Friday, May 18, 2018

वीर महात्मा नाथूराम गोडसे एक नया दृष्टिकोण


आज का दिन बहुत ही पावन है क्योंकि आज के दिन 19 मई 1910 को बारामती पुणे के एक राष्ट्रभक्त संस्कारित हिन्दू परिवार में एक दिव्य बालक का जन्म हुआ , जो आगे चलकर एक सच्चा समाज सुधारक , विचारक , यशस्वी संपादक व भारत की अखण्डता के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाला महात्मा सिद्ध हुआ, उस वीर का नाम है नाथूराम गोडसे।
नाथूराम गोडसे का असली नाम रामचन्द्र विनायक गोडसे था। उनके पिता विनायक गोडसे पोस्ट ऑफिस में काम करते थे। जब विनायक गोडसे के पहले तीन पुत्र बचपन में ही चल बसे और एक पुत्री जीवित रह गई तो विनायक को आभाष हुआ कि ऐसा किसी शाप के कारण हो रहा है। विनायक गोडसे ने कुलदेवी से मन्नत मांगी कि अगर अब लडका होगा तो उसका पालन - पोषण लडकियों की तरह ही होगा। इस मन्नत के कारण रामचन्द्र को नथ पहननी पडी। बचपन से ही नाक में नथ पहनने के कारण घर वाले उन्हें नाथूराम अथवा नथूराम पुकारने लगे थे।
लडकियों की तरह पाले जाने के बावजूद नाथूराम गोडसे को शरीर बनाने, व्यायाम करने और तैरने का विशेष शौक था। नाथूराम बाल्यकाल से ही आध्यात्मिक संत तथा क्रान्तिकारी विचारों के समाज सेवक और समाज सुधारक थे। जब भी गॉव में गहरे कुएँ से खोए हुए बर्तन तलाशने होते या किसी बिमार को शीघ्र डॉक्टर के पास पहुँचाना होता तो नाथूराम को याद किया जाता। नाथूराम गोडसे ब्रह्मण - भंगी को भेद बुद्धि से देखने के पक्ष में नही थे। वह छुत - अछुत, जाति, पंथ, वर्ग, रंग भेद आदि कुरूतियों को मानवता के विरूद्ध घोर अन्याय, पाप और अत्याचार मानते थे तथा इसके विरूद्ध कार्य करते थे, इसी कारण से उनका कई बार अपने परिवार वालों से झगडा भी हो जाता था।
बचपन में नाथूराम गोडसे अपनी कुलदेवी की मूर्ति के सामने बैठकर तांबे के श्रीयन्त्र को देखते हुए एकाग्रचित होते तो वह ध्यान की उच्च अवस्था में पहुँच जाते थे और इस अवस्था में ऐसे संस्कृत श्लोकों का पाठ करते थे जो उन्होंने कभी पढें भी नही। इस अवस्था में वह घर वालों के प्रश्नों के उत्तर भी देते थे। लेकिन सोलह वर्ष की आयु के होते ही नाथूराम ने ध्यान - समाधि के दिव्य आनन्द को भी राष्ट्र - धर्म के लिए न्यौछावर कर दिया और परिवार जनों के प्रश्नों के उत्तर देना बन्द कर दिया।
नाथूराम गोडसे को हिन्दू धर्म - संस्कृति से विशेष स्नेह था। वह बाबू पैदा करने वाली मैकालेवादी शिक्षा प्रणाली व अंग्रेजी - उर्दु भाषा को भारत के लिए हलाहल विष के समान घातक मानते थे तथा संस्कार व विज्ञान के समुचित समन्वय पर आधारित मनुष्य बनाने वाली गुरूकुल शिक्षा प्रणाली व हिन्दी भाषा को भारत के लिए आदर्श मानते थे।
पुणे से अपना क्रान्तिकारी विचारों का " हिन्दू राष्ट्र " समाचार पत्र निकाल कर उन्होंने महाराष्ट्र की जनता में राष्ट्रभक्ति की भावना का प्रबल संचार कर दिया। जब हैदराबाद के निजाम ने अरब साम्राज्यवादी मानसिकता के अनुसार हिन्दुओं पर जजिया कर लगा दिया था तब आर्य समाज के आह्वान पर वीर महात्मा श्रीनाथूरामजी गोडसे के नेतृत्व में आन्दोलनकारियो का पहला दल हैदराबाद गया था और उन्ही के आन्दोलन के कारण हैदराबाद के निजाम को जजिया कर वापिस लेना पडा था।
गांधी जी अपने सामने किसी चुनौती को स्वीकार न कर पाते थे और वह उन्हें अपने रास्ते से हटाने का पूरा प्रयास करते थे। वह चाहे चौरा - चौरी का कांड हो, सांडर्स की हत्या हो, भगत सिंह की फाँसी हो, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का दिल्ली चलो आन्दोलन हो या रॉयल इंडियन नेवी का मुक्ति समर। गांधी जी वीरोचित सशस्त्र क्रान्ति करने वालो की हमेशा अहिंसा की ढाल लेकर आलोचना किया करते थे और चाहते थे कि ब्रिटिस कानून के अनुसार उन्हें कडी से कडी सजा मिले। अहिंसा के मसीहा गांधी जी ने अफ्रीका से लौटने पर भारत भ्रमण किया और प्रथम विश्वयुद्ध ( 1914 से 1918 ) में जर्मनो की हत्या के लिए अंग्रेजी सरकार की सेना में भारतीय युवाओं को भर्ती कराया, तो क्या वह हिंसा इसलिए नहीं थी कि जर्मनो के संहार के लिए वे सैनिक उन्होंने भर्ती कराये थे !
14 - 15 जून 1947 को दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय कांग्रेस समिति की बैठक में भारत विभाजन का प्रस्ताव अस्वीकृत होने वाला था कि गांधी जी ने वहाँ पहुँच कर प्रस्ताव का समर्थन कराया। यह भी तब जबकि उन्होंने स्वयं ही कहा था कि देश का बटवारा उनकी लाश पर होगा।
नाथूरामजी गोडसे कतई गांधीजी के विरोधी नहीं थे, लेकिन जब गांधीजी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीतियों के कारण हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों की प्रकाष्ठा चरम पर पहुँच गयी, उर्दू को हिन्दुस्तानी के नाम से भारत की राष्ट्रभाषा बनाने का कुचक्र रचा जाने लगा, विश्व की सबसे भयानक त्रासदी साम्प्रदायिक आधार पर भारत का विभाजन करा दिया गया, सतलुज नदी का जल पाकिस्तान को देना और 55 करोड रूपये को भी पाकिस्तान को दिलाने के लिए किया गया गांधी का आमरन अनशन जिसने गोडसे को गांधी का वध करने के लिए मजबूर कर दिया और 30 जनवरी 1948 को गोडसे ने दिल्ली में गांधी का वध कर दिया।
गोडसे ने गांधी वध के 150 कारण न्यायालय के सामने बताये थे , जिन्हें " गांधी वध क्यों " पुस्तक में पढा जा सकता है । एक व्यक्ति की हत्या के अपराध में उन्हें व उनके मित्र नारायण आपटेजी को मृत्युदण्ड दिया गया जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया और 15 नवम्बर 1948 को अंबाला ( हरियाणा ) की जेल में वन्दे मातरम् का उद्घोष कर अखण्ड भारत का स्वप्न देखते हुए फाँसी का फंदा चुम कर आत्मबलिदान दे दिया।
नाथूराम गोडसे ने कहा था कि " मेरी अस्थियाँ पवित्र सिन्धू नदी में ही उस समय प्रवाहित करना जब सिन्धू नदी एक स्वतंत्र नदी के रूप में भारत के झंडे तले बहने लगे, भले ही इसमें कितने भी वर्ष लग जाये, कितनी भी पीढियाँ जन्म ले, लेकिन तब तक मेरी अस्थियाँ विसर्जित न करना । " आज भी गोडसे का अस्थिकलश पुणे में उनके निवास पर उनकी अंतिम इच्छा पूरी होने की प्रतिक्षा में रखा हुआ है।
वन्दे मातरम्
जय अखण्ड भारत।
- विश्वजीत सिंह अनंत
 राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमानदल

स्वतंत्र भारत में औद्योगिक क्रांति के समर्थक वीर नाथूराम गोडसे

वीर नाथूराम गोडसे एक विचारक , समाज सुधारक , हिन्दूराष्ट्र समाचार पत्र के यशस्वी संपादक एवं अखण्ड भारत के स्वप्नद्रष्टा होने के साथ - साथ स्वतंत्र भारत में औद्योगिक क्रांति के समर्थक भी थे । यह तथ्य उनके द्वारा अप्पा को लिखे गये पत्रों से सिद्ध होता है । प्रस्तुत है वीर नाथूराम गोडसे जी की भतीजी श्रद्धेया हिमानी सावरकर जी ( गोपाल गोडसे जी की पुत्री व वीर सावरकर जी की पुत्रवधु तथा हिन्दू महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्षा , जिन्होंने हम सम्मानपूर्वक ताई जी कहते है । ) से प्राप्त वह ऐतिहासिक पत्र -
प्रिय अप्पा ,
कल आपका पत्र मिला उसमें कारखाने की हालत के बारे में कुछ जानकारी हुई । और कारखाने की संभावित वृद्धि को देखकर संतोष हुआ ।
आज - कल सरकार की यह नीति दिखाई देती है कि वह यंत्र आधारित धंधों को उत्तेजन देना चाहती है । और अगर स्वतंत्र भारत को सचमुच ही सम्पन्न करना है तो उसके लिए एक ही मार्ग है । और वह यह कि यंत्र प्रधान व्यवसायों का पोषण और उनकी वृद्धि करना । लेकिन विशेष बात यह है कि चरखा युग के अनेक लेप जिन पर चढे हुये है ऐसे नेता ही यंत्र प्रधान व्यवसायों की प्रशंशा करने लगे है ।
स्वतंत्र भारत में इन व्यवसायों के क्षेत्र को निर्भयता का स्थान प्राप्त होना बड़ी मात्रा में संभव है यह जरूर देखा जायेगा कि विदेशी चीजों की स्पर्धा अपने व्यवसायों को मारक न हो । अब इन व्यवसायों को धोखा एक ही बात है और वह यह कि श्रमिक लोगों को दायित्व शून्य रहने का अवसर देना । श्रमिक लोगों को किसी भी तरह की हानि न पहुँचाना और इन व्यवसाय केन्द्रों की वृद्धि करना यही नीति हमारे राष्ट्र के लिए हित कारक सिद्ध होने वाली है । श्रमिक और उद्योगपति इन दोनों में सामंजस्य पैदा करने की नीति का अवलम्ब ज्यादा सुसंबधता से करना आवश्यक है । हां लेकिन यह बात इन व्यवसायों को चलाने वालों के सोचने की नहीं है । उसके लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं की राष्ट्र की सम्पत्ति के संवर्धन की दृष्टि से श्रमिक और उद्योगपति इन वर्गो के बीच सौहाद्र का निर्माण करने की ओर यत्न होना चाहिये ।
आपका
नथुराम
दि. 27 - 12 - 1948

अमर बलिदानी नाथूराम गोडसे जवाहर लाल नेहरू की इस्लामप्रस्त नीतियों के ध्रुव विरोधी थे , लेकिन जब दिनांक 25 जनवरी 1949 के अंग्रेजी समाचार पत्र States man में The Central Advisory Council of Industry के अधिवेशन में प्रथम दिन का वृत्तांत पढ़ा तो उन्होंने अपने ध्रुव विरोधी नेहरू की औद्योगिकरण की नीतियों का पूर्ण समर्थन किया । यह बात वीर गोडसे ने अप्पा को दूसरे पत्र में लिखी । प्रस्तुत है उस पत्र का संक्षित्त अंश -
... प्रथम दिन का वृत्तांत मैंने पढ़ा डॉक्टर श्यामाप्रसाद अध्यक्ष थे और उदघाटन नेहरूजी ने किया था । ... नेहरूजी का एक ही भाषण मुझे बहुत ही अच्छा लगा । इस पत्र में यह बात लिखने की यह वजह है कि इससे यह विदित हुआ कि सरकार को इसकी पूरी जानकारी हुई कि उद्योग - धंधे और उत्पादन इनकी ओर बहुत ही सावधान होना परमावश्यक है । अपने राष्ट्र के कोने - कोने को आधुनिक विज्ञान की सहायता से प्रकाशित करना यही एक चीज है जिसने भारत का बल और सौख्य बढेगा । यदि हिन्दुस्थान की खेती यंत्रों की सहायता से की गयी तो इस सुजलां सुफलां राष्ट्रभूमि को पर्याप्त धान्य की पैदाइश होगी बल्कि यहाँ से बाहर अनाज भेजा जा सकेगा । भारतीयों के रहन - सहन और आर्थिक स्थिति के सुधार के लिए यहाँ का सब उत्पादन यंत्र - तंत्र से किया जाना चाहिए । यंत्र प्रधान उत्पादन के साथ - साथ ही श्रमिक और उद्योगपतियों के सहकार्य का प्रश्न भी काफी महत्वपूर्ण है । तुम खुद एक कारखाने के उत्पादक और संचालक हो । तुम्हारा कारखाना सिर्फ आजीविका का एक साधन नहीं है इस बात को मैं पूरी तरह से जानता हूँ । आपने कारखाने के चलाने में और संवर्धन में तुम्हारी प्रेरक शक्ति राष्ट्रीय ध्येयवाद की है । यह बात मुझे और आपके जान पहचान वालों को विदित है । आपकी श्रम करने की तैयारी आपको हमेशा यश देती रहेगी इसमें मुझे शक नहीं है । अब विदेश का माल बाजार में अधिक मात्रा में आ रहा है । यहाँ का उत्पादित माल बेचने में कठिनाई होगी यह सवाल कारखानदारों के सामने खडा है । ... और हमारी सरकार स्वतंत्र भारत की होती हुई भी यही सवाल हमारे कारखानादारों के सामने बहुत दिन तक खडा रहने वाला है इसमें कोई शक नहीं ।
आपका
नथुराम
दि. 02 - 02 -1949
नाथूराम गोडसे द्वारा फाँसी लगने से 5 मिनट पूर्व दिया गया दिव्य संदेश

भारत स्वाभिमान दल परिचय
सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन भारत स्वाभिमान दल
सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन के लिए भारत स्वाभिमान दल की ग्यारह सूत्री कार्य योजना
भारत स्वाभिमान दल - समर्पण निधि योजना 

असली गुंड़े कौन- गौरक्षक V/S राजनेता

जिन्होंने गौचर भूमि को नष्ट किया ।
जिन्होंने गो सेवा आयोग को माध्यम बना गौ माँ का हक भी खाया ।
जो गौ की तस्करी में संलिप्त हैं और उसी पैसे से चुनाव लड़ते हैं और जीतकर नेता बन गए हैं ।
गौ रक्षा कानून बनाने व समान नागरिक संहिता लागू करने का आश्वासन देकर प्रधान मंत्री बनकर गौ माँ का व उसके रक्षको का उपहास उड़ाने वाले मोदी जी ! गलती आपकी नहीं उस कुर्सी की हैं।
किंतु एक बात ध्यान रखें
गौ रक्षक तब भी थे जब मुगलो का शासन था ।
गौ रक्षक तब भी थे जब अंग्रेजों का राज था
गौ रक्षक तब भी थे जब इंदिरा की सरकार थी ।
न मुगल रहे ,न अंग्रेज रहे ।
यही हाल रहा तो आप भी पदच्युत होकर किसी अँधेरी कोठरी में चले जाएंगे
किन्तु गौ रक्षक सदैव रहेंगे हमेशा कारवाँ बढ़ता रहेगा ।
असली गुंडे गौ रक्षक नही बल्कि आपकी सरकार के मंत्री व आपके ही अधिकारी व कर्मचारी हैं । जिन्होंने गौशाला में गायो को भूखी मार दिया।
थोडा गुस्सा उन पर भी दिखाया होता। आपके अनेक जैन मित्र जिनके कत्लखाने हैं देश में
यह बयान आपने ही दिया था ,
फिर असली गुंडे कौन ? थोडा गुस्सा उन पर भी दिखाया होता ।।
 मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा
मांस निर्यात में सबसिडी के तड़के से भारत नंबर वन

भारत स्वाभिमान दल संक्षिप्त परिचय 

मोदी जी आज संघ के स्वयंसेवक शर्मिंदा हैं


भगवा भी शर्मिंदा है, मायूस तिरंगा झंडा है ।
मोदी जी की नजरों मे, गौभक्त बेचारा गुंडा है ।
गौ माता की रक्षा खातिर, भक्त रात भर जागे है ।
गौभक्तो की दहशत से, सब गौ हत्यारे भागे है ।
गौ माता की जय हो का, जो हर दिन नारा देते है ।
अपने बच्चो का हक मारकर गौ को चारा देते है ।
प्रधानमंत्री हमें बता दो,,,,,,,, खून हमारा खौला है ।
किसको खुश करने की खातिर, उनको गुंडा बोला है।
गौभक्त यदि गुंडे होते, ठंडा हथियार नही होता ।
गौ माता की गर्दन पर चाकू से वार नही होता ।
गौभक्त यदि गुंडे होते, तो छक्के छुड़ा दिए होते ।
भारत भर के सलाॅटर हाऊस, बम से उड़ा दिए होते ।
गौभक्त यदि गुंडे होते, तुम मुँह को खोल नही पाते ।
कसम बाँसुरी वाले की, तुम इतना बोल नही पाते ।
दुनिया भर के झंडो पर, ये जग भी भाग्य विधाता होती ।
सब देशों के अंदर गाय, सकल विश्व की माता होती ।
सबसे ऊँची कुर्सी पर सब खुल्ला खुल्ला बोलोगे ।
कल देशभक्त को आतंकी, संतों को दल्ला बोलोगे ।
तुमको जो लगने वाला, वो पाप दिखाई देता है ।
राष्ट्रवाद के चेहरे मे अब साँप दिखाई देता है ।
एक अरब की उम्मीदो ने, तुमको वहाँ बिठाया था ।
सारे देश के गौभक्तो ने मिलकर जोर लगाया था ।
गाँव गाँव और नगर नगर, वो हर कूचे मे घूमे थे ।
सरकार तुम्हारी बनी देखकर, सभी खुशी से झूमे थे ।
गौ माता के हत्यारे,,, संसद से जाने वाले है ।
हमको लगता था गौ के अच्छे दिन आने वाले है ।
हिन्दू ताकत जुड़ी हुई थी, मोदी आज बिखेर दिया ।
भारतवर्ष की उम्मीदो पर,,,,, तुमने पानी फेर दिया ।
अभी समय है, माफी माँग लो, वक्त नही बर्बाद करो ।
थोड़ा सा गंगाजल पी लो, कृष्ण-कन्हैया याद करो ।
गंगा की जलधार बुद्धि का कचरा साफ कर देती है ।
गैया माँ है बच्चो की हर गलती माफ कर देती है ।
वरना देश की गद्दी से, अब तुम्हें उतारा जायेगा ।
पटना तो तुम हार चुके, अब यू.पी. हारा जायेगा ।
साभार कवि : अमित शर्मा (ग्रेटर नोएडा)

मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा
मांस निर्यात में सबसिडी के तड़के से भारत नंबर वन
गौरक्षक के लिए एक्शन और गौ-हत्यारे के लिए सब्सिडी? क्या यहीं हैं भाजपा की विकास नीति ?

भारत स्वाभिमान दल संक्षिप्त परिचय 

गौरक्षक के लिए एक्शन और गौ-हत्यारे के लिए सब्सिडी? क्या यहीं हैं भाजपा की विकास नीति ?

गौरक्षक के लिए एक्शन और गौ-हत्यारे के लिए सब्सिडी???
क्या यही हैं भाजपा की विकास नीति ?
हिन्दुस्थान में गौरक्षा की बात बड़े-बड़े महात्माओं, संतों, समाजसेवैियों, राजनेताओं और क्रान्तिकारियों ने की है, आगे बढ़कर समर्थन भी किया है । छत्रपत्रि शिवाजी महाराज, गुरू गोविन्द सिंह, रामसिंह कूका, गोकुल सिंह, महाराणा प्रताप, सुहेलदेव, स्वामी दयानंद सरस्वती, देवराहा बाबा, संत रविदास, मंगल पाण्डेय, चौधरी हरफूल, लाला लाजपतराय, श्यामजीकृष्ण वर्मा, मदनमोहन मालवीय, वीर सावरकर, महात्मा आनन्द स्वामी, श्रीराम शर्मा आचार्य आदि अनेक संत-महापुरुषों ने गो-संरक्षण हेतु अथक प्रयास भी किये ।
लेकिन वर्तमान में प्रधानमन्त्री मोदी ने काफी कठोर शब्दों का प्रयोग किया है गौरक्षकों के संदर्भ में । उन्होंने बिना किसी गुंजाइश के सभी गौरक्षकों को लपेट दिया, वो भी उन्हें जिन्होंने गायों को बचाने के लिए अपनी जानें दी हैं।
गौ रक्षको में से 80 - 90% लोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS की पृृष्ठभूमि के है, गौ रक्षा करते हुए 200 से अधिक गौ रक्षक गौ रक्षा करते हुए मारे जा चुके है, फिर भी बिना ठोस आधार के मोदी ने 80% गौ रक्षको को गुण्ड़ा बता दिया ?
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) ने 2015 में जो डाटा दिया था, उसके अनुसार, 'आठ करोड़ भारतीय बीफ या भैंस का मांस खाते हैं। उनमें छह करोड़, 34 लाख मुसलमान, और सवा करोड़ हिंदू बीफ या बफेलो खाते हैं। एनएसएसओ के अनुसार कुल मुस्लिम आबादी का 40 प्रतिशत बीफ या बफेलो का मांस खाते हैं, उसके अलावा साढ़े छब्बीस फीसदी ईसाइयों की फुड हैबिट यही है।
पशु कल्याण के लिए सरकार ने 1962 में 28 सदस्यीय एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (एडब्ल्यूबीआई) का गठन किया था जिसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के जरिये फंड भेजा जाता है। 2011-12 में एडब्ल्यूबीआई के लिए 21.7  करोड़ रुपये का आबंटन हुआ था, 2015-16 में यह राशि घटकर 7.8 करोड़ हो गई है। देश भर में चार हजार से अधिक गौशालाओं में साढ़े तीन करोड़ गौवंश हैं। एडब्ल्यूबीआई के चेयरमैन, डॉ. आर.एम. खर्ब के मुताबिक, 'एक गाय पर रोज का ख़र्चा कम से कम सौ रुपये है, मगर केंद्र सरकार से जो अनुदान राशि मिल रही है, उससे गौशालाओं में संरक्षित एक गाय के हिस्से साल में सिर्फ दो रुपये आते हैं।' यह है गाय पर राजनीति करने वाली सरकार का असली चेहरा!
इसके ठीक उलट सरकार ने देश भर के कसाईघरों को आधुनिक बनाने के वास्ते 2002 में दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत 5 हजार 137 करोड़ की राशि का आबंटन किया था, ताकि बीफ  एक्सपोर्ट में हम पीछे न रह जाएं। देश का दुर्भाग्य है कि कसाईघरों के आधुनिकीकरण पर हम हजारों करोड़ खा रहे हैं, मगर पशुओं के संरक्षण के वास्ते सरकार के खजाने में पैसे नहीं हैं।
मोदी_सरकार आने के बाद पहला बजट में पास किया गया जिसमे कत्लखाने खोलने के लिए 15 करोड़ सब्सिडी प्रदान की जाती है ।
2014 में  4.8 अरब डॉलर का बीफ एक्सपोर्ट हुआ था । 2015 में भी भारत, 2.4 मिलियन टन बीफ एक्सपोर्ट कर दुनिया में नंबर वन बन गया।
गाय के नाम पर वोट पाने वाली सरकार गाय के लिए क्या कर ही है ये उपर्युक्त आँकड़े से स्पष्ट है । हजारों कसाई लाखों गायों को हर साल काट रहे हैं उन्हें गुंडा नहीं बोला गया । सरकार को एक सर्वे करवाकर यह पता लगाना चाहिए कि कौन सी ‘दुकानें' ऐसी हैं जो गौरक्षा के नाम पर गाय का मांस बेच रही हैं।
भाजपा शासित राज्यों में अब गौ रक्षकों पर लगाम कसा जाएगा।
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह 23 अगस्त को राज्य संगठन और 27 अगस्त को पार्टी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ होने वाली बैठक में इस मामले पर गंभीर विचार-विमर्श करैंगे।
भाजपा का कहना है कि गोरक्षा के नाम पर विभिन्न राज्यों में हुई घटनाओं में हिंदू महासभा, शिवसेना सहित कई ऐसे संगठनों के नाम सामने आए है ।
गौरक्षा पर पीएम के बयान से गौरक्षक और संत समाज नाराज है। काशी सुमेरु पीठ के शंकराचार्य स्वामी नरेंद्रांनद सरस्वती जी ने कहा, 'क्यों प्रधानमंत्री नहीं देख सकते कि दिल्ली के पाँच सितारा होटलों में गाय का मांस बिक रहा है? पंजाब में गाय के स्तनों में हवा और दूध ठूंसा जा रहा है, क्या प्रधानमंत्री को यह नहीं दिखता ? एक तरफ, उनकी अंतरात्मा कहती है कि गौशालाओं को बंद नहीं किया जाएगा और अब प्रधानमंत्री कहते हैं कि गौरक्षा के नाम पर चल रही दुकानों को बंद किया जाना चाहिए। यह गायों का देश है और उनकी रक्षा होनी ही चाहिए। प्रधानमंत्री का बयान आपत्तिजनक है और गायों की हत्या को बढ़ावा देता है। गौरक्षा करनेवाले दुकानें नहीं चलाते। वे गायों की रक्षा के लिए अपनी जान तक बलिदान कर देते हैं।'
हिंदू महासभा के स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि'पीएम ने किस आधार पर 80 फीसदी गौरक्षकों को गुंडा करार दिया है। इसके लिए वो पीएम को लीगल नोटिस भेजेंगे।' वहीं हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रेसीडेंट चंद्रप्रकाश कौशिक ने कहा कि 'नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के काबिल ही नहीं है। वह वाजपेयी की तरह उसी तरह लौटेंगे जिस तरह वह 2004 में लौटे थे ।
'भारत स्वाभिमान दल' ने गौ रक्षकों की गुण्डा गर्दी को जड़ मूल से समाप्त करने के संबंध में माननीय प्रधान मंत्री महोदय जी को खुला पत्र जारी करते हुये लिखा कि-
"माननीय प्रधान मंत्री जी, आप वास्तव में गौमाता की दुर्दशा से परेशान हैं और गौहत्या के नाम पर देश भर में होने वाली राजनीति को समाप्त करना चाहते हैं तो आप केन्द्र सरकार के माध्यम से गौहत्या विरोधी केन्द्रीय कानून बनाकर देशभर में कठोरता से लागू भी करवा दीजिये, जिससे कि फ़र्ज़ी गौरक्षकों की दुकानें भी बन्द हो जायें और असली गौरक्षकों को कसाइयों से संघर्ष में अपनी जान की बाज़ी भी ना लगानी पड़े.......
और हाँ, जैसा कि आपने कहा कि गन्दगी व कूड़ा-प्लास्टिक से गायों की जान जाती है, तो गौमाता की ऐसी दुर्गति की नौबत ही ना आये, ऐसी सामाजिक सहभागिता के साथ कुछ व्यापक योजनाएँ बनाकर गौवंशों का सदुपयोग किया जाये, गौवंश को अर्थव्यवस्था से कैसे जोड़ा जाये, इस पर केन्द्रीय गौवश मन्त्रालय का गठन कर गंभीरतापूर्वक विचार कर शीघ्रतिशीघ्र प्रयास कीजिये....
कल गौमाता के प्रति चिन्ता व्यक्त करते समय यदि आप अपनी सरकार के प्रतिनिधियों, सांसदों और भाजपाइयों को भी उनके आसपास के क्षेत्रों में दुर्दशा की शिकार गौवंशों की ओर देखने का भी निर्देश देते तो ज्यादा बेहतर होता...., क्योंकि राजनेताओं, प्रशासन तथा हिन्दू समाज की शर्मनाक व दर्दनाक उपेक्षा के कारण ही आज गौमाता सड़कों पर कूड़ा-प्लास्टिक खाने या गौशालाओं में चारे और देखभाल के अभाव में भूख से तड़पने के लिये मजबूर हैं......
80%गौ रक्षक फर्जी होते है उनका डोजियर तैयार करो उनमें अधिकतर रात में असामाजिक काम करते है - आदरणीय प्रधानमन्त्री जी, नकली गौ रक्षको का डोजियर तैयार होना ही चाहिये, साथ ही 99.9% नेता भ्रष्ट होते है उनका डोजियर भी तैयार करा दीजिये, उनमें अधिकतर बलात्कारी, भ्रष्टाचारी, व्यभिचारी, गद्दार, देशद्रोही, गुंडे, माफिया और गौ मांस भक्षक होगें। कृपया नकली गौ रक्षको के साथ उनको भी जेल में डालों ।
मान्य प्रधानमन्त्री जी, गौ रक्षा कानून ही बना दो ना ताकि ये असामाजिक तत्व व फर्जी गौ रक्षक अपने आप ही समाप्त हो जाए। पर क़ानून सिर्फ किताबी न हो उस का कठोरता से पालन भी किया जाए।
'गुजरात में विश्व हिन्दू परिषद ने प्रेस नोट जारी करते लिखा कि '1 लाख से ज्यादा गायों का क़त्ल हो रही है, बावजूद कड़ा कानून नहीं है। गौरक्षक गुंडों के वेश में आते हैं, इस बयान से गौरक्षकों को सदमा लगा है। एक लाख गायों को हत्या करने वाले कसाई गुंडे नहीं और गौरक्षक गुंडे ? हिन्दू समाज को आपका यह परिवर्तन समझ में नहीं आ रहा। गायों को प्लास्टिक खाने से रोकने के लिए आपकी सरकारों के मुख्यमंत्रियों ने क्या किया? अगर 80% गौरक्षक फर्जी हैं तो आपके 10 साल के शासन में आपने न्यायिक प्रक्रिया के तहत कितने लोगों को दंड दिया?'
जब सत्ता में बैठे लोग कानून और संविधान की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं और ढिलाई बरतते है तो गोरक्षक को तो आगे आना ही पड़ेगा । स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि गोरक्षक का नाराज होना जायज है जब गाय की हत्या की जाए,उसे गाड़ियों में मारकर ले जाया जाए। अगर गाय को लेकर सख्त कानून बन जाये तो प्रदेश में इसकी स्मगलिंग को रोका जा सकता है। 
गाय के नाम पर भाजपा के लिए वोट माँगने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने मोदी के सुर में सुर मिलाया ।
भारत में प्रतिदिन लगभग 50 हजार गायें बड़ी बेरहमी से काटी जा रही हैं । 1947 में गोवंश की जहाँ 60 नस्लें थीं, वहीं आज उनकी संख्या घटकर 33 ही रह गयी है । हमारी अर्थव्यवस्था का आधार गाय है और जब तक यह बात हमारी समझ में नहीं आयेगी तबतक भारत की गरीबी मिटनेवाली नहीं है । गोमांस विक्रय जैसे जघन्य पाप के द्वारा दरिद्रता हटेगी नहीं बल्कि बढ़ती चली जायेगी । गौवध को रोकें और गोपालन कर गोमूत्ररूपी विषरहित कीटनाशक तथा दुग्ध का प्रयोग करें । गोवंश का संवर्धन कर देश को मजबूत करें । भारतीय गायों के मूत्र में पूरी दुनियाँ की गायों से ज्यादा रोगप्रतिरोधक शक्ति है । ब्राजील और मेक्सिको में भारत के गोवंशों को आदर्श माना जाता है । वे भारतीय गोवंश का आयात कर इनसे लाभान्वित हो रहे हैं । यदि कार्यपालिका,विधायिका व न्यायापालिका अपने स्तर पर गायों को संरक्षित करने की पहल करें तो लोग कानून को हाथ में लेने की कोशिश नहीं करेंगे । अतः समस्या को समाधान करने की कोशिश होनी चाहिए न कि गंदी राजनीति के द्वारा केवल सत्ता हथियाने की कोशिश । यदि यही नीति जारी रही तो जनता को जबाव देने भी आता है ?
अतः सरकार जल्द से जल्द गौ माता की रक्षा के लिए गौवंश मन्त्रालय व कानून बनायें । जिससे सारे झगडें खत्म हो जाये ।

मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा

मांस निर्यात में सबसिडी के तड़के से भारत नंबर वन

*मोदी सरकार द्वारा मांस निर्यात को दिए प्रोत्साहन के नतीजे सामने आए व 2014-15 में मीट निर्यात से होने वाली आय में 14 फीसद की बढ़ोतरी हुई।*
*बीफ (गोमांस) को लेकर भाजपा चाहे कितना भी हल्ला मचाए पर सच यह है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद न केवल मांस का निर्यात बढ़ा है बल्कि नए बूचड़खाने खोलने व उनके आधुनिकीकरण के लिए 15 करोड़ रुपए की सबसिडी दी रही है। सबसे अहम बात तो यह है कि भले ही हिंदूवादी संगठन धार्मिक आधार पर इसका विरोध कर रहे हों पर सच्चाई यह है कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू हैं।*
*भाजपा सरकार ने पहले महाराष्ट्र में गणेश पूजा के दौरान मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा कर विवाद खड़ा किया था। फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गोमांस की अफवाह के बाद जिस तरह से एक परिवार पर हमला करके उसके एक सदस्य की हत्या कर दी गई उसने बिहार विधानसभा चुनाव में इसे मुद्दा बना दिया। लालू प्रसाद ने गोमांस पर जो बयानबाजी की उससे विवाद और गहरा गया है। संयोग से इसी बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने नवादा की सभा में तत्कालीन यूपीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे।*
*उन्होंने तब कहा था कि मनमोहन सिंह सरकार हरित क्रांति की जगह गुलाबी क्रांति (मांस उत्पादन) पर ज्यादा जोर दे रही है। वह मांस उत्पादकों को सबसिडी व टैक्स में छूट दे रही है।*
*पर जब मोदी की सरकार बनी तो उसने मांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए बूचड़खाने स्थापित करने व पुरानों के आधुनिकीकरण के लिए अपने पहले बजट में 15 करोड़ रुपए की सबसिडी का प्रावधान कर दिया। इसके नतीजे सामने आए और पहली बार देश को बासमती चावल की तुलना में कहीं ज्यादा आय मांस के निर्यात से हुई है। उसने पिछले साल 4.8 अरब डालर की विदेशी मुद्रा अर्जित की।*
*आम धारणा यह है कि मांस का व्यापार गैरहिंदू विशेषकर मुसलमान करते हैं पर तथ्य बताते हैं कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू है। ये हैं – अल कबीर एक्सपोर्ट (सतीश और अतुल सभरवाल), अरेबियन एक्सपोर्ट (सुनील करन), एमकेआर फ्रोजन फूड्स (मदन एबट) व पीएमएल इंडस्ट्रीज (एएस बिंद्रा)।*
*चौंकाने वाला तथ्य यह है कि मोदीजी के गृह राज्य गुजरात में जहां एक ओर नशाबंदी लागू है, वहीं नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद मांस का उत्पादन काफी बढ़ गया। उनके सत्ता में आने के पहले गुजरात का सालाना मांस निर्यात 2001-2 में 10600 टन था जो कि 2010-11 में बढ़कर 22000 टन हो गया।*
*मोदी सरकार द्वारा मांस निर्यात को दिए प्रोत्साहन के नतीजे सामने आए व 2014-15 में मीट निर्यात से होने वाली आय में 14 फीसद की बढ़ोतरी हुई। देश ने चाहे और किसी क्षेत्र में अपना नाम भले ही न कमाया हो पर वह दुनिया का सबसे बड़ा मांस निर्यातक बन गया है। हालाकि बीफ का मतलब गोमांस होता है। भैसों का मांस भी बाहर भेजा जाता है। आमतौर पर बूढ़े बैलों को काटने की अनुमति है।*
*देश में असम, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल में सरकार की अनुमति लेकर व अरुणाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, सिक्किम व त्रिपुरा में बिना किसी अनुमति के गाय भी काटी जा सकती है। इसकी एक ही शर्त है कि उसकी उम्र 10 साल से कम नहीं होनी चाहिए।*
*वर्ष 2014-15 के दौरान भारत ने 24 लाख टन मीट निर्यात किया जो कि दुनिया में निर्यात किए जाने वाले मांस का 58.7 फीसदी हिस्सा है। विश्व के 65 देशों को किए गए इस निर्यात में सबसे ज्सादा मांस एशिया में (80 फीसद) व बाकी अफ्रीका को भेजा गया। वियतनाम तो अपने कुल मांस आयात का 45 फीसद हिस्सा भारत से मंगवाता है।*
*दूसरा नंबर ब्राजील का है जिसने 20 लाख टन निर्यात किया जबकि ऑस्ट्रेलिया 15 लाख टन निर्यात करके तीसरे नंबर पर रहा।*
*भारत के पहले नंबर पर आने की वजह यह है कि यहां का मांस सस्ता होता है क्योंकि यहां दूध न देने वाले या बूढ़े गोवंश को काट देते हैं, जबकि ब्राजील व दूसरे देशों में मांस के लिए ही जीवों को पाला जाता है जिन्हें खिलाने का खर्च काफी आ जाता है।*
*जहां दुनिया को बीफ का निर्यात कर भारत मोटा मुनाफा कमा रहा है वहीं देश में इसकी खपत में कमी आई है। इसकी जगह मुर्गों की खपत बढ़ी है। अहम बात यह है कि मुस्लिम बहुय जम्मू-कश्मीर में बीफ की बिक्री पर प्रतिबंध लगा हुआ है।*
*राजनीति से अलग धननीति:*
*राजग की सरकार ने मांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नए बूचड़खाने स्थापित करने व पुरानों के आधुनिकीकरण के लिए अपने पहले बजट में 15 करोड़ रुपए की सबसिडी का प्रावधान कर दिया। ’इसके नतीजे सामने आए और पहली बार देश को बासमती चावल की तुलना में कहीं ज्यादा आय मांस के निर्यात से हुई है। उसने पिछले साल 4.8 अरब डालर की विदेशी मुद्रा अर्जित की। ’वर्ष 2014-15 के दौरान भारत ने 24 लाख टन मीट निर्यात किया जो कि दुनिया में निर्यात किए जाने वाले मांस का 58.7 फीसद है।*
- विवेक सक्सेना
जनसक्ता समाचार पत्र से साभार
मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा

मोदी जी गौरक्षकों पर क्यों भड़के -एक सच्ची कथा





'Pink Revolution' in India'
भारत ब्रिटिश काल में ही दुनिया के मीट उद्योग का बड़ा चेहरा बन गया था परंतु स्वतंत्रता के बाद काले अंग्रेज़ो के हाथ में सत्ता आते ही यह एक पूर्ण व्यवसाय के रूप में स्थापित हुआ। वर्ष 2009 में भारत ने मीट उद्योग में मानो एक छलांग लगायी और बड़े स्तर पर कत्लखानों को परमिट बांटे गए जहां दिन में लाखों गाय/भैंस कटने लगी। इस बड़ी छलांग को 'Pink Revolution' या मीट क्रांति की उपाधि दी गयी। मात्र 5 वर्षो में ही 2014 में भारत विश्व का सबसे बड़ा बीफ निर्यातक बन गया। वर्ष 2014 में भारत ने 2 मिलियन टन मीट का निर्यात किया और कुल वैश्विक उत्पाद के 20% हिस्से का मालिक बन गया। वर्ष 2014-15 में भारत ने ऊँची छलांग लगायी और 2.4 मिलियन टन बीफ का निर्यात कर विश्व में अपनी बादशाहत कायम रखी। अब भारत के पास बीफ उद्योग में 23.5% की कुल साझेदारी हो गयी। यदि आंकड़ो पर ध्यान दे तो साल 2009 से लेकर वर्ष 2015 तक प्रति वर्ष बीफ निर्यात में 14% की वृद्धि दर्ज हुई है। यही समय था जब भारत के बुद्धिजीवी संगठित हुए और गौ रक्षा हेतु अनेकों संगठनों ने कमर कसी जिसमें विश्व हिन्दू परिषद/बजरंग दल का सबसे प्रमुख योगदान रहा। निडर गौरक्षकों की महनत रंग लायी और पूरे भारत वर्ष में 2015-16 में प्रति दिन के हिसाब से औसतन 60 हज़ार गौवंश को बचाया गया। भारत की बीफ इंडस्ट्री पर यह सबसे बड़ा हमला था। 2014-15 में जहां भारत 2.4 मिलियन टन बीफ निर्यात कर रहा था वही 2015-16 में यह निर्यात घट कर 2 मिलियन टन से भी नीचे आ गया। भारत को पछाड़ ऑस्ट्रेलिया विश्व का सबसे बड़ा बीफ निर्यातक बन गया। गौरक्षो के चलते बीफ निर्यातकों को अरबों रूपये का घाटा झेलना पड़ा। यह वही व्यापारी समूह है जो सरकार को मोटी रिश्वत देता है।
क्या है बीफ का धंदा, एक नज़र -
भारत में एक स्वस्थ गौवंश से औसतन 714 पौंड बीफ निकलता है जो लगभग 314 किलो हुआ। कलकत्ता की मंडी में गौमांस 122 रूपये प्रति किलो की दर से उपलब्ध है तो समझे की यदि एक स्वस्थ गाय को काटा जाये तो उससे 38327 रूपये का मांस मिलेगा। यह वही गाय/गौवंश है जिसे कसाई 18-20 हज़ार में खरीदते है। यदि मोटा-मोटा समझे तो प्रति गाय के कटान से इन्हें 20 हज़ार रूपये का फायदा होता है। आपको सुनकर झटका लगेगा कि कलकत्ता की बीफ मंडी में 122 रूपये की दर से बिकने वाला मीट जब अमेरिका पहुँचता है तो उसकी कीमत 122 रूपये से बढ़ कर लगभग 4 डॉलर यानी 300 रूपये हो जाती है। अथार्त एक गाय जो भारत में कसाई ने मात्र 18-20 हज़ार रूपये में खरीद कर काटी उसकी कीमत अमेरिका पहुँचते ही 94200 रूपये हो जाती है। वैसे बताने की आवश्यकता नहीं की बीफ निर्यात में भारत के सबसे बड़े उद्योग घराने एवम् राजनेता ही है जिन्होंने अपनी ऊँची पहुँच के चलते बीफ निर्यात के परमिट हासिल किये है।
वर्ष 2023 में भारत की आधी जनता को दूध नहीं होगा नसीब - यदि इसी दर से बीफ एक्सपोर्ट बढ़ता रहा तो अगले सात साल में ही भारत के लगभग 40% दुधारी पशु कम हो जायेगे और भारत में दूध नसीब होना केवल अमीरों के भाग्य में ही होगा।
भारत में गौ संरक्षण कानून-
भारत के संविधान के अनुच्छेद 48 में स्पष्ठ रूप से सरकार को गौवंश के संरक्षण हेतु कठोरता से निर्देशित किया गया है। इसका बाद भी मात्र 25 राज्यो ने ही गौरक्षा कानून बनाये। भारत के 29 राज्यो में से 10 राज्यों में गौकशी वैध है, उत्तरपूर्व के 7 राज्य, बंगाल, तमिल नाडु एवम् असम। भारत में हर राज्य में गौरक्षा का अलग कानून है परंतु गौवंश को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाने पर जिलाधिकारी कार्यालय की मंजूरी आवश्यक है। अगर सच कहूँ तो भारत के गौरक्षा कानून में कोई कमी नहीं पर जब इसे लागू करने की बात आती है तो कहीं पुलिस बिक जाती है कहीं सरकार ऐसे में गौमाता को बचा पाना लगभग असंभव है। विवश होकर बजरंग दल जैसे हिन्दू राष्ट्रवादी संगठनों को यह बीड़ा उठाना पड़ता है।
अब यह मैं आपके विवेक पर छोड़ता हूँ कि क्या सच में मोदी जी के इन बीफ निर्यातक दोस्तों के गुलाबी धंदे को बचाने के लिए हम इनका विरोध बंद कर दे! हम समाज का काम करते है और यदि समाज ही सच्चे गौभक्तों को अपराधी और गुंडा कहे तो हमारा जीवन ही व्यर्थ होगा।
साभार
अमित तोमर (अधिवक्ता)
देहरादून
सभी आंकड़े USDA (United States Department of Agriculture) जो बीफ उद्योग की एक मात्र सर्वे करने वाली संस्था से लिए गए है।
(प्रार्थना - सत्ता की दलाली में इतने अंधे मत हो जाओ की धर्म भी दिखाई न दें।)


अब समय आ गया है मोदी जी का डोसियर बनाने का .....

वो कैराना से भागे हुए हिंदुओं पर कुछ नहीं बोले.
वो बुलंदशहर में दरिंदगी की शिकार हुई बिटिया पर भी नहीं बोले.
केरल और बंगाल में मारे गए सैकड़ों स्वयंसेवकों पर उनकी चुप्पी नहीं टूटी.
जब मालदा में लाखों दरिंदे शासन व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, शासन को चुनौती देकर एक आदमी के खून के प्यासे हो रहे थे तो उन्हें बोलना जरूरी नहीं लगा.
जब उनकी सत्ता की नाक के नीचे, उनकी दिल्ली में एक यूनिवर्सिटी में खुले आम देश के टुकड़े करने के नारे लग रहे थे तो उन्हें कुछ बोलना नहीं सूझा.
जब एक स्टूडियो में बैठ कर एक दलाल पत्रकार एक आतंकी को शहीद बताता है तो क्या बोलना है उन्हें पता नहीं.
आज तक पकिस्तान के पैसे से पलने वाले देशद्रोही पत्रकारों का डोसियर नहीं बना पाए.
जब एक पत्रकार खुलेआम घर घर जाकर लोगों की जाति पूछकर जातिवाद फैलाता है तो उन्हें यह कुछ बोलने लायक बात नहीं लगती.
जब ओबामा उनकी बगल में बैठ कर देश को जातिगत आधार पर टुकड़े टुकड़े करने की धमकी देकर जाता है तो वहाँ कुछ बोलने की उनकी औकात है भी नहीं...पर जब उसकी शह पर और उसके इशारे पर पूरे देश में एकाएक असहिष्णुता का बीन बजने लगता है तो किसे क्या बोलें उन्हें पता नहीं लगता.
रोज हमारे दल्ले पत्रकार एक के बाद एक झूठ बोल कर समाज में जातिवाद का ज़हर फैला रहे हैं...उन्हें इस पर कुछ नहीं बोलना...
राष्ट्र के नाम खुले मंच से उन्हें बोलना जरूरी हो जाता है कि कहीं किसी ने कोई गुंडागर्दी की ... वो सारे गोरक्षक थे...
जब किसी चर्च पर कोई एक पत्थर फेंक देता है तो वे बोलते हैं कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा...
हिन्दुओं का धर्मान्तरण कितना भी हो, लेकिन यदि किसी गैर हिन्दू का शुद्धिकरण कर घर वापसी कराई तो खबरदार...
वे ट्विटर से देश को खुशखबरी देते हैं कि किस पादरी को अफगानिस्तान से बचा लिया गया...
उन्हें बोलना जरूरी हो जाता है कि रोहित वेमुला देशभक्त था...
आप बैकफुट पर हो. आप पर प्रेशर है बौद्ध+मुस्लिम वोट छींटकने का...आप पर प्रेशर है कम्युनल कहलाने का...आप पर प्रेशर है कि विदेशी इन्वेस्टर नहीं आएंगे. पर ये झूठ फैला कर आप पर यह प्रेशर बना कौन रहा है ?
मीडिया...जिसपर कोई एक्शन लेने का आपमें गूदा नहीं है. आपमें रविश से यह सवाल पूछने की हिम्मत नहीं है कि वह किस हक़ से एक आतंकवादी के पक्ष में प्राइम टाइम करता है. बरखा से यह पूछने की हिम्मत नहीं है कि वह कश्मीर के मुद्दे पर पकिस्तान की भाषा किस हक़ से बोलती है.
किसी ने की होगी कहीं गोरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी. पर आपमें हिम्मत है तो गोवध रुकवा कर उनकी दुकान बंद करवा दें. गायें प्लास्टिक खाकर मरती हैं...लगा दीजिये प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध.
आप किस विषय पर मुंह खोलते हैं और कब चुप्पी साध लेते हैं, यह पैटर्न बहुत साफ़ है. आप वहां बोलते हो जहाँ कोई हिन्दू संगठन निशाने पर होता है. पर जब इस्लामिक आतंक के पैरोकारों के खिलाफ बोलने का वक़्त आता है, जब देश को तोड़ने की कोशिश में लगे गद्दारों के खिलाफ बोलने का वक़्त आता है तो आपकी बोलती बंद हो जाती है. भीतर ही भीतर आप उन्ही मीडिया वालों से अप्रूवल लेने के लिए बोलते हो, जो देश तोड़ने वालों के साथ खड़े हैं.
आप पर तरस आता है साहब...!!!
गौहत्या पर प्रतिबंध के विरूद्ध गांधी व गांधीवादी नेता
अस्सी प्रतिशत गो रक्षक "गोरखधंधा" करते हैं राज्य सरकारें इस पर कार्यवाही करें - नरेंद्र मोदी
भारत स्वाभिमान दल परिचय सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन भारत स्वाभिमान दल
सम्पूर्ण व्यवस्था परिवर्तन के लिए भारत स्वाभिमान दल की ग्यारह सूत्री कार्य योजना
भारत स्वाभिमान दल - समर्पण निधि योजना 

अस्सी प्रतिशत गो रक्षक "गोरखधंधा" करते हैं राज्य सरकारें इस पर कार्यवाही करें - नरेंद्र मोदी

'80 % गो रक्षक "गोरखधंधा" करते हैं राज्य सरकारें इस पर कार्यवाही करें गायो का इतना क़त्ल नहीं होता गाय प्लास्टिक खाने से मरती हैं। '
ये मैं नहीं कह रहा आपके प्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का बयान है।
समय समय की बात है कभी पिंक रेवोलुशन के नाम पर वोटों की भिक्षा मांगने वाले आज गौ रक्षकों को धंधेबाज कह रहे हैं।
ये नौजवान गौरक्षक यमराज को साथ लेकर चलते हैं, कब कौनसा ट्रक वाला इन पर अपना ट्रक चढ़ा दे पता नहीं होता। मरने के बाद भी कोई फूल माला चढाने नहीं आता, ना बीवी बच्चों की फिकर ना मृत्यु का भय। इस साल में 200 से ज्यादा गौ रक्षक बलिदान हो चुके हैं कुछ को गोली मार दी और कुछ को एक्सीडेंट में मार दिया।  पर कितने गौ तस्कर मरे??? इतना जघन्य अपराध के बाद भी इन्हें पिटाई करके छोड़ दिया जाता है।
गौ संवर्धन तो गया भाड़ में जो बिचारे कर रहे हैं उन्हें भी गाली दो, यही है इनकी राजनीति।
फिर से चुनाव आएंगे फिर ये सियार रंग पोत पोत के आ जाएंगे वोटो की भीख मांगने और फिर हम इन्हें अपना समझकर वोट दे देंगे और ऐसे ही एक दिन आयेगा जब रोगियों से भरा ये देश गौ वंश विहीन हो जाएगा।
जितनी गायें कत्ल करने से नहीं मरती हैं, उससे अधिक प्लास्टिक खाने से मरती हैं। यानी आप कत्ल होती गायों को छोड़ो, कटती है तो कटने दो। आप गायों को प्लास्टिक मत खाने दो ताकि गौ भक्षकों को शुद्ध मांस मिले, ताकि रेड मीट खाने से जो बीमारियां होती है, वो थोड़ी कम हो। गौ के कत्लखाने चलाने वाले खुश हो जाये, अब उनके पास प्लास्टिक रहित शुद्ध गायें कटने के लिए आएँगी, और दुगुना तिगुना दाम देकर जाएँगी। ‪
वाह मोदी जी‬
प्लास्टिक खाने से तो गायें नही मरनी चाहिए, यह गौ सेवकों का देश है। लेकिन भले ही मात्रा कम या ज्यादा हो, कटने से जो मरती है उसपर भी रोक लगनी चाहिए,, क्योंकि यह गौ सेवकों का देश है। एकबार भी ऐसा बोला क्या..? वाह मोदी जी
प्लास्टिक पर प्रतिबंध खुद लगायेगे, गौचर पर से सरकारी कब्जे खुद हटवाइये, पिंक रेवोलुशन पर खुद लगाम लगायेगे, गौमांस निर्यात पर खुद रोक लगायेगे, अत्याधुनिक कसाईखानों में प्रयोग होने वाली मशीनरी पर खुद रोक लगवायेगे, कसाईखाने खुद जलायेगे, स्वदेशी गौवंश का सम्वर्धन करायेगे, गोवंश आधारित अर्थव्यवस्था बनवायेगे, एकबार बोले क्या...
मोदी जी यह भी बोल देते कि इस देश के 90 प्रतिशत नौकरशाह कामचोर और भ्रष्ट हैं, जो पैसे लेकर गाये से लदी ट्रकों को बॉर्डर पार करबाते हैं, और पैसे लेकर नाक के नीचे कत्लखाने चलवाते हैं, इस पर लगाम लगाने की जरूरत है, तो देश की जनता को खुशी होती।
मोदी जी की सलाह सर आँखों पर..
जो लोग गायों को कटने से रोकने के लिए जान की बाजी लगाकर रात रात भर पहरा देते हैं
कसाईयों के ट्रकों का पीछा करते हैं
वे गुंडागर्दी न करें
कसाईयों को पकड़ कर पीटें मत
बल्कि उनको गांधी का भजन गा गाकर उनका ह्रदय परिवर्तन करें
गाँधी टोपी पहनकर कसाईयों के ट्रक रोकें...
गायों को कसाईखाने ले जाने वालों के सामने भारी भारी वर्ड फेंकें
अहिंसा ...प्रेम ...आत्मा संतुलन....
ह्रदय परिवर्तन ...!!!
हो सके तो लाठी नहीं बल्कि चरखा लेकर सड़क किनारे खड़े रहें
कसाईयों को पेशाब नहीं
ठंडा ठंडा रूह अफजा का शरबत पिलाना चाहिए
मोदी जी...
सही पकड़े हैं...
भारत स्वाभिमान दल परिचय

गौहत्या पर प्रतिबंध के विरूद्ध गांधी व गांधीवादी नेता

मोहनदास कर्मचन्द गांधी कहा करते थे कि गौरक्षा करने से मोक्ष मिलता हैं । सन 1921 में गोपाष्टमी के अवसर पर पटौदी हाउस में एक सभा के अन्दर , जिसमें हकीम अजमल खान , डॉ. अन्सारी , लाला लाजपतराय , पं. मदन मोहन मालवीय आदि उपस्थित थे , तभी इन सभी लोगों के समझ एक प्रस्ताव पास कराया गया कि -
" गौहत्या को अंग्रेजी सरकार कानूनी दृष्टि से बन्द करे , नहीँ तो देशव्यापी असहयोग आन्दोलन आरम्भ किया जायेगा । "
इसके बाद कांग्रेस के कार्यक्रमों में ' गौरक्षा ' सम्मेलनों का आयोजन होने लगा । ( आर्गनाइजर 26 फरवरी 1995 द्वारा रमाशंकर अग्निहोत्री )
परन्तु गांधी ने यह पाखण्ड केवल हिन्दुओं को अपना अनुयायी बनाने के लिए किया था ।
15 अगस्त 1947 को भारत के आजाद होने पर देश के कोने - कोने से लाखों पत्र और तार प्रायः सभी जागरूक व्यक्तियों तथा सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा भारतीय संविधान परिषद के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के माध्यम से गांधी को भेजे गये जिसमें उन्होंने मांग की थी कि अब देश स्वतन्त्र हो गया हैं अतः गौहत्या को बन्द करा दो । तब गांधी ने कहा कि -
" राजेन्द्र बाबू ने मुझको बताया कि उनके यहाँ करीब 50 हजार पोस्ट कार्ड , 25 - 30 हजार पत्र और कई हजार तार आ गये हैं । हिन्दुस्तान में गौ - हत्या रोकने का कोई कानून बन ही नहीं सकता । इसका मतलब तो जो हिन्दू नहीं हैं , उनके साथ जबरदस्ती करना होगा . . . . . . जो आदमी अपने आप गौकुशी नहीं रोकना चाहते , उनके साथ मैं कैसे जबरदस्ती करूँ कि वह ऐसा करें । इसलिए मैं तो यह कहूँगा कि तार और पत्र भेजने का सिलसिला बन्द होना चाहिये इतना पैसा इन पर फैंक देना मुनासिब नहीं हैं । मैं तो अपनी मार्फत सारे हिन्दुस्तान को यह सुनाना चाहता हूँ कि वे सब तार और पत्र भेजना बन्द कर दें । भारतीय यूनियन कांग्रेस में मुसलमान , ईसाई आदि सभी लोग रहते हैं । अतः मैं तो यही सलाह दूँगा कि विधान - परिषद् पर इसके लिये जोर न डाला जाये । " ( पुस्तक - ' धर्मपालन ' भाग - दो , प्रकाशक - सस्ता साहित्य मंडल , नई दिल्ली , पृष्ठ - 135 )
गौहत्या पर कानूनी प्रतिबन्ध को अनुचित बताते हुए इसी आशय के विचार गांधी ने प्रार्थना सभा में दिये -
" हिन्दुस्तान में गौ-हत्या रोकने का कोई कानून बन ही नहीं सकता । इसका मतलब तो जो हिन्दू नहीं हैं उनके साथ जबरदस्ती करना होगा । " - ' प्रार्थना सभा ' ( 25 जुलाई 1947 )
हिन्दुस्तान ( 26 जुलाई 1947 ) , हरिजन एवं हरिजन सेवक ( 26 जुलाई 1947 )
अपनी 4 नवम्बर 1947 की प्रार्थना सभा में गांधी ने फिर कहा कि -
" भारत कोई हिन्दू धार्मिक राज्य नहीं हैं , इसलिए हिन्दुओं के धर्म को दूसरों पर जबरदस्ती नहीं थोपा जा सकता । मैं गौ सेवा में पूरा विश्वास रखता हूँ , परन्तु उसे कानून द्वारा बन्द नहीं किया जा सकता । "
( दिल्ली डायरी , पृष्ठ 134 से 140 तक )
इससे स्पष्ट हैं कि गांधी की गौरक्षा के प्रति कोई आस्था नहीं थी । वह केवल हिन्दुओं की भावनाओं का शौषण करने के लिए बनावटी तौर पर ही गौरक्षा की बात किया करते थे , इसलिए उपयुक्त समय आने पर देश की सनातन आस्थाओं के साथ विश्वासघात कर गये ।
7 नवम्बर 1966 को गोपाष्टमी के दिन गौरक्षा से सम्बन्धित संस्थाओं ने संयुक्त रूप से संसद भवन के सामने एक विशाल प्रदर्शन का आयोजन किया जिसमें तत्कालीन सरकार से गौहत्या बन्दी का कानून बनाने की मांग की गई । इस प्रदर्शन में भारत के प्रत्येक राज्य से करीब 10 - 12 लाख गौभक्त नर - नारी , साधु - संत और छोटे - छोटे बालक - बालिकाएं भी गौमाता की हत्या बन्द कराने इस धर्मयुद्ध में आये थे ।
उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री पद पर थी और गुलजारिलाल नन्दा गृहमंत्री थे । श्री नन्दा जी ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को परामर्श दिया कि इतनी बडी संख्या में देशभर के सर्व विचारों के जनता की मांग गौहत्या बन्दी का कानून स्वीकार करें । तब इंदिरा गांधी ने कठोरता से कहा " गौहत्या बन्दी का कानून बनाने से मुसलमान और ईसाई समाज कांग्रेस से नाराज हो जायेंगे । गौहत्या बन्दी का कानून नहीं बन सकता । " इंदिरा के न मानने पर गुलजारिलाल नन्दा ने अपने गृहमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया और गौभक्त भारतीयों के इतिहास में अमर हो गये ।
उधर इंदिरा गांधी ने प्रदर्शन खत्म कराने के लिए निहत्थे अहिंसक गौभक्तों प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवा दी जिसमें अनेकों साधुओं व गौभक्तों की हत्याएँ हुई । इंदिरा गांधी ने यह नृशंश हत्याकाण्ड गौपाष्टमी के पर्व पर कराया था अतः विधि का विधान देखिये कि - इंदिरा गांधी की हत्या भी गौपाष्टमी को हुई थी , संजय गांधी की दुर्घटना में मृत्यु भी अष्टमी को हुई , राजीव गांधी की हत्या भी अष्टमी को हुई , गौहत्या के महापाप से गांधी - नेहरू परिवार का नाश हो गया । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राजनीतिक शाखा भाजपा की केंद्र सरकार भी गांधी की नीतियों पर चल रही हैं, नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा गौरक्षको का दमन किया जा रहा हैं ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के इतने दिन बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर गौहत्या बन्दी का कानून न बन पाना भारतीयों के लिए बडे ही दुःख और अपमान की बात हैं । हे परमात्मा , नेहरू के वंशजों और गांधी के अनुयायी इन राजनेताओं को सद्बुद्धि दो । भारत की प्राणाधार गौमाता की हत्या बन्दी का कानून सम्प्रदायवाद की भावना से उठकर शीघ्र बने यहीं प्रार्थना हैं ।
-विश्वजीत सिंह अनन्त
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल
 

क्यों झूठ बोलते हो साहब कि चरखा चलाने से आजादी पाई थी..?

एक नेता जी की बीवी के साथ कोई जबरदस्ती कर रहा था तो वो नेता जी भागकर अंदर गए और चरखा उठा लाये और चलाने लगे। बीवी को गुस्सा आया और वो चिल्लाई : तुम पागल हो क्या ये गुंडा मेरे साथ गलत कर रहा है और तुम चरखा चला रहे हो ?? पति : चरखे से तो अंग्रेज भाग गए फिर ये किस खेत की मूली है ये भी भाग जाएगा! ये कहकर नेता जी चरखा और जोर से चलाने लगे जब तक वो गुंडा उस नारी के साथ और ज्यादा बदतमीजी करता रहा! बीवी रोती हुई गुस्से में पति से बोली छोडो ये चरखा और pls मुझे बचाओ! ये सुनकर पति ने चरखा side में पटका और उठकर बलात्कारी के निकट गया और पूरी विनम्रता से बोला मेरी पत्नी को छोड़ दीजिये! इतना सुनते ही उस गुंडे ने पति के एक खेंचके झाँपट मार दिया! तो पति ने दूसरा गाल आगे कर दिया और फिर बोला pls मेरी बीवी को छोड़ दीजिये उस गुंडे ने दूसरे गाल पे भी एक कसके झाँपट मार दिया पति बेहोश हो गया! इतने में एक भगत सिंह नाम का वीर वहाँ से गुजरा, उसने जब चीख पुकार सुनी तो वो अंदर गया और उस महिला को बचाने के लिए गुंडे से भिड़ गया और आखिर में उस गुंडे को भगा दिया! उस औरत ने भगत सिंह को धन्यवाद दिया, तभी पुलिस वहाँ पहुंच गयी तो पत्नी ने सारा क्रेडिट अपने पति को दे दिया और दोनों लाल गाल दिखा कर पति ने बहादुरी के सबूत दिखा दिए, पुलिस ने उस पति को वीरता चक्र दिया और भगत सिंह को पकड़ के गुंडा गर्दी करने के आरोप में जेल में डाल दिया !
नोट:- इस घटना का इतिहास से कोई लेना देना नही है.. कितने झूले थे फाँसी पर और कितनों ने गोली खाई थी, क्यों झूठ बोलते हो साहब कि चरखा चलाने से आजादी पाई थी..?????????
-विश्वजीत सिंह अनन्त
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल
आओं भारत स्वाभिमान दल के सदस्य बनकर देश के अमर बलिदानियों के सपनों के भारत का पुनर्निर्माण करें ।

हिन्दू वीरों आंखे खोलो करनी अब तैयारी है


*हिन्दु वीरों आंखे खोलो करनी अब तैयारी है
देश और धर्म की रक्षा की अब अपनी बारी है
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हिंदु और हिंदुत्व पर देखो काले बादल छाए हैं
देशधर्म और संस्कृति पे दुश्मन नजर बिछाए हैं
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देख हिन्द के घर औ बाहर गद्दारों का डेरा है
सावधान रहना होगा हर तरफ चोर लुटेरा है
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सदियों से हैं हम बंटे रहे होना साथ जरुरी है
जातिवाद के कीचड़ से उठना आज जरुरी है
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अपनी भारत थी अखंड दुष्टों ने की इसे खंड
हम आपस में बंटे रहे जातियता का ले घमंड
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सदियों से हम जुर्म सहे भारी अत्याचार हुआ
धर्म और आस्था पे वार हुआ खिलवाड़ हुआ
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मुगल तुर्क चंगेजो के कुकृत्य नहीं हम भुले हैं
कामी अलाउद्दीन की घिन्न कृत्य ना भुले हैं
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चौहह हजार विरांगनाऐं पद्मिनी ना भुला हूं
कुद गई वो अग्निकुंड में दर्द नहीं मैं भुला हूं
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कैसे भूलूं औरंगजेब संभाजी को तरपाया था
कैसे भूलं मैं टीपु को जो नरसंहार मचाया था
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कैसे भूलूं मैं शाहजहां की क्रुर शैताानी को
चौदह साल की कन्या से हुई क्रुर हैवानी को
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कैसे भूलूं बाबर को जिसने भारी पाप किया
श्रीराम के मंदिर पर नाम बाबरी लाद दिया
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भुले नहीं सिकन्दर को नगरकोट के मंजर को
खंडित मुर्ति मां दुर्गा की सने खूं से खंजर को
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संयोगिता की कुर्बानी चिश्ती की वो हैवानी
गुरु गोविन्द के बेटे से की उसने जो शैतानी
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मासुम फतेह जोरावर को दिवार में चुनवाया
बंदा वैरागी को गर्म लोहे से चमरी जलवाया
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अकबर दुष्ट दरिंदे ने जाने कितना जुर्म किया
हिन्दुस्तान के लोगों से जीते जी जुल्म किया
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क्या कारण था मुट्ठी भर शैतानों ने राज किया
पृथ्वीराज राणाप्रताप को ना सबने साथ दिया
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जब भी हमने हारा है घर के दुश्मन से हारे हैं
वरना औकात कहां किसमें जयचंदो से हारे हैं
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आज वही पल फिर आया है सावधान रहना
काश्मीर को देख लिए देखे तुम लिए कैराना
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पर हिन्दुत्व है आज भी जिन्दा सदा रहेगा
हिन्दुत्व ना झुका कभी आगे भी नहीं झुकेगा
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कहे कवि उदय शंकर मिट गए मिटाने वाले
भरत वंश की माटी पर द्रोह रचाने वाले
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देशधर्म निजधर्म की रक्षा जन्मों जनम करेंगे
शपथ हमें इस देवभुमि की रक्षा सदा करेंगे*

भारत स्वाभिमान दल परिचय

गीता जयंती के उपलक्ष्य में

।। ॐ ।। गीता जयंती के उपलक्ष्य में l
आज गीता जयंती है . भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह दिव्य सन्देश तब दिया था जब वह दुविद्या में था । एक ओर मोह था और दूसरी ओर युद्ध क्षेत्र में आये योद्धा का कर्तव्य । मोह ने अर्जुन को इतना निर्जीव बना दिया था कि वह अपना धुनष तक नही उठा पा रहा था , इस किंकर्तव्य की स्थिति में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को गीता का दिव्य सन्देश दिया और महाभारत का युद्ध जीत लिया गया ।
ज्ञान की इस अलौकिक धरोहर को अगर हम ने अभी तक नहीं पढ़ा और समझा तो गीता जयंती के उपलक्ष्य में गीता के 18 अध्याय आगामी 18 दिनों के पढ़ें और जाने कैसे जीवन के युद्ध क्षेत्र में जब भी कोई दुविद्या हो तब उससे अर्जुन की भांति कैसे उस पर विजय पायी जाये ।
श्री गीता जयंती पर सभी सनातन धर्मी मनुष्यों का अभिवादन एवं शुभकामनाएँ। ईश्वर करें हमारे जीवन में भी कृष्ण चेतना घट जाये और हम अपने कर्तव्य पथ पर आरूढ़ हो जाये। ॐ ॐ ॐ
सनातन संस्कृति संघ/भारत स्वाभिमान दल 
 भारत स्वाभिमान दल परिचय
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निर्भयता की प्रतिमूर्ती स्वामी श्रद्धानंद

23 दिसम्बर का दिन प्रेरणा देने का है क्योंकि इस दिन धर्म के लिए बलिदान हुये युग प्रवर्तक स्वामी श्रद्धानंद जी,
स्वामी श्रद्धानंद जिन्होंने अपनी निश्छल प्रवृत्ति के चलते कालनेमिवादियों गोपाल कृष्ण गोखले आदि द्वारा रचे गये मायाजाल से अनभिज्ञ होने के कारण मोहनदास करमचंद गांधी को पूरी दुनिया में महात्मा की उपाधि देकर पहचान दिला दी थी। उन स्वामी श्रद्धानंद जी का बलिदान दिवस (२३ दिसम्बर १९२६)है, कितने लोगों को पता है।
अफ्रीका के सत्याग्रह आंदोलन के लिये गुरूकुल, कांगडी के ब्रह्मचारियों ने भोजन में दूध बंद कर, एक बांध पर मजदूरी द्वारा 1500 रू इकठठ्े कर अफ्रीका ऐसे समय दिये, जब गोखले ने बताया कि आंदोलन का काम धन की कमी के कारण अटक रहा था। यह बात अलग है कि भारत से जो धन सत्याग्रह आंदोलन के नाम पर अफ्रीका ले जाया गया, वो आन्दोलन में लगा था अथवा नहीं एक संदेहस्पद विषय हैं। क्योंकि मोहनदास गांधी तो अफ्रीका में ब्रिटिशों की खुलकर सहायता कर रहे थें, दक्षिणी अफ्रीका के जुलू आंदोलन को दबाने के लिए ब्रिटिश सरकार की ओर से स्वयंसेवक बने, और बाद में उन्होंने ब्रिटिशों की और से बोअर युद्ध में भी सक्रीय भाग लिया था। 1916 में गांधी जी जब अफ्रीका से भारत आये तो कालनेमिवादी नीति के चलते अपने प्रभाव जमाने के लिए स्वामी श्रद्धानंद जी की कुटिया में श्रद्धा व आदर से स्वामी श्रद्धानंद जी के पैर छुये, परिचय दिया- मैं आपका छोटा भाई, मोहनदास करमचंद गांधी। निश्छल स्वामी जी ने उनकी मीडिया प्रचारित योग्यता व तत्कालीन व्यवहार को देखकर गांधी को ‘‘महात्मा’’ कहकर गले लगाया। इसके बाद से गांधी महात्मा के नाम से प्रसिद्ध हो गये।
मैकाले की शिक्षा पद्धति के कारण जब लोग गुरूकुल की बात करने पर ठहाके लगाकर हंसते थे, तब सन् १८६८ में गुरूकुल खोलकर शिक्षा देने के लिए १८ महीने तक सभी काम छोडक़र , बिना घर जाये ४० हजार रूपये इकठठ्े करने वाले जालंधर के जाने माने वकील  ‘‘लाला मुंशीराम’’ अर्थात स्वामी श्रद्धानंद ने गुरूकुल परंपरा शुरू कर हिन्दू समाज को जाति-पाति, ऊँ च-नीच , छुआछूत धर्मान्तरण रोककर समरसता, समानता तथा घर वापिसी कर (पुन: हिन्दू बनाकर) हिन्दू समाज को संगठित किया। गुरूकुल शुरू करने के लिए अपने दोनों बच्चों के साथ अपने १२ से १५ मित्रों के बच्चों को गुरूकुल में पढ़ाकर हिन्दुत्व को बचाने की शुरूआत की। वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने मातृभाषा के द्वारा शिक्षा देने के महत्व को समझा। कलकत्ता विश्वविद्यालय आयोग के प्रधान मि. सैडलर ने स्वीकार किया,  कि मातृभाषा में शिक्षा देने के परीक्षण मे गुरूकुल को अपार सफलता मिली। मित्र रेग्जे मैकडानल जो इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री भी रहे, उन्होंने लिखा है कि भारत में जिन्होंने राजद्रोह के बारे में पढ़ा है, उन्होंने गुरूकुल का नाम अवश्य सुना होगा।
न्यूस्टेटस मैन ने १९१४ में पत्र लिखा कि गुरूकुल की सबसे बड़ी विशेषता, जाति पाति का भेदभाव दूर कर दिया। सात वर्ष की आयु का बालक पच्चीस वर्ष तक की आयु में देश के पूरे सेवक बन जाते हैं। गुरूकुल के माध्यम से जाति-पाति धुआछूत के कोढ़ को दूर कर हिन्दू समाज को समान भाव से स्वामी श्रद्धानंद जी ने खड़ा कर दिया। इसी कारण उन्होंने अपने दोनों बेटों तथा बेटी का विवाह समाज के विरोध के बाद भी अन्तर्जातिय ही किया।
बेटी एक दिन स्कूल से घर आती है तो गीत गाती है-
तू तो ईसा-ईसा बोल, तेरा क्या लगेगा मोल।
ईसा मेरा रमैया, ईसा मेरा कृष्ण कन्हैया।।
स्वामी श्रद्धानंद ने उठी समय धर्म अनुकूल शिक्षा का संकल्प लेकर, सन् १८९० में जालंधर में ‘‘कन्या महाविद्यालय’’ शुरू किया। हिन्दी प्रांतों में स्त्री शिक्षा का बहुत बड़ा स्त्रोत यही शिक्षा संस्थान रहा है।
पंजाब की जिस भूमि में पानीपथ के तीन युद्ध पठान, मुगलों के लगातार आक्रमण ने जिस समाज को सुदृढ़ व संघर्षशील तो बनाया किन्तु विद्यार्थियों के साथ रहने के कारण हिन्दू संस्कृति व सभ्यता को भूल गया। इसी कारण अंग्रेजों ने पंजाबियों को अपने साथ मिलाकर रखने का सतत् प्रयत्न किया। १८५७ के संग्राम में पंजाब की सेना ने अंग्रेजों का साथ दिया। अंग्रेजों ने बड़ी योजना से इस समाज में फैशन परस्ती, अंग्रेजियत तथा ईसाईयत को बढ़ावा देते रहे तथा नौकरी देकर अपने राज्य को मजबूत बनाया।
स्वामी श्रद्धानंद जी ने समझ लिया कि, बिना भाषा प्रचार के धर्म प्रचार नहीं तो सकता क्योंकि हिन्दू धर्म की सभी पुस्तकें हिन्दी तथा संस्कृत में है। इसी कारण जालंधर अपने निवास स्थान से प्रचार आरंभ किया। अपनी ससुराल तथा उच्च पदस्थ तथा प्रसिद्ध व्यक्ति होने पर भी स्वामी श्रद्धानंद ने वर्षों तक एक तारा बजाकर प्रात काल शहर में भजन व दोहे गाते थे। उन्हें भिखारी समझकर कुछ देविया अन्न वस्त्र दान देती, तो उन्हें लाकर आर्य समाज मंदिर में जमा करा देते थे।
कोकीनाड़ा के कांग्रेस अधिवेश में मौलाना मोहम्मद अली ने कहा कि- अछूत तो लावारिस माल है, इन्हें हिन्दू-मुसलमान को आधा-आधा  बांट लेना चाहिए। इससे स्वामी जी के मन को गहरी चोट लगी और कांग्रेस से मतभेद हो गया। हिन्दुत्व की रक्षा करना उनका अटल ध्येय था। इसी कारण हिन्दू संगठन का कार्य आरंभ किया। उन्होंने देखा कि दिल्ली के आसपास गांव में ईसाई प्रचारक दलित बंधुओं को अहिन्दू बनाने का कार्य कर रहे है। तब उन्होंने ‘‘दलितोंद्वार सभा’’ की स्थापना कर अछूतों को नागरिक अधिकार दिलाने का कार्य आरंभ किया।
ख्वाजा हसन निजामी नामक मुसलमान लेखक ने ‘‘दार ए इस्लाम’’ नामक पुस्तक में हिन्दुओं को मुसलमान बना हिन्दू विधवाओं को बहलाकर निकाह करने की युक्तियों का वर्णन किया था। यह जानकारी समाचार पत्रों के माध्यम से हिन्दू समाज को प्राप्त होने पर सनसनी फैल गई। स्वामी जी ने ‘‘भारतीय शुद्धि सभा’’ की स्थापना गैर हिन्दुओं को शुद्ध कर घर वापिसी का कार्य प्रारंभ किया।
मथुरा, आगरा, भरतपुर तथा आसपास के मलकाना राजपूत जो दबाव में मुसलमान बन गये थे। हिन्दू रस्मों को आज भी मानते थे। उनसे बातचीत कर, पुन: शुद्ध कर पांच लाख से अधिक मुस्लिमों को सम्मेलन कर घर वापिसी कर हिन्दू बनाया । इससे देश भर के हिन्दुओं में जोश व नई जागृति फैल गई। इस कारण कट्टपंथी मुसलमानों का बैर भाव भी स्वामी श्रद्धानंद जी ने बढऩे लगा।
विश्व इतिहास में स्वामी श्रद्धानंद जी ही एकमात्र ऐसे सन्यासी है, जिन्होंने मुसलमानों के बुलावे पर दिल्ली की जामा मस्जिद में मुंबर (इमाम की स्थान) पर खड़े होकर भगवा वस्त्र पहनकर ऋग्वेद का मंत्र ‘‘त्वं हिन: पिता वसो त्वं माता’’ हिन्दू मुसलमानों को समझाया। धर्म-प्रेम व उदारता की शिक्षा देता है। छोटी-छोटी बातों पर हट करना ना समझी है।
मुसलमानों के कई मतों से वे सहमत नहीं थे तथा उनका पूरी जोरदारी से खंडन करते थे। जो मुसलमान, इस्लाम छोडक़र हिन्दू धर्म में आना चाहते है, उनको स्वामी श्रद्धानंद जी ने हिन्दू भी बनाया। इसी कारण मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले गांधी आदि सेक्युलर नेता व कट्टरपंथी मुसलमान उनसे रूष्ट रहते थे तथा उन्हें नष्ट करने के प्रयास में लगे रहते थे। इन्हीं प्रयासों के चलते २३ दिसम्बर १९२६ को अब्दुल रसीद नामक मुसलमान ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी। कोर्ट ने अब्दुल रसीद को फाँसी की सजा दी, जिसपर गांधी ने हत्यारे अब्दुल रसीद को अपना भाई बताया, और सरकार से उसकी सजा माफ कराने की पूरी कोशिश की थी, जो देशभक्तों के आक्रोश के चलते असफल सिद्ध हुई।
आज भी स्वामी श्रद्धानंद जी का बलिदान, उनके कार्यों को आलोकित करता हुआ एक प्रकाश किरण की तरह हमारे सामने आकर हिन्दुत्व का भाव भरकर, धर्म कार्य में लगे लाखों लोगों का मार्ग प्रशस्त कर जीवन भर कार्य करने की सतत् प्रेरणा देता है।
भारत स्वाभिमान दल उनको भावपूर्ण नमन करता हैं ।

नाथूराम गोडसे द्वारा फाँसी लगने से 5 मिनट पूर्व दिया गया दिव्य संदेश


वास्तव में मेरे जीवन का उसी समय अन्त हो गया था जब मैंने गाँधी जी पर गोली चलायी थी । मैं मानता हूँ कि गाँधी जी ने देश के लिए बहुत कष्ट उठाए । जिसके कारण मै उनकी सेवा के प्रति एवं उनके प्रति नतमस्तक हूँ, लेकिन इस देश के सेवक को भी जनता को धोखा देकर मातृभूमि के विभाजन का अधिकार नहीं था । मैं किसी प्रकार की दया नहीं चाहता हूँ । मैं यह भी नहीं चाहता कि मेरी ओर से कोई और दया की याचना करेँ । यदि अपने देश के प्रति भक्ति-भाव रखना पाप है तो मैं स्वीकार करता हूँ कि यह पाप मैंने किया है । यदि वह पुण्य है तो उससे उत्पन्न पुण्य पर मेरा नम्र अधिकार है । मुझे विश्वास है की मनुष्यों के द्वारा स्थापित न्यायालय से ऊपर कोई न्यायालय हो तो उसमे मेरे कार्य को अपराध नहीं समझा जायेगा । मैंने देश और जाति की भलाई के लिए यह कार्य किया है ! मैंने उस व्यक्ति पर गोली चलाई जिसकी नीतियो के कारण हिन्दुओ पर घोर संकट आये और हिन्दू नष्ट हुए ! मुझे इस बात में लेशमात्र भी सन्देह नहीं की भविष्य मे किसी समय सच्चे इतिहासकार इतिहास लिखेंगे तो वे मेरे कार्य को उचित आंकेगे । - नाथूराम गोडसे


भारत स्वाभिमान दल परिचय
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जैविक कीटनाशक दवाएं किसानों घर में स्वयं बना सकें वो भी कम से कम खर्च में


जैविक कीटनाशक दवाएं किसानों घर में स्वयं बना सकें वो भी कम से कम खर्च में
किसी प्रकार से हम कीटनाशक भी स्वयं तैयार कर सकते क्या हैं ?
बाजार से किसी विदेशी कम्पनी का 15000 रूपए लीटर का कीटनाशक लाने से अच्छा है इन देसी गौमाता या देसी बैल के मूत्र से ही कीटनाशक बना सकते हैं । यदि किसी फसल में कोई कीट या जंतु लग गया, उसको समाप्त करना है, मारना है तो उसके लिए एक सूत्र आप लिख लीजिए कि कीटनाशक बनाना भी बेहद आसान है, कोई भी किसान भाई अपने घर में बना सकते हैं ।
कीटनाशक बनाने के लिए क्या करना पड़ता है ?
एक एकड़ खेत के लिए अगर कीटनाशक तैयार करना है तो :-
1) 20 लीटर किसी भी देसी गौमाता या देसी बैल का मूत्र चाहिए।
2) 20 लीटर मूत्र में लगभग ढाई किलो ( आधा किलो कम या ज्यादा हो सकता है ) नीम की पत्ती को पीसकर उसकी चटनी मिलाइए, 20 लीटर मूत्र में। नीम के पत्ते से भी अच्छा होता है नीम की निम्बोली की चटनी ।
3) इसी तरह से एक दूसरा पत्ता होता है धतूरे का पत्ता। लगभग ढाई किलो धतूरे के पत्ते की चटनी मिलाइए उसमें।
4) एक पेड़ होता है जिसको आक या आँकड़ा कहते हैं, अर्कमदार कहते हैं आयुर्वेद में। इसके भी पत्ते लगभग ढाई किलो लेकर इसकी चटनी बनाकर मिलाए।
5) जिसको बेलपत्री कहते हैं, जिसके पत्र आप शंकर भगवान के उपर चढ़ाते हैं । बेलपत्री या विल्वपत्रा के पते की ढाई किलो की चटनी मिलाए उसमें।
6) फिर सीताफल या शरीफा के ढाई किलो पतो की चटनी मिलाए उसमें।
7) आधा किलो से 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाऊडर और डाल देना।
8) इसमें 1 किलो लाल मिर्च का पाऊडर भी डाल दें ।
9) इसमें बेशर्म के पत्ते भी ढाई किलो डाल दें ।
तो ये पांच-छह तरह के पेड़ों के पत्ते आप ले लो ढार्इ- ढार्इ किलो। इनको पीसकर 20 लीटर देसी गौमाता या देसी बैले मूत्र में डालकर उबालना हैं, और इसमें उबालते समय आधा किलो से 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाऊडर और डाल देना। ये डालकर उबाल लेना हैं उबालकर इसको ठंडा कर लेना है और ठंडा करके छानकर आप इसको बोतलों में भर ले रख लीजिए। ये कभी भी खराब नहीं होता। ये कीटनाशक तैयार हो गया। अब इसको डालना कैसे है? जितना कीटनाशक लेंगे उसका 20 गुना पानी मिलाएं। अगर एक लीटर कीटनाशक लिया तो 20 लीटर पानी, 10 लीटर कीटनाशक लिया तो 200 लीटर पानी, जितना कीटनाशक आपका तैयार हो, उसका अंदाजा लगा लीजिए आप, उसका 20 गुना पानी मिला दीजिए। पानी मिलकर उसको आप खेत में छिड़क सकते हैं किसी भी फसल पर। इसको छिड़कने का परिणाम ये है कि दो से तीन दिन के अंदर जिस फसल पर आपने स्प्रै किया, उस पर कीट और जंतु आपको दिखाई नहीं देगें, कीड़े और जंतु सब पूरी तरह से दो-तीन दिन में ही खत्म हो जाते हैं, समाप्त हो जाते हैं। इतना प्रभावशाली ये कीटनाशक बनकर तैयार होता है। ये बड़ी-बड़ी विदेशी कम्पनियों के कीटनाशक से सैकड़ों गुणा ज्यादा ताकतवर है और एकदम निःशुल्क का है, बनाने में कोई खर्चा नहीं । देसी गौमाता या देसी बैल का मूत्र निःशुल्क मिल जाता है, नीम के पत्ते, निम्बोली, आक के पत्ते, आडू के पत्ते- सब तरह के पत्ते नि:शुल्क प्रत्येक गाँव में उपलब्ध हैं। तो ये आप कीटनाशक के रूप में, जंतुनाशक के रूप में आप उपयोग करें ।

सनातन संस्कृति संघ ट्रस्ट के प्रकल्प स्वदेशी गौशाला मिशन द्वारा जनहित में प्रसारित


सनातन संस्कृति संघ (ट्रस्ट) परिचय
सनातन संस्कृति संघ का संदेश गौहत्या मुक्त हो भारत देश

सनातन संस्कृति संघ का संदेश गौहत्या मुक्त हो भारत देश


हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला,
ऐसा गर हो जाये तो फिर भारत किस्मतवाला.
गाय हमारी माता है यह, नहीं भोग का साधन.
इसकी सेवा कर लें समझो, हुआ प्रभु-आराधन.
दूध पियें हम इसका अमृत, गाय ने हमको पाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...
गाय दूर करती निर्धनता, उन्नत हमें बनाए,
जो गायों के साथ रहे वो, भवसागर तर जाए.
गाय खोल सकती है सबके, बंद भाग्य का ताला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...
'पंचगव्य' है अमृत यह तो, सचमुच जीवन-दाता.
स्वस्थ रहे मानव इस हेतु, आई है गऊ माता.
गाय सभी को नेह लुटाये, क्या गोरा क्या काला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला....
गाय बचाओ, नदी और तालाब बचाओ ऐसे,
'गोचर' का विस्तार करें हम अपने घर के जैसे.
बच्चा-बच्चा बने देश में, गोकुल का गोपाला.
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला...
गौ पालन-गौसेवा से हो, मानवता की सेवा,
गौ माता से मिल जाता है, बिन बोले हर मेवा.
कामधेनु ले कर आती है जीवन में उजियाला..
हर घर में हो एक गाय और गाँव-गाँव गौशाला..
.🙏सनातन संस्कृति संघ🙏

सनातन संस्कृति संघ ट्रस्ट को दिया गये दान पर आयकर की धारा 80 जी के अंतर्गत टैक्स में छूट का लाभ उठा सकते हैं।
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आपके द्वारा दिया गया धन शिक्षा, चिकित्सा, संस्कार, स्वावलंबन, नारी जागरण, पर्यावरण, व्यसन एवं कुरीति उन्मूलन के कार्यों में खर्च किया जाएगा।
सनातन संस्कृति संघ (ट्रस्ट) परिचय
सनातन संस्कृति संघ ट्रस्ट का संस्कृति संवर्धन अभियान 

सनातन संस्कृति संघ ट्रस्ट का संस्कृति संवर्धन अभियान


सनातन संस्कृति संघ ट्रस्ट का संस्कृति संवर्धन अभियान


यज्ञ महात्म्य- यज्ञो वै प्रजापति:  सहयज्ञा: प्रजा: सृष्टवा पुरोवाच प्रजापति: ।
अनेन प्रसविष्यध्व मेष वोदस्त्विष्ट कामधुक ।।

प्रजापिता ब्रह्मा ने सृष्टि के प्रारंभ में यज्ञ सहित प्रजाओं की सृष्टि उत्पन्न कर उनसे कहा तुम लोग यज्ञ के द्वारा वृद्धि को प्राप्त हो। और यह यज्ञ तुम लोगों को इच्छित कामनाओं का देने वाला हो।

यज्ञ का तात्पर्य है- त्याग, बलिदान, शुभ कर्म। अपने प्रिय खाद्य पदार्थों एवं मूल्यवान् सुगंधित पौष्टिक द्रव्यों को अग्नि एवं वायु के माध्यम से समस्त संसार के कल्याण के लिए यज्ञ द्वारा वितरित किया जाता है। वायु शोधन से सबको आरोग्यवर्धक साँस लेने का अवसर मिलता है। हवन हुए पदार्थ वायुभूत होकर प्राणिमात्र को प्राप्त होते हैं और उनके स्वास्थ्यवर्धन, रोग निवारण में सहायक होते हैं। यज्ञ काल में उच्चरित वेद मंत्रों की पवित्र शब्द ध्वनि आकाश में व्याप्त होकर लोगों के अंतःकरण को सात्विक एवं शुद्ध बनाती है। इस प्रकार थोड़े ही खर्च एवं प्रयत्न से यज्ञकर्ताओं द्वारा संसार की बड़ी सेवा बन पड़ती है।

अग्नौ प्रस्ताहुति: सम्यक आदित्यमुपतिष्ठते । 
आदित्या जायते वृष्टि: वृष्ठे अन्नं तत: प्रजा ।।

विधिपूर्वक अग्नि में छोडी हुई आहूती सूर्य को प्राप्त होती है। सूर्य से वृष्टि तथा वृष्टि से अन्न और अन्न से प्रजायें उत्पन्न होती है। इस प्रकार वृष्टि, अन्न और प्रजाओं की उत्पत्ति का मूल कारण हवन ही है। अत: यज्ञ करना परम आवश्यक है। 

यज्ञ कर्म को मनुष्यों और देवताओं के परस्पर कल्याण हेतु होना आवश्यक है क्यूंकि देवताओं को भोजन यज्ञ से प्राप्त होता है और मनुष्य को सर्वाभीष्ट देने वाले देवता लोग भी तुम पर प्रसन्न होकर तुम्हारा कल्याण करें।

यज्ञो हि भगवान विष्णु: भगवान सर्वयज्ञभुक।

भगवान विष्णु यज्ञ स्वरूप यज्ञ भोक्ता व यज्ञ से ही प्रकट हुये है तथा यज्ञ में उनका ही यजन पूजन होता है।

यज्ञो वै श्रेष्ठतम् कर्म:।

यज्ञ श्रेष्ठतम् कर्म है। यज्ञ मानव शक्ति के अपव्यय को रोकता है और श्रेष्ठ शक्ति देता है। अयं यज्ञो भुवनष्य नाभि:। यज्ञ का फल इहलोकिक व पारलोकिक दोनों में प्राप्त होता है अत: यज्ञ समस्त भुवनों का स्वामी है।

सर्व यज्ञ मयं जगत यज् धातो देवपूजा, संगतिकरण दानेषु ।

यजुर्वेद में यज्ञ के बारे में कहा है : यज्ञ से अशुद्ध तत्वों का नाश होता है। यज्ञ से दिव्य वातावरण की उत्पत्ति होती है। यज्ञ से आंतरिक शत्रुओं का नाश होता है। यज्ञ से असुरों का नाश होता है। यज्ञ वीरता दायक एवं कायरता विनाशक है। यज्ञ देवताओं और मनुष्यों को अपने प्रति किये गये जाने या अजाने पापों से बचाने वाला है। यज्ञ से आत्मबल की वृद्धि होती है। यज्ञ से सद् बुद्धि की प्राप्ति होती है।

यज्ञ अनेक प्रकार के हुआ करते है - चतुर्वेद पारायण यज्ञ, विष्णु यज्ञ, रूद्र यज्ञ, दुर्गा यज्ञ, लक्ष्मी यज्ञ, गायत्री यज्ञ, महामृत्युंजय यज्ञ आदि। यज्ञ देवत्व के पोषण के लिए तथा अनिष्ठ नाश, आयु- आरोग्य की वृद्धि, भगवान की भक्ति, विश्व शान्ति, जन कल्याण, वातावरण की शुद्धि, तीनों ताप व पाप के क्षयार्थ एवं मुक्ति के लिये किये जाते है।

प्रकृति का स्वभाव यज्ञ परंपरा के अनुरूप है। सृष्टि का उद्भव विकास एवं अनन्त गतिविधियां सब यज्ञ में है। हम जो कुछ भी परहित से प्रेरित होकर कार्य करते है, वह यज्ञ की श्रेणी में आते है। जैसे पशु पक्षियों को चारा डालना, सुपात्र प्राणियों को भोजन, वस्त्र एवम दक्षिणा प्रदान करना, सनातन धर्म पर चलने वाले निर्धन व्यक्तियों की कन्याओं का विवाह आयोजित करवाना, सनातन धर्म के गरीब मेधावी बच्चों को छात्रवृत्तियाँ प्रदान करना, बीमारी के अवसर पर चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराना, अकस्मात आपदा आने पर जैसे भूकंप, बाढ़ आदि कार्यों में सहायता करना, धर्म व सत्प्रवृति के सम्वर्द्धन के लिए बाल संस्कार शालाओं, पुस्तकालयों, विद्याकुलों, गुरूकुलों की स्थापना कराना, गौशालाओं में चारा आदि का दान करना तथा सनातन धर्म की रक्षा व सम्वर्द्धन में लगे संगठनों को शारीरिक व आर्थिक सहयोग प्रदान करना। ये सब यज्ञ की श्रेणी में आते है।

राष्ट्र की समस्याओं के समाधान, आध्यात्मिक, अधि दैविक, अधि भौतिक तीनों तापों की निवृत्ति के लिये तथा संक्रामक रोगों की निवृत्ति, शारीरिक- मानसिक रोगों का नाश, पापों व कष्टों की निवृत्ति के लिए सनातन संस्कृति संघ (ट्रस्ट) इस प्रकार के यज्ञों का आयोजन निरन्तर करता- कराता रहता है। इन आयोजनों से मनुष्य स्वास्थ्य, समृद्धि व परम पद को प्राप्त करता है। इसके अतिरिक्त विभिन्न स्थानों पर सुन्दरकाण्ड, संकीर्तन व सत्संग आदि का आयोजन कराया जा रहा है तथा परमात्मा की कृपा से भविष्य में भी कराया जाता रहेगा।

सनातन संस्कृति संघ (ट्रस्ट) संसार के जनकल्याणार्थ, मानवीय, नैतिक,सांस्कृतिक,वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक मूल्यों को निजी, व्यवसायिक तथा सार्वजनिक जीवन में बढ़ावा देने के लिये कार्यरत है। इन सभी परमार्थिक कार्यो में सहभागी बनकर तन- मन- धन से सहयोग करने वालों को आरोग्यता, विद्या, कीर्ति,पराक्रम, धन- धान्य और पुत्र- पौत्रादि अनेक प्रकार के ऐश्वर्यो की प्राप्ति होगी इसी आशा से-                                             

सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:  
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु माकश्चिद दु:ख भाग् भवेत् ।।

सम्पर्क करें 9149105534
वन्दे मातरम्
भारत माता की जय
सनातन संस्कृति संघ (ट्रस्ट) परिचय
सनातन संस्कृति संघ का संदेश गौहत्या मुक्त हो भारत देश