Tuesday, September 27, 2016

सफल, सुरक्षित व समृद्ध जीवन हेतु धर्म शिक्षा - 3

सफल, सुरक्षित व समृद्ध जीवन हेतु धर्म शिक्षा

कितने भी भयंकर आपत्तियों व शक्तिशाली दुष्टों का सामना करना पड़े, उसमें साहस, धैर्य व आत्म विश्वास के साथ उन्हें पराजित करने का आत्मबल, संपूर्ण समाज में सदैव विद्यमान रहना चाहिए | सतयुग में माँ भगवती दुर्गा के रुप में दैवी शक्ति ने महिषासुर का मर्दन किया | त्रेता में भगवान श्रीराम ने वनवासियों का सहयोग लेकर, उन्हें संगठित कर दुष्ट रावण की आसुरी शक्ति का विनाश किया द्वापर में इसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन में दैवी शक्तियों ने आसुरी शक्तियों का विध्वंस किया | संघे शक्ति कलौयुगे | कलयुग में संगठन की शक्ति ही आसुरी शक्तियों का विनाश कर सकती है |
शक्त्या विहीना: पुरूषा हि लोके, नेतुं न राष्ट्रंप्रभवन्ति नूनम् |
देवा अपीमां समुपास्य शक्ति शुम्भादि-दैत्यान् समरे निजघ्नु:||
शक्ति के बिना कोई भी पुरुष अपने राष्ट्र की रक्षा नहीं कर सकता | देवता भी शक्ति की आराधना करके ही शुम्भादि दैत्यों का संहार करने में सक्षम हुए | पवित्र सनातन धर्म में सभी देवी देवताओं के पास शस्त्र है, क्योंकि यह धर्म है | आपके पास कौन सा शस्त्र है- कोई नहीं, यह अधर्म है | ध्यान रखों हिन्दू तभी मरा है जब वो अपने धर्म से भटका है, शास्त्र (वेद, गीता, रामायण आदि पवित्र ग्रन्थ) तथा शस्त्र (हथियार) दोनो की साधना करों | अपना धर्म निभाओं, ध्यान रखों धर्म सदैव जीता है | बिना शास्त्र ज्ञान के तथा बिना शस्त्र संचालन के धर्म की रक्षा नहीं की जा सकती |
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः |
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यः मानो धर्मो हतोवधीत् ||
नष्ट हुआ धर्म ही मनुष्य का नाश करता है और रक्षा किया हुआ धर्म अपने रक्षक की रक्षा करता है । इसलिए धर्म को नष्ट नहीं करना चाहिए, ऐसा न हो कि नष्ट किया हुआ धर्म हमें नष्ट कर दे ।
अपने देश में दानवी- आसुरी शक्तियाँ सक्रिय है | इन शक्तियों का विनाश करने के लिए प्रत्येक को अपने
अंदर की बुद्धि, भावना एवम् शक्ति को केंद्रित करना होगा, ताकि अपने घर- परिवार, समाज और देश को सुखी, वैभवशाली, विजयी जीवन प्राप्त हो सके | धर्म साधना से ही समाज और देश का एकीकृत स्वरुप प्रकार होगा | धर्म साधना से ही अनाचार, भ्रष्टाचार व पापाचार मिट सकता है | भारत का प्रत्येक पहलू धर्म से परिपूर्ण है | सनातन हिंदू- जीवन प्रणाली ही भारत के जीवन- वैशिष्टय को बनाए रखने वाली है | किंतु दुर्भाग्य से मैकालेवादियों, साम्यवादियों, अरबवादियों, कालनेमिवादियों ने शिक्षा- पद्धति व इतिहास को बदल कर भारतीय जन समुदाय के मस्तिष्क को अपना गुलाम बना लिया परिणाम स्वरुप संसार में अपने स्वत्व के अस्तित्व का निषेध करने वाला पापी यदि कोई होगा, तो वह अपने हिंदू समाज में ही मिलेगा |
जो समाज अपनी संस्कृति से कट जाता है उसका कभी भला नहीं हो सकता |
हमें पुन: अपनी मूल संस्कृति व सच्चे अध्यात्म की ओर लौटना होगा, तभी सत्य सनातन वैदिक हिन्दू धर्म व संस्कृति की रक्षा होगी तथा सच्चे ईश्वर की उपासना से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि व मुक्ति की प्राप्ति होगी |
सच्चे ईश्वर की उपासना के लिए आवश्यक है कि हम जाति- वर्ण के मिथ्या बंधन तोड़कर धर्म के झंडे
तले एक हो जायें | संसार में हम सब से श्रेष्ठ है लेकिन जाति- वर्ण- सम्प्रदाय ने हमारा सत्यानाश किया
हुआ है | आइये हम उन सभी दरारों को भर दे जो अपनों के स्वार्थ व अज्ञानता और परायों के षड़यन्त्रों ने पैदा की है | हम भेदभाव और छूआछूत की दीवारें ढहा दे तथा संकल्प लें कि हम सब भारत माता की संताने है, हम सब एक है | हम सर्वप्रथम सनातनधर्मी हिंदू है, यही हमारा अस्मिता बोध है |
हिन्दव: सोदरा: सर्वे, न हिंदू पतितो भवेत् |
मम दीक्षा धर्म रक्षा, मम मंत्र समानता ||
सब हिंदू भारत माता की संतान होने से सहोदर है | इसलिए कोई हिंदू पतित नहीं हो सकता है | हमने
"समानता" का मंत्र लेकर "धर्मरक्षा" की दीक्षा ली है |||
|| जो बोले सो अभय सनातन धर्म की जय ||

क्रमश: जारी.....

निवेदक: भारत स्वाभिमान दल

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