Saturday, July 30, 2016

मैंने इस्लाम क्यों छोड़ा...!

💥 *मैंने इस्लाम क्यों छोड़ा...!!*💥

लेखक :डॉ आनंदसुमन सिंह (पूर्व मुस्लिम डॉ कुंवर रफत अख़लाक़)

इस्लामी साम्प्रदाय में मेरी आस्था दृड़ थी | मै बाल्यकाल से ही इस्लामी नियमो का पालन किया करता था | विज्ञानं का विद्यार्थी बनने के पश्चात् अनेक प्रश्नों ने मुझे इस्लामी नियमो पर चिन्तन करने हेतु बाध्य किया | इस्लामी नियमो में कुरआन या अल्लाहताला या हजरत मुहम्मद पर प्रश्न करना या शंका करना उतना ही अपराध है जितना आज किसी व्यक्ति के क़त्ल करने पर अपराधी माना जाता है |युवा अवस्था में आने के पश्चात् मेरे मस्तिष्क में सबसे पहला प्रश्न आया की अल्लाहताला रहमान व् रहीम है , न्याय करने वाला है ऐसा मुल्लाजी खुत्बा ( उपदेश ) करते है | फिर क्या कारण है की इस दुनिया में एक गरीब , एक मालदार , एक इन्सान , एक जानवर होते है | यदि अल्लाह का न्याय सबके लिए समान है जैसा कुरआन में वर्णन किया गया है , तब तो सबको एक जैसा होना चाहिए | कोई व्यक्ति जन्म से ही कष्ट भोग रहा है तो कोई आनन्द उठा रहा है |यदि संसार में यही सब है तो फिर अल्लाह न्यायकारी कैसे हुआ ? यह प्रश्न मैंने अनेक वर्षो तक अपने मित्रो , परिजनों एवं मुल्ला मौलवियों से पूछता रहा किन्तु सभी का समवेत स्वर में एक ही उत्तर था , तुम अल्लाहताला के मामले में अक्ल क्यों लगाते हो ? मौज करो , अभी तो नैजवान हो | यह मेरे प्रश् का उत्तर नहीं था | निरंतर यह विषय मुझे बाध्य करता था और मै निरंतर यह प्रश्न अनेक जानकार लोगो से करता रहता था किन्तु इसका उत्तर मुझे कभी नहीं मिला | उत्तर मिला तो महर्षि दयानंद सरस्वती के पवित्र वैज्ञानिक ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में | जिसमे महर्षि ने व्यक्ति के अनेक एवं इस इस जन्म में किये गये सुकर्म या दुष्कर्मो को अगले जन्म में भोग का वर्णन किया | यह तर्क संगत था क्योंकि हम बैंक में जब खता खोलते है तो हमे बचत खाते पर नियमित छह माह में ब्याज मिलता है , मूलधन सुरक्षित रहता है , तथा स्थिर निधि पर एक साथ ब्याज मिलता है , उसी प्रकार जीवात्मा सृष्टि की उत्पत्ति के पश्चात् अनेक शरीरो, योनियों में परवेश करता है तथा अपने सुकर्मो और दुष्कर्मो का फल भोगता है |पुनर्जन्म के बिना यह सम्भव नही हो सकता | अतः पुनर्जन्म का मानना आवश्यक है किन्तु मुस्लिम समाज पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करता |उनकी मान्यता तो यह है की चौहदवी शताब्दी में संसार मिट जाएगा | कयामत आएगी और फिर मैदानेहश्र में सभी का इंसाफ होगा |किन्तु उस मैदानेहश्र में जो भी हजरत मुहम्मद के ध्वज निचे आ जायेगा , मुहम्मद को अपना रसूल मान लेगा वही इन्सान बख्सा जाएगा | अर्थात उसे अपने कर्मो के फल भुक्त्ने का झंझट नहीं करना पड़ेगा और वह सीधा जन्नत में जावेगा , जो बुद्धिपरक नहीं लगता |क्योंकि एक व्यक्ति के कहने मात्र से यदि सारा खेल चलने लगे तो संसार में अन्य मत मतान्तरो को मानने की आवश्यकता क्यों पड़े ?और सृष्टि का अंत चौहदवी सदी में माना जाता है जबकि चौहदवी शदाब्दी तो समाप्त हो गयी | फिर यह संसार समाप्त क्यों नहीं हुआ ? कयामत क्यों नहीं आई ? क्या मुहम्मद साहब और इस्लाम से पूर्व यह संसार नहीं था ? क्योंकि इस्लाम के उदय को लगभग १५०० वर्ष हुए है संसार तो इससे पूर्व भी था और रहेगा | मेरा दूसरा प्रश्न था की जब एक मुस्लिम पीटीआई एक समय में चार पत्निया रख सकता है तो एक मुस्लिम औरत एक समय में चार पति क्यों नही राख सकती ? इस्लाम में औरत को अधिक अधिकार ही नही है | एक पुरुष के मुकाबले दो स्त्रियों की गवाही ही पूर्ण मानी जाती है | ऐसा क्यों ? आखिर औरत भी तो इंसानी जाती का अंग है | फिर उसे आधा मानना उस पर अत्याचार करना कहाँ की बुद्धिमानी है और कहाँ तक इसे अल्लाह ताला का न्याय माना जा सकता है ?८० साल का बुड्ढा १८ साल की लड़की से विवाह रचाकर इसे इस्लामी नियम मानकर संसार को मजहब के नाम पर मुर्ख बनाये यह कहाँ का न्याय है ?इस प्रश्न का उत्तर भी मुझे सत्यार्थ परकाश से मिला | महर्षि दयानंद ने महर्षि मनु और वेद वाक्यों के आधार पर सिद्ध किया की स्त्री और पुरुष दोनों का समान अधिकार है | एक पत्नी से अधिक तब ही हो सकती है जब कोई विशेष कारण हो (पत्नी बाँझ हो , संतान उत्पन्न न कर सकती हो ) अन्यथा एक पत्नीव्रत होना सव्भाविक गुण होना चाहिए | मनु ने कहा है –
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः अर्थात जहाँ नारियो का सम्मान होता है वहां देवता वास करते है |

तीसरा प्रश्न मेरे मन में था स्वर्ग व् नरक का | इस्लामी बन्धु मानते है की कयामत के बाद फैसला होगा | उसमे अच्छे कर्मो वालों को जन्नत और बुरे कर्मो वालो को दोजख मिलेगा | जन्नत का जो वर्णन है वह इस प्रकार है की वहां सेब , संतरे , शराब , एक व्यक्ति को सत्तर हुरे तथा चिकने चुपड़े लौंडे मिलेंगे | मै मुल्ला मौलवियों व् मित्रो से पूछता था की बताये , जब एक पुरुष को जन्नत में लडकिय मिलेंगी तो मुस्लिम महिलाओं को क्या मिलेगा ? मेरे इस प्रश्न ने वे चिड़ते थे | चौहदवी सदी तो बीत गयी पर कयामत क्यों नही आई ? क्या अब नहीं आएगी ?अल्लाह के वायदे का क्या हुआ ?इससे क्या यह स्पष्ट नहीं की कुरआन किसी आदमी की लिखी है ?इन सब प्रश्नों से मेरा तात्पर्य किसी का दिल दुखाना नही अपितु केवल अपने मन में उठ रही शंकाओं का समाधान करना था | किन्तु कभी किसी ने मेरे प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया अपितु इन सब से दूर रहकर महज अल्लाह की इबादत में वक्त गुजारने और मौज उड़ाने का रास्ता दिखाया |

चौथा प्रश्न मेरे दिल में था सभ्यता का | मैंने मुस्लिम इतिहास गम्भीरता से अध्ययन किया है | इतिहास साक्षी है की इस्लाम कभी भी वैचारिकता या सवविवेक के कारण नहीं फैला अपितु इस्लाम आरम्भिक काल से अब तक तलवार का बल , भय , बहुपत्नी प्रथा , स्वर्ग का लोभ या धन का मोह आदि ही इस्लाम के विस्तार के कारण बने | इस्लाम की शैशव अवस्था में हजरत मुहम्मद साहब को अनेक युद्ध करने पड़े | स्वंय उनके चाचा अबुलहब ने अंतिम समय तक इस्लाम को नहीं स्वीकार किया क्योंकि वह उसे वैज्ञानिक व् तर्क सम्मत नहीं मानते थे | हजरत मुहम्मद को मक्का से निष्कासित भी होना पड़ा क्योंकि वह अरब की सभ्यता में आमूल परिवर्तन की कल्पना करते थे और अरब वासी अनेक कबीलों में बनते हुए थे | अबराह का लश्कर तो एक बार मक्का में स्थापित भगवान शंकर के विशाल शिवलिंग ( संगे अस्वाद ) को मक्का से ले जाने के लिए आया था किन्तु भीषण युद्ध में अनेको ने अपने प्राण गंवा दिए | यह मक्का शब्द भी संस्कृत के मख अर्थात यज्ञ शब्द का ही बिगड़ा रूप है | इस समय इस विषय पर चर्चा करना हमारा उद्देश्य नहीं है | मुस्लिम इतिहास में एक भी प्रमाण त्याग , समर्पण या सेवा का नही मिलता | वैदिक इतिहास के झरोखे से देखे तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वन को प्रस्थान करते है किन्तु दूसरी और औरंगजेब अपने पिता को जेल में कैद कर बूंद बूंद पानी के लिए तरसाता है | यह त्याग , समर्पण एवं सेवा का ही प्रतिफल है की विगत दो अरब वर्षो में वैदिक संस्कृति महँ बनी रह स्की |मेरे परिवार के इतिहास के साथ भी एक काला पृष्ठ जुदा है की उन्हें प्रलोभनवश अपना मूल धर्म त्याग कर इस्लाम में जाना पड़ा | मै स्पष्ट शब्दों में कहता हूँ की आपकी पूजा पद्धति कुछ भी हो सकती है , आप किसी भी समुदाय के हो सकते है किन्तु जिस देश में प्ले बड़े है उस देश को तो अपनी माँ ही मानना चाहिए | राष्ट्रभक्ति किसी व्यक्ति का पहला कर्तव्य होना चाहिए , वैदिक धर्म की महानता के अनेक प्रमाण दिए जा सकते है किन्तु यहाँ मेरा उद्देश्य मात्र कुछ विचारों पर लिखना है |क्योंकि विगत छः वर्षो में मेरे सम्मुख यह प्रश्न रहा है की मै हिन्दू क्यों बना ?मै प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से हिन्दू ही मानता हूँ क्योंकि कोई मनुष्य बिना माँ के गर्भ के पैदा नहीं हो सकता यहाँ तक की विज्ञानं की पहुँच टेस्ट ट्यूब चाइल्ड को भी माँ के गर्भ में आश्रय लेना पड़ा , तभी उसका पूर्ण विकास सम्भव हो पाया है |अतः माँ के गर्भ में तो प्रत्येक हिन्दू ही होता है जन्म के पश्चात् मुस्लमानिया कराए बिना मुसलमान और बपतिस्मा कराए बिना इसाई नहीं बना जा सकता |अतः इन क्रियाओं के पूर्व बच्चा काफिर अर्थात हिन्दू होता है अतः संसार का प्रत्येक शिशु हिन्दू है | मूल हम सबका वेद है अर्थात सत्य सनातन वैदिक धर्म | आशा है मेरे मित्र मेरी भावना को समझेंगे ,  मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओ को चोट पहुँचाने का नहीं है अपितु केवल अपने विचारों से समाज को अवगत कराना मात्र है |

किन्तु यदि फिर भी किसी की भावनाओं को मेरे कारण ठेस लगे तो उन सबसे मै क्षमा – याचना करता हूँ |

ओ३म्!

जवाहरलाल नेहरू की गलत नीतियां जिनके दुश्परिणाम आज देश भुगत रहा है

*1) कोको आईसलैड* - 1950 में नेहरू ने भारत का ' कोको द्वीप समुह' ( Google Map location -14.100000, 93.365000 ) बर्मा को गिफ्ट दे दिया. जो कोलकाता से 900 KM दूर समंदर में है ।
बाद में बर्मा ने कोको द्वीप समुह चायना को दे दिया, जहाँ से आज चीन द्वारा भारत पर हेरगिरी एवं निगरानी होती हैं ।
*2) काबू व्हेली मनिपुर -* जवाहरलाल नेहरू ने 13 Jan 1954 को भारत के मनिपुर प्रांत की काबू व्हेली दोस्ती के तौर पर बर्मा को दे दी. काबू व्हेली लगभग 11000 स्के. किमी है और कहते है के ये कश्मीर से भी खुबसुरत है.
आज बर्मा ने काबू व्हेली का कुछ हिस्सा चीन को दे रखा है जहां से चीन भारत पर हेरगिरी कर रहा हैं ।।
*4) भारत - नेपाल विलय -* 1952 में नेपाल के तत्कालीन राजा त्रिभुवन विक्रम शाह ने नेपाल को भारत में विलय कर लेने की बात जवाहरलाल नेहरू से कही, लेकिन नेहरू ने ये कहकर उनकी बात टाल दी की नेपाल भारत में विलय होने से दोनों देशों का फायदे के बजाय नुकसान ही होगा और नेपाल का टुरिज़म भी बंद होगा ।।।
*5) UN Permanent Seat*- नेहरू ने 1953 में अमेरिका की उस पेशकश को ठुकरा दिया था, जिसमें भारत से सुरक्षा परिषद ( United Nations ) के स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने को कहा गया था। इसकी जगह नेहरू ने चीन को सुरक्षा परिषद में शामिल करने की सलाह दे डाली ।
आज भी चीन ,पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के कई प्रस्ताव UN में नामंजूर करता है, हाल ही में आतंकवादी मसुद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का भारत का प्रस्ताव UN में चीन ने ठुकरा दिया है ।
*6) जवाहरलाल नेहरू और लेडी मांउटबेटन* - लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला ने अपनी एक किताब में लिखा है कि दोनों के बीच संबंध था. लॉर्ड माउंटबेटन भी दोनों को अकेला छोड़ देते थे. अब खुद लॉर्ड माउंटबेटन अपनी पत्नी को एक गैर के साथ खुला क्यूं छोड़ते थे यह एक राज है. लोग मानते हैं कि ऐसा कर लॉर्ड माउंटबेटन जवाहरलाल नेहरू से भारतीय क्रान्तिकारियों के कई राज निकाले थे और नेहरू को अपनी अंगुली पर नचाते थे।
*7) पंचशील समझौता -* नेहरू चीन से दोस्ती के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक थे। नेहरू ने 1954 को चीन के साथ पंचशील समझौता किया। इस समझौते के साथ ही भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया।
नेहरू ने चीन से दोस्ती की खातिर तिब्बत को भरोसे में लिए बिना उस पर चीन के 'कब्जे' को स्वीकृति दे दी। बाद में 1962 में जब भारत चीन युद्ध हुआ तो चीनी सेना इसी तिब्बत के मार्ग से भारत के अंदर तक घुस आई.
*8) 1962 भारत चीन युद्ध* -चीनी सेना ने 1962 में भारत को हरा दिया, हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने ले.जनरल हेंडरसन और कमानडेंट ब्रिगेडियर भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया.
चीनी सेना अरूणाचल प्रदेश, आसाम, सिक्किम तक अंदर घुस आने के बाद भी नेहरु ने हिंदी चीनी भाई भाई कहते हुए भारतीय सेना को चीन के खिलाफ एक्शन लेनेसे रोक कर रखा, परिणाम स्वरूप हमारे कश्मीर का लगभग 14000 स्के. किमी भाग पर चिनने कब्जा कर लिया जिसमे कैलाश पर्वत, मानसरोवर और अन्य तीर्थ स्थान आते हैं।
*9) भारत के गौरवशाली इतिहास को नष्ट करने का हर सम्भव प्रयास किया, हिन्दू विरोधी लोगो से भारतीय इतिहास लिखवाया, स्वयं भी हिन्दू विरोध में अंधे होकर "भारत की खोज" नाम से एक भ्रामक पुस्तक लिखकर भारत देश की संस्कृति व सभ्यता को कलंकित करने का दुश्कर्म किया।
*10) भारत के संविधान को हिन्दू विरोधी बनवाया, गैर हिन्दुओं को विशेषाधिकार दिलवाये, धर्म के आधार पर देश के विभाजन के बाद भी मुस्लिमों को भारत में रोक कर रखा, और मुस्लिम तुष्टिकरण को जमकर बढ़ावा दिया।
ऐसा था जवाहर नेहरू जिसके ठरकीपन के किस्सों पे तो किताब लिखी जा सकती है।

Friday, July 22, 2016

नमन देश के उन जवानों को जो हमें नहीं जानते पर हमारे लिए अपने प्राण दे देते हैं

🇮🇳 20  डिग्री  में
    हमें  ठंड  लगनें  लगती  है..

🇮🇳 16  डिग्री  में
    हम  गर्म  कपड़े  पहनते  हैं..

🇮🇳 12  डिग्री  में
हम  मफलर  आदी लगाते हैं..

🇮🇳 8  डिग्री  में
    हम  उसके  बाद  भी  कंपनें
     लगते  हैं .

🇮🇳 4/5  डिग्री  में
  रजाई  से  बाहर  नही
   निकलते..

🇮🇳 1/2  डिग्री  में  घरों  में
      अलाव  जलनें  लगते  हैं..

🇮🇳 0  डिग्री  पर
     पानीं   जम   जाता   है......

🇮🇳 --1/2  डिग्री  पर
  हमारी  जबान  लड़खड़ानें
  लगती  है.....

🇮🇳 --5/8  डिग्री  पर .......

🇮🇳 --10/12  डिग्री  पर….....

🇮🇳 -- 15/18  डिग्री  पर
         सोचिये…...........

🇮🇳 -- 20  डिग्री  पर
      सियाचीन   में
    भारतीय   सैनिक   भारत
की  सीमाओं  की  रक्षा  करते
  हैं…...........

🇮🇳 पूरी  मुस्तैदी  के  साथ
7-12  किलों  की  बंदूक  और
करीब  20  किलो  की  रसद
अपनें  कंधों  पर  उठाये…....
》》  घुटनें  तक  बर्फ   में –

🇮🇳 ताकी  हम  अपनीं
स्वतंत्रता  का  आनंद
  उठा  सकें………........
…………….........…!!!!!!!!

🇮🇳 ताकी  हम  अपनें परिवारों
के  साथ  क्रिकेट  मैच  का
आनंद  उठा   सकें…….......
........................... .!!!!!!!!!

🇮🇳 ताकी  हमारे  बच्चे  शांती
के  साथ  स्कूल  जा  सके…..

🇮🇳 कृपया  जरुर  शेयर  करे
भारतीय  सेना  के  लिए

_______________________
🇮🇳 कृपया   भारतीय   बने… I             _______________________

🇮🇳  अपने  देश  से  प्यार  करें
_______________________
🇮🇳  एक  सन्देश  उन  जवानों
      के  नाम  जो  हमें  नहीं   
      जानते  पर  हमारे  लिए
      प्राण दे  देते  हैं
….😞😞
जय हिन्द
वन्दे मातरम्

-विश्वजीत सिंह अनन्त
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल

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कर्नल पठानिया और मेजर उपेन्द्र को मुक्त करो

*वो 30 अप्रैल 2010 का समय था!*

*स्थान था कश्मीर का मच्छिल सेक्टर!*

*हमारी सेना का कर्नल डी के पठानिया कश्मीर में अपने जवानों की एक एक कर के अपनी आँखों के आगे वीरगति देख रहा था!*

*उसकी बटालियन के हाथ और पैर दिल्ली में बैठी गांधीवादी पार्टीयों की केन्द्र सरकार ने बाँध रखे थे!*

*वो बेचैन भारत माँ का लाल हर दिन अपने हाथों से अपने किसी शूरवीर जवान का अंतिम संस्कार कर रहा था, पर दिल्ली में बैठी गांधीवादियों की सरकार बस एक आदेश देती थी:*

*जो हो रहा है उसे होने दो! ज्यादा देश भक्ति सवार है क्या? वर्दी से नहीं तो कम से कम अपने परिवार से प्रेम करो और चुप रहो!*

*एक दिन उस से ना रहा गया!*

*30  अप्रैल 2010 को वो महावीर कर्नल पठानिया ने स्वयं को गांधीवादी सरकार के हर आदेश, हर बाध्यता, हर नियम से मुक्त कर डाला!*

*उसके साथ इस पावन अभियान में उसका अधीनस्थ मेजर उपेन्द्र आया! उसके साथ हवलदार देवेंद्र कुमार, लांस नायक लखमी व सिपाही अरुण कुमार भी आये और गांधीवादी केन्द्र सरकार के हर आदेश की धज्जी उड़ाते हुए इन महावीरों ने सेना व काफिरों (गैर मुस्लिमों) को तंग कर चुके इस्लामिक आतंकवादी शहज़ाद अहमद , रियाज़ अहमद व् मोहम्मद शफ़ी को वेद के नियम और श्रीमद्भगवद् गीता जी के क़ानून से मार गिराया!*

*कर्नल पठानिया और मेज़र उपेन्द्र का खौफ़ हिमालय की घाटी में बन्दूक और तोपों की आवाज से भी ज्यादा गूँज गया! वहां खुद को इस्लामिक आतंकी कहने वाला अपना हुलिया बदल कर बंदूक की जगह बुरका पहन कर घूमने लगा!*

*अशांति के दूतों में छाया ये खौफ़ उस समय की सत्ता के मालिक गांधीवादीयों को रास ना आया! फिर शुरू हुआ कर्नल पठानिया और मेज़र उपेन्द्र की अनंत प्रताड़ना का दौर!*

*बिल्कुल उड़ीसा वाले दारा सिंह की तरह!*

*आखिर उन्होंने मुसलमानों को मारा था!*

*गांधीवादी रक्षा मंत्री ने उनकी अपनी खाल से भी ज्यादा प्रिय वर्दी उतरवा कर उन्हें बर्खास्त कर दिया और देशद्रोही याकूब के लिए रात में  12 बजे खुलने वाली कोर्ट ने मेजर उपेन्द्र, कर्नल डी के पठानिया और उन पाँचों जवानों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई!*

*फिर आतंकियों में छाया सारा खौफ़ घूम कर सेना में छा गया!*

*कश्मीर में घी के लड्डू बंटे!*

*वो सारे महावीर आज भी जेलों में हैं! केन्द्र में सत्तारूढ़ वर्तमान सरकार भी गांधीवाद के भ्रमजाल में फँसकर उन्हें कारागार से मुक्त नहीं कर रही हैं !*

*आतंकी बुरहान वाणी को पूरी दुनिया का मुसलमान बच्चा बच्चा जानता है!*

*पर  फ़ौजी कर्नल डी के पठानिया को कोई भी नहीं जानता!*

*कश्मीर  से गूँज रहा है कि बुरहान वाणी को वापस लाओ ।*

*क्या हिन्दू में दम है ये कहने का कि कर्नल पठानिया और मेजर उपेन्द्र को मुक्त करो?*

*नोट: कृपया इस मैसेज को कॉपी पेस्ट और फारवर्ड करें. जिससे इन देशभक्त वीर सैनिकों को बचाया जा सके और गांधीवादी ताकतो का पर्दाफाश हो सके!*

🇮🇳 *भारत माता की जय!* 🙏

-विश्वजीत सिंह अनन्त
राष्ट्रीय अध्यक्ष
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सचमुच अल्लाह कितना दयालु और शांतिप्रिय है

दुनिया के किसी भी कोने में अगर मुसलमान
किसी को मार दें या फिर कोई और मुसलमानों को मार दे...
तो उसकी प्रतिक्रिया भारतीय मुस्लमान
जरुर देते हैं...
म्यमार में वहां के स्थानीय मुसलमानों से वहां के बौद्धों का झगड़ा हो जाता है...
ये घटना भारत के बाहर की है...
उसका भारत से कोई लेना देना ही नहीं...
लेकिन भारतीय मुसलमान उस घटना का बदला मुंबई में आजाद मैदान में पुलिस की गाडियों को तोड़ कर लेता है...
हुतात्मा स्मारक को तोड़ दिया जाता है...
भारत से हज़ारों किलोमीटर दूर गाज़ा पट्टी में
इजराइल बम बरसाता है...जिसमें मुस्लमान आतंकवादी मारे जाते हैं...
ये घटना भारत की नहीं है ना ही इस घटना में हिंदुवो का हाथ है...
लेकिन भारतीय मुस्लमान इस घटना का बदला हिंदुओं की दूकान जला कर उसे लूट कर लेता है
भारत से हजारों किलोमीटर दूर यारुस्लेम में अल
अल्क्सा मस्जिद मे वहां के स्थानीय मुस्लमान
ही उस मस्जिद पर हमला कर उसपे अपना कब्ज़ा जमा लेते है...
ये घटना भारत की नहीं है
लेकिन भारतीय मुस्लमान कश्मीर में उस
घटना के विरोध में कश्मीर बंद का आह्वाहन करता है
भारत से हज़ार किलोमीटर दूर अफगानिस्तान में अमेरिका बमबारी करता है लेकिन तकलीफ
भारतीय मुसलमानों को होती है...
फांसी सद्दाम को होती है दर्द यहाँ भारतीय मुसलमानों को होता है
भारत का मुस्लिम समुदाय दुनिया का सबसे संवेदनशील समुदाय है...
वो डेनमार्क के एक कार्टूनिस्ट द्वारा बनाए गए
मोहम्मद के कार्टून पर आग बबूला हो जाता है...
लेकिन जब भारत का ही एक मुसलमान चित्रकार हिंदुओं की माँ सरस्वती का नग्न चित्र बनाता है तो उसके मुह से आवाज भी नहीं
निकलती...
वो पकिस्तान के द्वारा भारत को हराए जाने पर कलकत्ता के सड़कों पर आतिशबाजी करता है...
वो भारत माता की जय और वन्दे मातरम् बोलने से परहेज़ करता है...
सड़कों पर नमाज पढना और गो हत्या करना
अपना धर्मिक अधिकार समझता है...
वो अलकायदा isis, isi का मौन और खुले रूप से जैसे अवसर मिले समर्थन करता है...
वो कुरान और हदीश में अंध आस्था रखता है...
लेकिन जब बात फ्री की हज सब्सिडी की हो तो वो कुरान के नियमो को भी ताक पर रख देता है...
वो फ्री और ओपन सेक्स में यकीन करता है इसमें वो अपनी चचेरी तहेरी बहन बेटी चाची तक को नहीं छोड़ता...
वो इंडोनेशिया में इसाइयों से लड़ता करता है...
बर्मा कम्बोडिया में बौद्धो से उसका झगड़ा है....
यूरोप में वो कैथोलिक ईसाईयों को मरता है...
इस्राइल में वो यहूदियों से लड़ता है...
भारत में वो हिंदुओं से लड़ता है...
सीरिया, ईराक, ट्यूनिशिया  में वो शिया मुसलमानों से लड़ता है...
वो बंगलदेश में कुरान की आयतें ना सुना पाने वाले काफिरों (गैर मुस्लिमों) को चुन चुन कर मारता है...
इतना सब करके वो भारत में देवबंदी मंच से चढ़ कर सीना ठोक के बोलता है की इस्लाम दुनिया
का सबसे शांतिप्रिय धर्म है...
और मोहम्मद साहब शान्ति दूत थे....
और isis तो ईराक और सीरिया में जो कर रहा
है वो तो अल्लाह की मर्जी है...
सचमुच अल्लाह कितना दयालु और शांतिप्रिय है वो सब जानता है ।।

वैश्या और फिल्म अभिनेत्री में अंतर

वैश्या और फिल्म अभिनेत्री में अंतर- ,,,,,,,,,,,,,,,,, कङवा सत्य,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
1 मिनट लगेगा जरूर पढें
एक वैश्या और एक फिल्म ऐक्ट्रैस मै क्या अंतर है ........ ??
फेसबुक पर किसी एक पोस्ट पर गरमा गरम बहस के दौरान एक बुद्धीजीवि ने एक से पूछा आपकी नजर में एक वैश्या और एक फिल्म ऐक्ट्रैस में क्या अंतर है .......??
उस व्यक्ति ने जो जवाब दिया , उसने मुझे भीतर तक झकझोर दिया है उसने कहा :
वैश्या वो है जो देश के 80 प्रतिशत बलात्कारियो से हमारी बहन बेटी की सुरक्षा करती है उन भूखे भेडियो की भूख चंद सिक्को के लिऐ अपना बदन बेच कर मिटाती हैं .....
......... और ........
फिल्म ऐक्ट्रेस वो बिमारी है जो देश के 100 प्रतिशत बलात्कारियो को जन्म देती है और अपने बदन की नूमाईश करके हमारी बहन बेटियो के लिये असुरक्षा पैदा करती हैं !!
जब कोई लडका बलात्कार करता है तो उसकी गलती इतनी ही होती है कि वो अपनी वासना पर काबू नही कर पाता, फिर सब लोग उसपर भडक जाते है कोई कहता है कि इसको फांसी दो, कोई कहता है कि इसे सडक के बीच खड़ा करके पत्थरों से मार डालो...!!!!
में एेसी मानसिकता वाले सभी लोगो से पूछता हूँ
यदि आपके बेटे से एेसी गलती हो जाए फिर भी आप यही कहोगे कि इसे फांसी दो, मारो पिटो..??
सब लोग लडको की ही गलती निकालते हैं,
कया कोई लडका बचपन से बलात्कारी पैदा होता है.. ???
यदि मेरी बात किसी महिला संगठन तक पहुंच रही हैं तो कृपया मेरी बात का उत्तर दें...!!
आप सभी महिलाएं बलात्कारियो का विरोध करती हो, मगर कोई इन एक्ट्रेस का विरोध नही करता, कोई टीवी पर दिखाई जाने वाली अश्लील फिल्मों का विरोध नहीं करता, कोई विदेश से आने वाली गंदी फिल्मों का विरोध नहीं करता।
भगवान न करे कि कभी आपका बेटा ऐसी फिल्मों को देखकर दुष्कर्म कर दें फिर आप अपनी परवरिश को दोष देंगी या टीवी एक्ट्रेस को...???
मे बलात्कारियो के पक्ष में बिल्कुल नहीं हूँ, में आपको ये समझाना चाहता हूँ कि बलात्कार की जड कया है और हम अधूरी लड़ाई लड रहे हैं।
अगर आपको किसी का विरोध करना हे तो हर उस चीज का विरोध करें जो हमारी संस्कृति को नष्ट कर रही है, टीवी पर बॉलीवुड फिल्मों की जगह श्री मद भगवत गीता का पाठ दिखाया जा सकता है, सिनेमाघरों मे हमारे शूरवीरों व क्रांतिकारीयो का इतिहास दिखाया जा सकता है।
अंत में बस इतना कहना चाहता हूं कि अभी भी संभलने का वक्त है कही ऐसा न हो कि हर रिश्ता वासना की सूली न चढ़ जाए....!!!
यदि मैंने कुछ गलत लिखा है तो कृपया कमेंट बाक्स में जरूर बताएँ।

-विश्वजीत सिंह अनन्त
राष्ट्रीय अध्यक्ष
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