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*ये देश अंग्रेजों के ज़माने से ज्यादा गुलाम है*
*स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता श्रीराजीव दीक्षितजी*
*मैं मेरी बात यहाँ से शुरू कर रहा हूँ कि इस देश में कोई आजादी नहीं आयी है। ये मेरे दिल का दर्द है। इस देश में कोई आजादी आई नहीं है ये देश अभी भी उतना ही गुलाम है जितना की अंग्रेजों के ज़माने में था। और कई बार मैं इस बात को एक कदम आगे जा के कहता हूँ कि ये देश अंग्रेजों के ज़माने से ज्यादा गुलाम है। देश की व्यवस्थाएं अंग्रेजों के ज़माने से ज्यादा गुलाम हैं। तो (प्लानिंग) के तीन चरण निर्धारित किए गए थे।*
*पहला चरण ये है सबसे पहले हिन्दुस्तान की व्यवस्था को खलास किया जाए और जो बात ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स में चल रही है वो ये चल रही है की (इंडियन इकनोमिक सिस्टम) को (कोलाप्स) करा दिया जाए और (इंडियन इकनोमिक सिस्टम) जब (कोलाप्स) हो जायेगा तो हिन्दुस्तान के व्यापारी, हिन्दुस्तान के उद्योगपति, हिन्दुस्तान के पूंजीपति, सब खलास हो जायेंगे और ये व्यापारी, पूंजीपति, उद्योगपति अगर खलास हो जायेंगे हिन्दुस्तान में तो हमारी ईस्ट इंडिया कंपनी का माल हिन्दुस्तान के गाँव– गाँव में बिकने लगेगा और इस (डिबेट) को चलाते हुए बिलवर फ़ोर्स कह क्या रहा है एक मजेदार बात। बिलवर फ़ोर्स कह रहा है की हमको हिन्दुस्तान में फ्री ट्रेड करना है तो एक (एम् पी) पूछ रहा है उससे “वाट डू यू मीन बय फ्री ट्रेड” तो बिलवर फ़ोर्स कह रहा है फ्री ट्रेड माने ब्रिटिश सामान का हिन्दुस्तान के गाँव – गाँव में बिकना, ब्रिटेन के माल का हिन्दुस्तान के बाज़ार में भर जाना और ब्रिटेन के माल का हिन्दुस्तानी लोगों द्वारा ज्यादा से ज्यादा उपभोग करना। ये है फ्री ट्रेड!*
*इसके दुसरे भाग में बिलवर फ़ोर्स इस फ्री ट्रेड की व्याख्या देते हुए एक और बात कह रहा है कि ये जो फ्री ट्रेड चलेगा इसमें एक चीज़ और होनी चाहिए कि हिन्दुस्तान में बहुत अच्छा कच्चा माल है जो इंग्लैंड में नहीं है जैसे कपास का कच्चा माल, स्टील का कच्चा माल, लोहे का कच्चा माल, और भी तमाम तरह का कच्चा माल तो वो कह रहा है कि कुछ इस तरह का फ्री ट्रेड चलना चाहिए कि जिससे हिन्दुस्तान का कच्चा माल ब्रिटेन में आना शुरू हो जाए और उस कच्चे माल के लिए हमको एक नया पैसा खर्च करना ना पड़े और उस कच्चे माल से हम सामान बनाएं और वापस भारतीय बाज़ार में ले जाकर बचें तो ये (डिबेट कंक्लुड़) हो रही है, (डिबेट) को (इम्प्लेमेंट) करने के लिए (पॉलिसीस) बनाई जा रही हैं और वो (पॉलिसीस) क्या बन रही हैं।*
*पहली (पालिसी) बनी है और ईस्ट इंडिया कंपनी को (चार्टर इशू) किया गया है। ये ईस्ट इंडिया कम्पनी जब आई है तो २०-२० साल के (चार्टर) इशू किये जा रहे हैं, पहला (चार्टर) १६०१ में मिला है, फिर दूसरा (charter चार्टर) १६२१ में मिलता है, फिर इस तरह से २०-२० साल के (चार्टर) दिए जाते हैं, चार्टर माने अधिकार पत्र। १८१३ की ये (debate डिबेट) जब (conclude कांक्लुड़) हो गई है तो ईस्ट इंडिया कंपनी को एक (स्पेशल चार्टर इशू) किया गया है हाउस ऑफ कॉमन्स की तरफ से और उस (चार्टर) का नाम है “ चार्टर फॉर फ्री ट्रेड” और में जोर दे रहा हूँ इस “फ्री ट्रेड” शब्द पर कि ये जो “फ्री ट्रेड” शब्द है ये कोई नया नहीं है ये २५०-३०० साल पुराना शब्द है।*
*आज जो कुछ अखबारों में पढ़ते हैं सुनते हैं की इस देश में (liberalisation लिबेरलिसतिओन) हो रहा है, (Globalisation ग्लोबलिसतिओन) हो रहा है, किसलिए हो रहा है। “फ्री ट्रेड” के लिए हो रहा है तो ये “फ्री ट्रेड” तो इस देश में अंग्रेजों ने भी चलाया और अंग्रेज इस देश में “फ्री ट्रेड” क्यूँ चला रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद करना है और (ब्रिटिश इकोनोमिक सिस्टम) को इस देश में स्थापित करना है इसके लिए वो “फ्री ट्रेड” चला रहे हैं तो उस फ्री ट्रेड में पालिसी क्या बन रही है जो सबसे पहली पालिसी बनी है कंपनी सरकार की, १८१३ में इस देश में कंपनी की सरकार है, ब्रिटेन की सरकार नहीं है। ब्रिटेन की सरकार आई है १८५८ के बाद, रानी की सरकार सीधे १८५८ के बाद आई है, उसके पहले कंपनी की सरकार है। माने ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार है तो ईस्ट इंडिया कंपनी की सरकार “फ्री ट्रेड” के लिए सबसे पहले पालिसी क्या बना रही है। वो ये है की हिन्दुस्तान में ब्रिटिश माल पर कोई (टैक्स) नहीं लगेगा और उसके बदले में जो हिन्दुस्तानी माल होगा उस पर ज्यादा से ज्यादा टैक्स लगाया जाए।*
*नतीजा क्या निकलेगा अगर ब्रिटिश माल इस देश में (टैक्स फ्री) हो जायेगा तो गाँव – गाँव में ब्रिटिश माल सस्ता होगा और हिन्दुस्तानी माल पर लगातार (टैक्स ) बढ़ा दिया जायेगा तो हिन्दुस्तानी माल महंगा हो जायेगा। स्वदेशी माल महंगा हो जायेगा और विदेशी माल सस्ता हो जायेगा इसके लिए (पालिसी) बनाई है कंपनी सरकार ने जिसको कहा गया है “चार्टर फॉर फ्री ट्रेड”। उसके तहत अँगरेज़ इस देश में कुछ क़ानून बना रहे हैं। क़ानून क्या बना रहे हैं ? ब्रिटेन के माल पर तो (टैक्स) हटा दिया पूरी तरह से और कोई (इम्पोर्ट ड्यूटी) नहीं लगेगी ब्रिटेन के माल पर और हिन्दुस्तानी माल पर सबसे पहला टैक्स लगाया गया “ सेंट्रल एक्साइज एंड साल्ट टैक्स ” और ये अंग्रेजों ने क्यूँ लगाया है “ सेंट्रल एक्साइज टैक्स ” ताकि हिन्दुस्तान में माल बनाने वाले लोगों का माल महंगा हो जाए तो “सेंट्रल एक्साइज टैक्स” लगा दिया माने जो वस्तुएं बन रही हैं उस पर “उत्पाद कर” यानी उत्पादन पर कर।*
*उसके बाद हिन्दुस्तानी व्यापारी उन वस्तुओं को बाज़ार में बेच रहे हैं तो कंपनी सरकार ने वस्तुओं के बाज़ार में बेचने पर भी कर लगाया है जिसको उन्होंने कहा है “सेल्स टैक्स” फिर तीसरा कर लगाया है की उन वस्तुओं के बिकने पर जो आमदनी आये उस पर भी टैक्स । उसका नाम रखा “इनकम टैक्स” तो उत्पादन पर “सेंट्रल एक्साइज टैक्स”, बिक्री पर “सेल्स टैक्स”, बिक्री से होने वाली आमदनी पर “इनकम टैक्स”। उसके बाद वस्तुओं का आवागमन जो है, यातायात जो है उस पर अंग्रेजों ने एक टैक्स लगाया है। जिसका नाम है “ओक्ट्रॉय टैक्स”, चुंगी नाका। उसके बाद एक आखिरी टैक्स और लगाया अंग्रेजों ने। कंपनी सरकार क्या करती कहीं- कहीं पुल बनती थी तो पुल पर से जब ट्रक माल लेकर गुजर रहा है तो आप को पुल का कर देना है क्यूंकि हमारी बनायीं हुई सड़क आप उपयोग कर रहे हैं। तो उसको उन्होंने नाम दिया “टोल टैक्स”।तो ये ५ टैक्स लगा दिए अंग्रेजों ने देश के उद्योगपतियों पर ताकि उद्योगपतियों का नाश किया जाए और इसके बदले में जितना भी ब्रिटेन से माल आ रहा है इस देश में उस पर से सारे टैक्स हटा लिए गए हैं। क्यूंकि ब्रिटेन का माल उनको इस देश में बेचना है।*
*नतीजे क्या निकलते हैं जब ये पाँचों के पाँचों टैक्स लग जाते हैं तो हर १०० रुपए के व्यापार पर १२७ रुपए का टैक्स और इस बात की गंभीरता को समझिये की हर १०० रुपए के व्यापार पर १२७ रूपए का टैक्स है। तो एक दिन हाउस ऑफ कॉमन्स में (डिबेट) चल रही है तो एक सांसद कह रहा है की हिन्दुस्तान के व्यापारियों पर इतना टैक्स लगा दिया है कि वो सब मर जायेंगे। तो दूसरा सांसद जवाब दे रहा है कि यही हमें करना है। एक दूसरा सांसद खड़ा हो जाता है वो कहता है दोनों हाथ में लड्डू हैं हमारे या तो हिन्दुस्तानी व्यापारी मर जायेंगे माने १०० रूपए पर १२७ रूपए टैक्स देना पड़ जाए तो या तो वो आदमी मर जायेगा और या वो बेईमान हो जायेगा।*
*और अगर वो बेईमान हो जायेगा तो भी हमारी गुलामी में आ जायेगा, और बर्बाद हो जायेगा तो हमारी गुलामी में आने ही वाला है। अब आप ध्यान करिए इन दो बातों को कि इस देश में टैक्स प्रणाली क्यूँ लाई जा रही है ताकि हिन्दुस्तान के व्यापारियों को, पूंजीपतियों को, काम करने वालोँ को, उत्पादकों को बेईमान बनाया जाए या फिर उनको खलास किया जाए। इमानदारी से काम करें तो खलास हो जायें और बेईमानी से काम करें तो टैक्स की चोरी करें और टैक्स की चोरी करें तो ब्रिटिश सरकार के अधीन रहें क्यूंकि चोरी करने वाला आदमी आँख में आँख डालकर बात नहीं कर सकता और इसके लिए फिर उन्होंने विभाग बना दिए। “इनकम टैक्स” विभाग, “सेंट्रल एक्साइज टैक्स” विभाग, “टोल टैक्स” वाला विभाग, “सेल्स टैक्स” विभाग, “ओक्टरॉय टैक्स” विभाग और आप को मैं बताऊँ की ये पाँचों के पाँचों विभाग आज आजादी के 70 सालों में भी चल रहे हैं।*
*अंग्रेजों ने इन विभागों को बनाया था हिन्दुस्तान के व्यापारियों को ख़त्म करने के लिए तो मुझे लगता था कि जब १५ अगस्त १९४७ को इस देश में आजादी आई तो अंग्रेजों द्वारा बनाये गए ये पाँचों विभाग खत्म कर देने चाहिए थे लेकिन वो आज भी चल रहे हैं और उसी दौर की एक और जानकारी दूँ अंग्रेजों ने सबसे पहले जब “इनकम टैक्स” लगाया तो उसकी दर क्या है, कितना “इनकम टैक्स” देना पड़ता है तो जो अंग्रेजों का सबसे पहला इनकम टैक्स की दर है वो ९७ प्रतिशत की है माने १०० रूपए की कमाई है तो ९७ रूपए आपको देना पड़ेगा। माने सिर्फ ३ रूपए आप को मिलेगा और आपको शायद ये मालूम होगा कि आजादी के २०-२५ साल तक “इनकम टैक्स” ९७ प्रतिशत चलता रहा है। आजादी के बाद १९७०-१९७२ तक ९७% ही “इनकम टैक्स” लगता रहा इस देश में जबकि आजादी आ गयी थी १९४७ में तो मेरा सबसे पहला और गंभीर प्रश्न ये है कि जो कर-प्रणाली का (स्ट्रक्चर) अंग्रेजों ने बनाया वही कर-प्रणाली का “स्ट्रक्चर” इस समय देश में क्यों चल रहा है।*
*भारत में चल रही अंग्रेजी कानून व्यवस्था*
*श्री राजीव भाई दीक्षित*
*देश के अमर बलिदानियों के सपनो को पूरा करने के लिए भारत स्वाभिमान दल से जुड़ें*
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*भारत स्वाभिमान दल के सदस्य बनने के लिए श्री धर्म सिंह, राष्ट्रीय सचिव, भारत स्वाभिमान दल से 85 35 004500 नंबर पर सम्पर्क करे।*
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