस्था के पतन के कारण व निवारण*
*श्री राजीव भाई दीक्षित*
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