Tuesday, September 27, 2016

सफल, सुरक्षित व समृद्ध जीवन हेतु धर्म शिक्षा - 1

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

सफल, सुरक्षित व समृद्ध जीवन हेतु धर्म शिक्षा

इस पृथ्वी पर
संस्कृति का प्रथम सूर्योदय कहाँ हुआ था ?
विश्व में ज्ञान विज्ञान, सभ्यता एवं संस्कार का प्रकाश सर्वप्रथम कहा से प्रसारित हुआ था ?
संस्कृति का सर्वप्रथम पवित्र नाद कहाँ गूँजा था ?
जहाँ गंगा, सरस्वती, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, गंडकी, कावेरी, यमुना, नर्मदा, कृष्णा, गोदावरी तथा महानदी का पवित्र जल बहता है,
जहाँ दक्षिण में हिन्द महासागर गर्जन करता है,
जहाँ उत्तर में देवात्मा हिमालय की पवित्र छत्रछाया है,
कैसी दिव्य, भव्य है अपनी मातृभूमि भारत, कितनी गौरवशाली है संस्कृति !
इस पवित्र भूमि पर से पुन: गूँज उठे संस्कृति का पवित्र नाद,
आइए, धर्म साधना से इस सनातन संस्कृति का भव्यनाद गूँजायमान करें |
धर्म से संस्कार मिलते है और संस्कार शक्ति प्रदान करते है, राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र रक्षा के लिए धर्म ही मुख्य धुरी होता है | सनातन धर्म भगवत्प्रेम व मोक्ष प्राप्ति का वह मार्ग है, वह साधन है, जिसको अवमर्दित करने के, नष्ट करने के, मिटा डालने के हर सम्भव प्रयास सहस्त्राधिक वर्षो से किये गये (और आज भी किये जा रहे है) किन्तु धर्म आज भी पर्वत की तरह अचल, अटल, स्थिर होकर खड़ा है | यही सनातन शाश्वत सत्य का प्रमाण है | धर्म शिक्षा व सामुहिक धर्म साधना द्वारा इसकी रक्षा सम्वर्द्धन करना हम सब का सनातन धर्म है |
-विश्वजीत सिंह अनन्त
इस पुस्तक को प्रकाशित करने का उद्देश्य किसी व्यक्ति, वर्ग, सम्प्रदाय की भावनाओं को आहत करना नहीं है, बल्कि सनातन सत्य को सामने लाकर सनातन धर्म की रक्षा करना है | किसी भी वाद की स्थिति में न्यायक्षेत्र मेरठ न्यायालय मान्य होगा |
यह पुस्तक परम् पिता परमात्मा की कृपा से आपके पास आई है | इसे पवित्र स्थान पर रखें, परिवार में सबको पढ़ाएँ, इसकी धर्म साधना को अपने जीवन में अपनाएँ तथा अन्य व्यक्तियों को भी साधना के लिए प्रेरित करें, ताकि धर्म ध्वज के तले मानवता स्वस्थ, सुखी, समृद्ध व सुरक्षित रहे | हमारा विश्वास है कि धर्म शिक्षा व सामूहिक धर्म साधना से ही असुरता का निवारण होकर मानव में देवत्व के अवतरण का मार्ग प्रशस्त होगा | साधको की सद्कामनाएँ पुर्ण होगी ओर भारत पुन: विश्वगुरू बनेगा |
* निवेदक *
भारत स्वाभिमान दल

क्रमश: जारी.....

No comments:

Post a Comment