Thursday, July 21, 2016

देश बड़ा है या सत्ता ?

एक इस्लामिक आतंकी बुरहान वानी का एनकाउंटर हुआ। वह आतंकी जिसने भारतीय सेना को चुनौती दे रखी थी। जिस पर 10 लाख रुपये का इनाम था। जो हिज्बुल मुजाहिदीन का कमांडर था और सोशल मीडिया में सीना ठोककर खुद को *आतंकियों का हीरो* बनाकर पेश कर रहा था।

इतने बड़े एनकाउंटर के बाद इस देश के सवा सौ करोड़ लोगों को *सेना को शाबाशी देनी थी,* एक स्वर में पीठ थपथपानी थी। आतंकियों को *सख्त संदेश* देना था, लेकिन हालात एकदम अलग  हैं।

*कुछ बिंदु अवलोकन हेतु*
JNU में पढ़ाई कर रहा और देशद्रोह मामले में आरोपी उमर खालिद ने खुलकर बुरहान के समर्थन में लिखा।
उमर अब्दुल्ला ने खुलकर बुरहान की हत्या के बाद आतंकवाद के बढ़ने की बात कही।
🕑 आतंकी बुरहान वानी के जनाजे में एक अनुमान के मुताबिक दो लाख से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया।
🕒इस घटना पर देश के कुछ बड़े पत्रकारों के ट्वीट बेहद आपत्तिजनक रहे।
🕓 विपक्ष के किसी बड़े नेता ने इस घटना पर बुरहान वानी के खिलाफ और सेना के पक्ष में खुलकर खड़ा होने की ताकत नहीं दिखाई, जो सामान्य तौर पर अखलाक, जेएनयू और वेमुला जैसी घटना में दिखाई पड़ी।
            
इन बिंदुओं से एक ही सवाल मन में उठता है कि क्या भारतीयों के जेनेटिक्स को तहस-नहस करके रख दिया गया है। आखिर इतनी बड़ी आतंकी घटना के बाद भी *हम भारतीयों को कभी एक साथ गुस्सा क्यों नहीं आता है?* क्या इसके पीछे कोई ऐतिहासिक गलतियां नजर आती हैं? इसे सही तरीके से समझने की जरूरत है।

आजादी से पहले जो काम मुसलमानो ने किया, अंग्रेजों ने किया, आजादी के बाद भी सत्ताधारी दल वही करते आ रहे है।

चुनाव में वोट हासिल करने के लिए बरसों से *समाज को बांटने की साजिश* रची गई है। धर्म के आधार पर इस देश को बांटने की साजिश ने उन गलतियों पर भी पर्दा डाल दिया, जो वास्तव में अक्षम्य है।

शाहबानो से लेकर तमाम छोटी बड़ी घटनाओं में मुस्लिम सांप्रदायिकता को बढ़ावा ही दिया है। ऐसे में जिस JNU के भीतर देश के टुकड़े करने की बात पर सवा सौ करोड़ लोगों का खून खौलना चाहिए थे, वहां भी तमाम विपक्षी पार्टियां किंतु परंतु ढूंढ़ने में ही लगी रहीं।
          
*बुरहान वानी की घटना पूरे देश को हिलाने के लिए काफी है। ये इसलिए अहम है क्योंकि कश्मीर फिर से सुलग रहा है, और बाकी नेता और कुछ पत्रकार इसे सुलगाने में लगे हैं।*

आज समय इस बात का अहसास कराने का है कि *आतंक के खिलाफ हम ऐसी कार्रवाई करेंगे कि आतंकी दोबारा सिर उठाने की हिम्मत न कर सकें।* लेकिन दिख ऐसा रहा है मानो आतंकी के समर्थन या विरोध में समाज बंट गया है।

कहीं ये सब सिर्फ इसलिए तो नही हो रहा है कि *तमाम पार्टियां कहीं से भी मोदी के साथ खड़ा होते दिखना नही चाहतीं।* भले इसके लिए उन्हें *एंटी नेशनल* हो जाना पड़े। ऐसे लोगों के लिए सबसे बड़ा सवाल ये है कि उनके लिए *देश बड़ा है या सत्ता*? सोचने की जरूरत है!

खून में तेरे गद्दारी,

गद्दार ही तेरा खून,

ऊपर हूरें,

नीचे *सेना,*

बीच में तेरा जूनून,,,

*"रे बुरहान"*

🚩आतंकवादियों से सतत संघर्ष कर आतंकी बुरहान वानी का वध करने वाली भारत की वीर सेना को भारत स्वाभिमान दल का नमन 🙏🏻👏🏻

-विश्वजीत सिंह अनन्त
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल

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