माननीय प्रधान मंत्री महोदय,
भारत सरकार,
नयी दिल्ली।
विषयः- गौ रक्षकों की गुण्डा गर्दी को जड़ मूल से समाप्त करने के संबंध में।
प्रसंगः- दिनांक 7 अगस्त 2016 को टाउन हाॅल नयी दिल्ली में गौरक्षा पर उद्बोधन
महोदय,
विषयान्तर्गत अति विनम्र निवेदन है कि यदि आप वास्तव में गौमाता की दुर्दशा से परेशान हैं और गौहत्या के नाम पर देश भर में होने वाली राजनीति को समाप्त करना चाहते हैं तो आप केन्द्र सरकार के माध्यम से गौहत्या विरोधी केन्द्रीय कानून बनाकर देशभर में कठोरता से लागू भी करवा दीजिये, जिससे कि फ़र्ज़ी गौरक्षकों की दुकानें भी बन्द हो जायें और असली गौरक्षकों को कसाइयों से संघर्ष में अपनी जान की बाज़ी भी ना लगानी पड़े.......
और हाँ, जैसा कि आपने कहा कि गन्दगी व कूड़ा-प्लास्टिक से गायों की जान जाती है, तो गौमाता की ऐसी दुर्गति की नौबत ही ना आये, ऐसी सामाजिक सहभागिता के साथ कुछ व्यापक योजनाएँ बनाकर गौवंशों का सदुपयोग किया जाये, गौवंश को अर्थव्यवस्था से कैसे जोड़ा जाये, इस पर केन्द्रीय गौवंश मंत्रालय का गठन कर गंभीरतापूर्वक विचार कर शीघ्रतिशीघ्र प्रयास कीजिये....
माननीय "गौभक्त" प्रधानमंत्री जी,
कल गौमाता के प्रति चिन्ता व्यक्त करते समय यदि आप अपनी सरकार के प्रतिनिधियों, सांसदों और भाजपाइयों को भी उनके आसपास के क्षेत्रों में दुर्दशा की शिकार गौवंशों की ओर देखने का भी निर्देश देते तो ज्यादा बेहतर होता...., क्योंकि राजनेताओं, प्रशासन तथा हिन्दू समाज की शर्मनाक व दर्दनाक उपेक्षा के कारण ही आज गौमाता सड़कों पर कूड़ा-प्लास्टिक खाने या गौशालाओं में चारे और देखभाल के अभाव में भूख से तड़पने के लिये मजबूर हैं......
मान्य प्रधानमन्त्री जी, आपने 2014 के लोकसभा चुनाव में जो पिंक रिवोल्यूशन पिंक रिवोल्यूशन बोलकर वोट मांगा था, उस वचन का क्या रहा ! आपकी सरकार ने भी कांग्रेसियों व अन्य दलों की तरह स्वयं देश का चमड़ा व मांस व्यापार सबसे तेज बढ़ाया हैं ।
माना की हो सकता है 10-15 % असामाजिक तत्व हर क्षेत्र की तरह गौरक्षक बनकर भक्षक बने हैं, पर आपको सावर्जनिक मंच से गौभक्तों पर वार नहीं करना चाहिए था ।
अापके इस प्रहार से गौ रक्षकों को अपराधी मानने का सीधा संदेश पुलिस व राज्य सरकारों को गया हैं । आपको यह नहीं भूलना चाहिये था कि आपको प्रधानमन्त्री बनवाने के लिये लाखों निस्वार्थ गौभक्तों ने दिन रात एक कर दिया था और आज आपने उन्ही गौरक्षकों के डोजियर खोलने के लिये सभी राज्य सरकारों को कह दिया...
काश पिछले दो साल में आपने या आपकी केन्द्र सरकार ने गौहत्यारे कसाईयों के डोजियर खुलवाये होते तो शायद यह नौबत ही नहीं आती ।
80%गौ रक्षक फर्जी होते है उनका डोजियर तैयार करो उनमें अधिकतर रात में असामाजिक काम करते है - आदरणीय प्रधानमन्त्री जी, नकली गौ रक्षको का डोजियर तैयार होना ही चाहिये, साथ ही 99.9% नेता भ्रष्ट होते है उनका डोजियर भी तैयार करा दीजिये, उनमें अधिकतर बलात्कारी, भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी, गद्दार, देशद्रोही, गुंडे, माफिया और गौ मांस भक्षक होगें। कृपया नकली गौ रक्षको के साथ उनको भी जेल में डालों ।
मान्य प्रधानमन्त्री जी, गौ रक्षा कानून ही बना दो ना ताकि ये असामाजिक तत्व व फर्जी गौ रक्षक अपने आप ही समाप्त हो जाए। पर क़ानून सिर्फ किताबी न हो उस का कठोरता से पालन भी किया जाए।
मान्य प्रधानमन्त्री जी, गौरक्षकों को तो आपने मन की बात में मांस व्यापारियों के चक्कर में नसीहत दे दी लेकिन उचित तो तब लगता जब आप गौहत्यारों के लिये भी कम से कम दो शब्द बोल देते ।
वेसे गौ रक्षको को दिन रात क्यों भागना पड़ता है?
प्रधानमन्त्री जी ये भी बता देते तो अच्छा होता!
क्या उन्हें कोई सरकार तनख्वाह देती है?
जो तनख्वाह लेते है वो अपना काम नहीं करते?
उनके खिलाफ भी कुछ बोल देते!
जो कत्लखाने पर सब्सिडी दे रहे हैं?
इसके खिलाफ भी कुछ बोल देते!
जान हथेली पर रख अपने भाइयों को गोरक्षा करते देखता हूँ; बिना तनख्वाह लिए!
गौ रक्षा के लिए आगे आना पड़ा; आपकी भ्रष्ट और घटिया व्यवस्था के कारण और आप ने इन्हें गुंडा ही बता दिया!!!
मांस माफियाओं द्वारा प्रशांत पुजारी और मनोज मिश्रा जैसे दो सौ से अधिक गौ भक्त काट डाले गए थे सरे आम...
सरासर अपमान हैं आज उन लोगों के बलिदान का, जो लोग स्वयं के प्राण दे गए गाय बचाते-बचाते !!!
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, अन्त में इतना कहना चाहूँगा कि दिल्ली के टाउन हॉल में 7 अगस्त को दिए भाषण में अच्छा होता कि 70-80 प्रतिशत गौसेवा से जुड़े लोगों, जिनमें से अधिकांश राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं, को कटघरे में लाने से पहले आप गौ-हत्या, बूचडख़ानों को दिए जाने वाली सब्सिडी को खत्म करते, हानिकारण पॉलीथिन, पॉली-बैग को बैन करने कानूनी प्रक्रिया करते, केन्द्री गौवंश मंत्रालय बनाकर गौवंश की भारतीय आस्थाओं के अनुकूल उचित व्यवस्था करते। आपके इस भाषण से मेरी दृष्टि में भाजपा और आपके लिए सम्मान कम हुआ है...
प्रधानमन्त्रीजी, भाजपा व सभी नीति-निर्धारक स्मरण रखें, आप भारत में बोल रहे हैं न कि अप्रवासी भारतीयों के बीच अमेरिका, यूरोप या आस्ट्रेलिया के किसी शहर में... मैं ये पत्र अत्यंत दु:खी होकर लिख रहा हूं। हाँ, अब तक मैं भाजपा-भाजपा था, लेकिन आज से तटस्थ होउंगा...।
आपकी गौरक्षकों पर टिप्पणी से हृदय से व्यथित भारत का एक नागरिक।
विश्वजीत सिंह अनन्त
अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल
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