Thursday, September 8, 2016

अद्वितीय गौ क्रान्तिकारी चौधरी हरफूल जाट

85 साल पहले चौधरी हरफूल जाट जुलानी
वाले ने (सन 23 जुलाई 1930 में) अकेले ने ही टोहाना (जिला फतेहाबाद, हरियाणा )
का बूचडखाना तोड़कर गौ हत्या के खिलाफ बिगुल बजाया था और एक शुरुआत की थी गौ हत्यारों के वध करने की I
उसके बाद जींद , नरवाना ,रोहतक ,गोहाना के हाथे (बूचडखाने ) भी खुद अकेले अपने दम पर जा कर तोड़े और गौ माँ को मुक्त कराया साथ हि सैंकडों गौ हत्यारों को मारा I चौधरी हरफुल जाट जी के नाम का भय गौ हत्यारोँ में ऐसा फैल गया था कि हरफुल जी के आने कि बात सुनकर हत्यारे गांव छोडकर भाग जाते थे । हरफुल जाट जी को कई दिनों तक भुखा रहना पडता था लेकिन गाऊ माता कि रक्षा कि भुख खत्म नहीं हुई । एक गद्दार ने हरफुल जी को पकडवाने में अंग्रेजों की मदद की ।
1936 में गौ रक्षा करने के जुर्म इस महान
गौपुत्र को फांसी की सजा दी गयी और फिरोजपुर (पंजाब ) की जेल में फांसी के बाद उनकी देह को सतलुज में प्रवाहित कर दिया I अंग्रेजोँ को डर था कि अगर हरफुल का शव लोगों को शोपा गया तो काफी बडा दंगा हो सकता है ।
बेजुबानों के लिए फांसी चढ़ने वाले इस एकमात्र गौपुत्र को शत शत नमन _/\_
जय हो चौधरी हरफूल जाट की ।
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भारत स्वाभिमान दल

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