Sunday, October 16, 2016

वामपंथी प्रोफेसर और मौलाना साहब के साथ हुई घोर असहष्णु वार्तालाप

वामपंथी प्रोफेसर और मौलाना साहब के साथ हुई घोर असहष्णु वार्तालाप; आखिर सच्चा मुसलमान कौन, क़ुरान को फ़ॉलो करने वाला या क़ुरान ना फॉलो करने वाला
**************************************
आपने एक कहावत सुनी होगी की 'शत्रु का शत्रु, मित्र होता है' भारत में हिन्दुओँ को अपना दुश्मन समझने वाले केवल मुस्लिम या ईसाई ही नही है वरन वामपंथ और सेकुलरिज्म भी बहुत बड़ा घाघ है।

वामपंथी हिन्दुओँ को बदनाम करने का कोई भी मौका नही छोड़ते ये डायरेक्ट हिन्दू धर्म पर अटैक करते हैं।

अब मुद्दे पर आता हूँ " अभी दो दिन पहले मैं ग्वालियर से गोआ आ रहा था मेरा B1 में 22 नंबर उपर बर्थ था मेरे सामने वाले सीट पर एक घोर वामपंथी हिस्ट्री के प्रोफेसर साहब थे जो दिल्ली से आ रहे थे,
अब झाँसी स्टेशन से एक मौलाना उनकी बेग़म और उनका लड़का भी हमारे कोच में बैठ गया।

प्रोफेसर साहब अख़बार पढ़ रहे थे और सरकार को गालियाँ देते जा रहे थे, फिर प्रोफेसर और मौलाना में बातचीत होने लगी, अब दोनोँ मिलकर मोदी और सरकार को गालियाँ देने लगे, अब प्रोफेसर ने टॉपिक को डाइवर्ट करते हुए मोदी से लेकर आरएसएस और हिन्दू संघटनो का मज़ाक उड़ाने लगे कहीं प्रज्ञा ठाकुर तो कहीं भागवत जी तो कहीं हिन्दू गुरुओं का मज़ाक उड़ाते तो कहीं गायों का।
अब इन्ही बातों के बीच में मौलाना साहब इस्लाम और मुसलमानों को अच्छा घोषित करते जाते और हिन्दुओँ को बदनाम करते जाते, अब देखते ही देखते प्रोफेसर ने टॉपिक को डाइवर्ट करते हुए हिन्दू और हिन्दू भगवानों, ग्रंथों को मज़ाक उड़ाना शुरू कर दिया।

साइड लोअर बर्थ पर बैठा हुआ लड़का हिन्दुओँ का पक्ष रख रहा था, लेकिन ज्ञान और अध्यन की कमी के कारण वह मौलाना और प्रोफेसर की बातों का ज़वाब नही दे पा रहा था।

मैं ऊपर वाली सीट पर लेटा हुआ इनकी बातें सुन रहा था ये माझरा 2 घण्टे चला।

अब मैं भी नीचे उतर चूका था फिर मैंने मौलाना साहब से परिचय लिया तो पता चला की वो लखनऊ से हैं और कोई प्रोग्राम अटेंड करने के लिए मुम्बई जा रहे हैं, फिर मैंने मौलाना साहब से पूछा "क्या क़ुरआन में लिखी हर बात सही है और मुझे ये बताइये ये फ़तवे किस आधार पर लगाये जाते हैं, क्या फतवों का क़ुरान से कोई संबंध होता है और एक प्रश्न ये सच्चा मुसलमान कौन है।

अब मौलाना साहब को लगा की मैं इस्लाम में इंट्रेस्टेड हूँ सो वो मोहम्मद और इस्लाम की गाथा सुनाने लगे और मुझसे कहने लगे की मियां ये समझलो की क़ुरान ही दुनियाँ में एक सच्ची क़िताब है ज़ो सातवें आसमान पर बैठकर ख़ुद अल्लाह ने नाज़िल की है मुसलमानों के लिए, और रसूल ने क़ुरान के माध्यम से अल्लाह के फ़रमान हम तक पहुँचाये, क़ुरान में लिखा हुआ एक एक वाक्या सत्य है उसमें फ़ेरबदल की कोई गुंजाइस ही नही है।
फिर मौलाना साहब बोले की मियाँ हरएक फ़तवा क़ुरान के तालुकात रखता है, फ़तवा लगाने से पहले ये देखा जाता है की रसूल ने क्या कहा है।

और मियाँ आपने कहा की सच्चा मुसलमान कौन है तो मियाँ इतना जान लो की जो मुसलमान अल्लाह और उसके नाज़िल हुए क़ुरान पर सच्चा ईमान रखता है, क़ुरान की हर एक बात मानता है और हर रोज़ पाँच जुम्मे की नमाज़ अदा करता है वही सच्चा मुसलमान है।

अब मैंने कहा की मौलाना साहब क़ुरान के सूरा
अत-तौबा (At-Tawbah):5 में लिखा हुआ है की "जब हराम (प्रतिष्ठित) महीने बीत जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ कहीं पाओ क़त्ल करो, उन्हें पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घात की जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे तौबा कर लें और नमाज़ क़ायम करें और ज़कात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो, निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।

क़ुरान 8:12 में लिखा हुआ है की "मैं इनकार करनेवालों के दिलों में रोब डाले देता हूँ। तो तुम उनकी गरदनें मारो और उनके पोर-पोर पर चोट लगाओ"
क़ुरान 3:151 में लिखा हुआ है की  "तुम घबराओ नहीं हम जल्द तुम्हारा रोब / डर काफ़िरों के दिलों में जमा देंगे"।
क़ुरान के सूरा2 की आयत 244 में लिखा हुआ है
"अल्लाह के मार्ग में युद्ध करो और जान लो कि अल्लाह सब कुछ सुननेवाला, जाननेवाले है"।

अब मौलाना साहब शाँत हो गए थे फिर मैंने कहा मौलाना साहब अगर क़ुरान सच्चा है तो असल में आतंकवादी, ISIS, बोकोहरम, अलक़ायदा वाले ही सच्चे मुसलमान हुए। क्योंकि क़ुरान की आयतें तो ये isis वाले ही पूरी कर रहे हैं, क़ुरान के अनुसार अल्लाह की राह में क़त्ल करने वाला, मुशरिकों( बहुदेववादी अर्थात हिन्दू ) को मारने वाला ही सच्चा मुसलमान है।
जो हिन्दुओँ या धर्म वालों को मार नही रहे या उनसे मित्रता कर रहे हैं वो क़ुरान के अनुसार सच्चे मुसलमान नही हो सकते।"

फिर मैंने कहा की मौलाना साहब आपके ही क़ुरान का सूरा मुहम्मद (Muhammad) की आयत 4 में कहा गया है की  "अतः जब इनकार करनेवालो से तुम्हारी मुठभेड़ हो तो (उनकी) गरदनें मारना है, यहाँ तक कि जब उन्हें अच्छी तरह कुचल दो तो बन्धनों में जकड़ो, फिर बाद में या तो एहसान करो या फ़िदया (अर्थ-दंड) का मामला करो, यहाँ तक कि युद्ध अपने बोझ उतारकर रख दे। यह भली-भाँति समझ लो, यदि अल्लाह चाहे तो स्वयं उनसे निपट ले। किन्तु (उसने या आदेश इसलिए दिया) ताकि तुम्हारी एक-दूसरे की परीक्षा ले। और जो लोग अल्लाह के मार्ग में मारे जाते है उनके कर्म वह कदापि अकारथ न करेगा"
फिर आपके क़ुरान के सूरा मुहम्मद (Muhammad):5 और 6 में कहा है की " अल्लाह और इस्लाम  के लिए लड़ने, मरने वालों का अल्लाह मार्गदर्शन करेगा और उन्हें जन्नत में दाख़िल करेगा, जिससे वह उन्हें परिचित करा चुका है।

अब मैंने मौलाना साहब आपके क़ुरान की ये आयतें पढ़कर तो ऐसा लगता है जैसे क़ुरान ही मुसलमानों को आतंकवाद फ़ैलाने के लिए मज़बूर कर रहा है और आतंकी ही सच्चे मुसलमान हैं।

अब मौलाना और प्रोफेसर को छोड़कर बाक़ी सभी ख़ुश हो रहे थे अब मौलाना साहब कुछ ज़वाब देते उससे पहले प्रोफेसर ने मुझ पर अनपढ़ संघी और सांप्रदायिक तमगा लगा दिया,

जैसा की भारत में हमेशा से होता आया है की वामपंथ और सेक्युलरिज़्म इस्लाम और ईसाईयत को बचाने के लिए पहले खड़ी हो जाती है।

अब प्रोफेसर साहब गुस्सें में बोलने लगे " कौनसे कॉलेज में पढे हो, संघी हो, क्या जानते हो इस्लाम के बारे में और क्या जानतें हो, क्या कभी क़ुरान पढ़ा है"

अब मैंने प्रोफेसर साहब से कहा " सर रास्ता बहुत बड़ा है आज मैं मौलाना साहब से इस्लाम सीखकर ही जाऊँगा लेकिन अब आप ये बता दीजिये की भारत की आज़ादी में या आज़ादी के बाद भारत का इतिहास में फ़ेरबदल करने और झूंठा इतिहास लिखने के अलावा भारत में वामपंथ का क्या योगदान रहा है"

अब प्रोफेसर साहब शाँत थे तब मेरे साइड में बैठे हुए एक अंकल ने भी पूछ लिया की सर ज़वाब तो दीजिये लड़का कुछ पूछ रहा है।

अब मैंने प्रोफेसर साहब से फिर पूछा सर आप बताइये आजतक वामपंथ ने भारत को क्या दिया है मात्र ग़द्दारी के अलावा, अब प्रोफेसर साहब ग़ुस्से में भी थे और ख़ामोश भी।

सो मैंने साइड में बैठे हुए लोगों से कहा की भाइयों आजतक वामपंथ ने भारत को क्या क्या दिया है वो प्रोफेसर साहब नही बता रहे तो  मैं आपको बताता हूँ,
तो सुनों :-
1. वामपंथियों ने भारत की आज़ादी के महानायक सुभाष चन्द्र बोस को जापान में आज़ाद हिन्द फ़ौज की स्थापना करने और जापानी प्रधानमंत्री तोजो से अँग्रेजो के विरुद्ध लड़ने के लिए सहायता लेने पर सुभाष चंद्र बोस को  " तोजो का कुत्ता" कहा था। क्योंकि वामपंथी हमेशा अंग्रेजों के साथ थे।

2. भारत की आज़ादी से पहले वामपंथ ने मुस्लिम लीग का समर्थन किया और लाखों मासूम हिन्दुओँ को जिनमें 80% से ज़्यादा दलित थे " नोआखाली" जैसी आग में झोंक दिया।

3.भारत और चीन के बीच हुए युद्ध में वामपंथियों ने चीन का साथ दिया और भारत के साथ गद्दारी की।
उसके बाद वामपंथियों ने ग़रीब किसानों और आदिवासियों को पूँजीवाद के नाम पर भड़का कर नक्सली बनाया, आज नक्सलवाद के नाम पर हजारों सैनिकों और आदिवासियों के ख़ून का जिम्मेदार वामपंथ ही है।

4.वामपंथ के गढ़ JNU में वर्ष 2000 के मुशायरे में सम्मलित होने वाले दो फ़ौज़ी अफ़सरों को जो कारगिल युद्घ के हीरो थे को अपमानित किया, उस मुशायरे में एक पाकिस्तानी शायर ने भारत का मज़ाक उड़ाते हुए कुछ शायरियाँ की जिसका उन फ़ौजी अफसरों ने विरोध किया तो उन्हें वामपंथियो द्वारा इतना मारा गया  की उन दोनों कारगिल के हीरो को हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ा।
फिर उसी JNU में वहीँ 26 जनवरी, 2015 को ‘इंटरनेशनल फूड फेस्टिवल’ के बहाने वामपंथियों ने कश्मीर को अलग देश दिखाकर उसका अलग स्टाल लगाया।
 
5. प्रोफेसर साहब याद करो जब 10 अप्रैल, 2010 को जब पूरा देश छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सलिओं के गोलियों से शहीद हुए 76 CRPF जवानों के गम में रो रहा था, उसी समय आपके वामपंथी गढ़ जेएनयू में उन सैनिकों की मौत पर जश्न मनाया जा रहा था।  छत्तीसगढ़, झारखण्ड सहित कुछ राज्यों के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों द्वारा चलाए गए "ऑपरेशन ग्रीन हंट" नामक अभियान का विरोध आपके वामपंथी छात्रों ने पर्चे और पब्लिक मीटिंग के जरिए किया।

6.यही नहीं आपके वामपंथी गढ़ में 30 मार्च, 2011 और 2015 में को भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट विश्वकप के मैच में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए और भारत का समर्थन कर रहे छात्रों पर हमले किये गए। आपके गढ़ में आजकल पाकिस्तान प्रेम कुछ ज़्यादा ही है कह्नैया कुमार  उमर ख़ालिद जैसे आपके स्टूडेंट भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद, भारत की बर्बादी तक जँग रहेगी के नारे लगातें हैं और आप ख़ुश होते हो।

7. प्रोफेसर साहब शायद आपको याद होगा की 2014 से पहले तक जेएनयू के कैंपस में इजरायल के किसी व्यक्ति यहां तक कि राजदूत तक का घुसना भी प्रतिबंधित हुआ करता था।

8.प्रोफेसर जी वामपंथ के मुँह से नारी सशक्तिकरण की बात बहुत बेमानी लगती है, ऐसा लगता है जैसे बलात्कारी अफ़रोज़ दामिनी के हक़ में लड़ाई लड़ रहा हो, आप जानते हो हम हिन्दुओँ के अनुसार माँ दुर्गा नारी शक्ति आराध्य हैं लेकिन शायद आपको याद होगा की आपके वामपंथी गढ़ जेएनयू में  नवरात्रि के दौरान क्या हुआ था। जब पूरा देश माँ दुर्गा की आराधना कर रहा था तब माँ दुर्गा का अपमान करने वाले पर्चे, पोस्टर जारी किये, वामपंथियो ने माँ दुर्गा को न केवल वेश्या कहा बल्कि महिषासुर को महिमामंडित कर महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन किया।

अब मेरा समर्थन बड़ चूका था अब लोग मेरी तरफ़ से बोलने लगे, अब उन्हें उनका पक्षधर मिल चूका था लेकिन अब वामपंथी प्रोफेसर एकदम चुप हो चुके थे।

अब मैंने प्रोफेसर साहब से कहा सर सच्चा इतिहास बताइये लोगों को आप हिस्ट्री के प्रोफेसर हैं आपसे बेहतर इतिहास मैं नही जानता, आप जानते होँगे भारत पाकिस्तान विभाजन के समय  "जोगेन्द्र नाथ मण्डल" नाम के वामपंथी नेता थे जिनके कहने पर 40 लाख से ज़्यादा हिन्दुओँ ने पाकिस्तान का समर्थन किया था जिन हिन्दुओँ में 90% से ज़्यादा दलित थे लेकिन पाकिस्तान विभाजन के बाद पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान में शरीयत कानून लागु करने के लिए और क़ुरान की आयतों को सच शाबित करने के लिए मात्र 5 साल में 30 लाख मुशरिकों ( हिन्दुओँ ) का क़त्ल कर दिया गया जिसमें नोआखाली भी एक था , जो मात्र धार्मिक आधार पर हुए कत्लों में हिटलर द्वारा 60 लाख यहूदियों के बाद दूसरे स्थान पर है।

अब मैंने मौलाना साहब और प्रोफेसर साहब से पूछा की आप ये बताओ की उन 30 लाख हिन्दुओँ की मौत का जिम्मेदार कौन है, जोगेन्द्र नाथ मण्डल या मुसलमान या क़ुरान?

अब दोनों के चेहरों पर सन्नाटा छाया हुआ था, तभी मौलाना का लड़का बोलता है की "आप मुसलमानों से चिढ़ते हो, हिन्दुओँ ने मुसलमानों पर कितना अत्याचार किया वो आपको नही दिखायी देता,
हिन्दुओँ ने बाबरी मस्जिद तोड़ दी"

अब मैंने कहा की भाईजान आपको पता है "बाबरी मस्जिद से पहले वहाँ राम मंदिर था, जिसे तोड़कर बाबरी मस्ज़िद बनाई गयी, कोर्ट में वो केस चल रहा है सारे प्रूफ़ मिल चूकें हैं की वहाँ राम मंदिर था।
बाबरी ढांचे को कोर्ट ने भी माना की यह प्रभु राम का जन्मस्थान था जिसे तोड़ मुग़ल बाबर ने मस्जिद बनाई थी।

फिर मौलाना का लड़का जम्प मारते हुए बोलता है की वहाँ मंदिर नही था हमने तो जन्म से वहाँ बाबरी मस्जिद ही देखी, आपके कहने से वहाँ राम मंदिर थोड़े ही हो जायेगा।

अब मैने भी कहा भाई "आपने देखे तो अपने अब्बु के दादा जी भी नही थे तो आपके नही देखने से उनका अस्तित्व ख़त्म नही जाता।
क्यों हो तो उन्ही की पैदाइस या नही देखने से नाजायज़ हो गए, आपके देखने नही देखने से क्या फ़र्क पड़ता है।
वैसे आपको बता दूँ आपके पैगम्बर वाले मक्का-मदीना में खादिजा, आयेशा, हुसैन, अबू बकर सहित कई साहिबा -इमामों और खलीफाओं के कब्र-मस्जिदें तोड़कर  होटल और पब्लिक टॉयलेट बना दी गयी हैं और सुनो यहाँ तक की आपके पैगम्बर का घर जिसमें मोह्हमद का जन्म हुआ उसे भी सऊदी सरकार ने ध्वस्त कर दिया।

ज़नाब आप हज जाते हो तो वहाँ भी तो मुँह खोलों।

आप सभी हिन्दुओँ का मज़ाक उड़ाते हुए बोल रहे थे की पोंगा पंडित और ढोंगी हिन्दू बाबा गाय का मूत्र पीते हैं तो आपको बता दूँ की
सहीह-अल-बुख़ारी 8:82:794 में कहा गया है की
"उक्ल नाम के कबीले के कुछ लोग पैगंबर के पास आए और इस्लाम कबूल किया, मदिने का मौसम उन्हे नही भाया और वे बीमार पड़ गये, तो पैगंबर ने फरमाया की जाओ और जो यहा पे हमारे उंटों का झुंड है, उनका दूध और मूत्र पीओ"

अब मैं वैज्ञानिक आधार पर बताऊँ तो गाय का दूध और मूत्र ऊँट के दूध और मूत्र से बहुत ज़्यादा गुणकारी होता है।

अब मैने प्रोफेसर से कहा सर आप कह रहे थे की मुसलमानों में औरतोँ का हिन्दुओँ के कंपेयर में बहुत सम्मान है, अब मौलाना साहब तो बताएँगे नही तो मैं ही बता देता हूँ की
कुरान (सूरा अल बकरा 2:223) में खुद अल्लहा ने औरत को "खेती" कहते हुए मुसलमानो को मनमर्ज़ी जोतने और बीज बोने का अधिकार दिया।

इसी क़ुरान के अनुसार औरत का बलात्कार होने की स्थिति में 4 गवाह लाने पड़ते हैं जो मर्द हो नही तो 8 औरतोँ की गवाही माँगी जाती है अन्यथा उस बलात्कार की पीड़ित में कोड़े मारने के आदेश होता है। अब ये देख लीजिये क़ुरान अन-निसा (An-Nisa'):15 - तुम्हारी स्त्रियों में से जो व्यभिचार कर बैठे, उनपर अपने में से चार आदमियों की गवाही लो, फिर यदि वे गवाही दे दें तो उन्हें घरों में बन्द रखो, यहाँ तक कि उनकी मृत्यु आ जाए या अल्लाह उनके लिए कोई रास्ता निकाल दे।

मौलाना साहब आप जानते ही होँगे की पिछले साल सऊदी के ईमाम ने फ़तवा लगाया था जिसमें इन केस ऑफ़ इमरजेंसी पति और पत्नी को काटकर खा सकता है, और कुछ दिनों पहले एक फ़तवा लगा था की जब अपनी ही बेटी 09 साल से बड़ी हो जाये तो उसे "पिता उसे कामुक नज़र से देख सकता है"

अभी कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश में एक पिता ने अपने बेटे की बहु से सैक्स किया जिसके चलते कुछ मौलानाओं ने क़ुरान का हवाला देते हुए जैसे मोह्हमद ने ज़ैद की बीबी ज़ैनब को अपनी मिल्कियत में रखा और उसे अपनी बीबी बनाया ठीक उसी तरह उत्तर प्रदेश् में भी पत्नी को पति की माँ बना दिया।

अब मैंने मौलाना साहब से पूछा सर थोड़ा सा हलाला के बारे में सभी यात्रियों को ज्ञान दीजिए  अब मौलाना साहब आग बबूले हुए बेठे थे ग़ुस्से में कुछ नही बोले अब मैंने अपने साइड में बैठे हुए अंकल से कहा की "हलाला" की प्रोसेस में यदि पति 3 बार तलाक़ देदे तो पत्नी को ग़ैरमर्द से निक़ाह करना पड़ेगा और शारीरिक सम्बन्ध भी बनाने पड़ेंगे फिर जब वह गैर मर्द तलाक़ दे तब ही वो औरत अपने पहले आदमी से निकाय कर सकती है।

अब मौलाना साहब ग़ुस्से में बोले तुम कुछ नही जानते हो क़ुरान के बारे में तुम ऐसे ही अनाप सनाप झूँठी बातेँ बताते जा रहे हो, अब मैंने कहा मौलाना साहब अगर क़ुरान और हदीसें सच हैं तो वास्तव में इस्लाम खतरें में हैं क्योंकि
अबू दाऊद-जिल्द 3 किताब 40 :- "अबू हुरैरा ने कहा कि,रसूल ने कहा था कि यहूदी और ईसाई तो 72 फिरकों में बँट जायेंगे ,लेकिन मेरी उम्मत 73 फिरकों में बँट जाएगी ,और सब आपस में युद्ध करेंगें और मुसलमानों में ऐसी फूट पड़ जाएगी कि वे एक दुसरे की हत्याएं करेंगे ." !

बुखारी -जिल्द 3 किताब 30 के अनुसार :- "अबू हुरैरा ने कहा की ,रसूल ने कहा कि,निश्चय ही एक दिन इस्लाम सारे विश्व से निकल कर कर मदीनामें सिमट जायेगा .जैसे एक सांप घूमफिर कर वापिस अपने बिल में घुस जाता है ' नबी करीम सल्‍लल्‍लाहो अलैहि वसल्‍लम ने तीसरी दफ़ा इरशाद फ़रमाया अरब के नज्द में ज़लज़ले और फि़त्‍ने होंगे और वहां से ही शैतान का सींग तुलू (जन्म) होगा जो इस्लाम को निगल जायेगा ।

अब मौलाना का लड़का बोलता है आप मुसलमानों से चिढ़ते हो, मैंने भी कहा भाई जब कोई कौम आतंकवादी याक़ूब और अफ़जल के जनाज़ो में लाखों में इक्कठी होगी और अब्दुल कलाम जी के जनाज़े में नही जायेगी तो उस कौम पर भरोषा कैसे किया जाये,
आप चाहते हो की हम मुसलमानों को सिर आँखों पर बताएँ तो बनिए अब्दुल कलाम, अश्फाक उल्ला खान,
अब्दुल हामिद या बनिए सूफी संत सरमद की तरह तो देखिये हम आपको कितना सम्मानअं देते हैं, लेकिन याक़ूब और अफ़जल को फॉलो करोगे तो आपको शक की निगाह से ही देखा जायेगा।

तब तक हमारी ट्रेन इटारसी स्टेशन पर पहुँच चुकी थी मैं स्टेशन पर फ्रूट्स खरीदने के लिए उतरा, फिर जब ट्रेन चलने लगी और मैं ट्रेन में चढ़ा तो देखा मौलाना साहब अपनी फैमिली के साथ स्टेशन पर खड़े हैं, मैंने प्रोफेसर से पूछा सर मौलाना साहब कहाँ गये तो साइड में बैठे हुए अंकल बोलते हैं की भाई आज मौलाना साहब का इस्लाम खतरें में आ गया था सो ये कह कर उतर गए की कोई दूसरी ट्रेन पकड़ कर मुम्बई चले जाएंगे।
अब प्रोफेसर साहब अपना कम्बल ओढ़ कर लेट गए लेकिन गोआ तक उन्होंने अपना मुँह नही खोला।

दोस्तों मैं इस घटना को आप सभी के साथ इसलिए शेयर कर रहा हूँ क्योंकी आजतक आपने देखा होगा ये वाम्पन्ति, मुस्लिम, ईसाई हमारा हर जगह चाहे कॉलेज हों या स्कूलों या सभाओं या सेमिनारों या ट्रेनों या बसों में हिंदुओं और हमारे भगवानों का मज़ाक उड़ाते मिलते हैं लेकिन हमारे ज्ञान और कॉन्फिडेंस की कमी के कारण हम इनका ज़वाब नही दे पाते।

आप सभी एक बात याद रखो  " आपको किसी विषय का कितना नॉलेज है यह मैटर नही करता, मैटर करता है की आप अपने उस नॉलेज को कितने कॉन्फिडेंस के साथ प्रोजेक्ट कर रहे हो , सामने वाला आपके कॉन्फिडेंस को देखकर ही संशय में आ जाता है और हिम्मत हार जाता है.
- श्री अशोक शर्मा जी

No comments:

Post a Comment