Thursday, September 8, 2016

जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती जी का संदेश

सज्जनों एक संकेत करता हूँ .....
सावधान !
२४ वर्ष हो गए मुझे पुरी के शंकराचार्य पद पर ......
किसी न किसी पार्टी का यंत्र बनाने का प्रयास किया जा रहा है .........
जो शंकराचार्य भारत में किसी राजनैतिक दल का बनके काम नहीं करेगा ...
उसे जीवित रहना भी कठिन होगा .......
मेरी जो उपेक्षा हो रही है ,
मेरा जो तिरस्कार हो रहा है ,
मेरे पद को विलुप्त करने का जो षड्यंत्र चल रहा है .......
मै समझता हूँ ऐसा षड्यंत्र परतंत्र भारत में भी नहीं हुआ !
मै डंके की चोट से कह देना उचित समझता हूँ
कि शंकराचार्य जब किसी राजनैतिक तंत्र के यंत्र बनकर काम करेंगे तो देश कहाँ जाएगा ......
कान खोलकर सुन लें शंकराचार्य का पद महंत , मंडलेश्वर का नहीं होता है .....
शासको पर शासन करने का होता है .....
स्वस्थ क्रांति देने की क्षमता शासनतंत्र में कभी नहीं हुई ....
इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है !
उदाहरण लीजिए :
हिरण्यकाश्यपु के शासन काल में कोई ऐसा शासक नहीं था जो उसके शासन को चुनौती दे सके, व्यासपीठ के पुरौधा नारदजी ने उसकी पत्नी कयाधू के गर्भ में सन्निहित भक्तप्रवर प्रहलाद को नीति व् आध्यात्म का उपदेश देकर
चलता फिरता आत्मबम बना दिया ......
न एक गाली का प्रयोग हुआ
न एक गोली का
और
हिरण्यकाशीपु का शासन रसातल में पहुंचा दिया .........
इसे कहते है व्यासपीठ ....
समझ गए ?
इसके बाद बेन का दिशाहीन शासन था ......
कोई माई का लाल दूसरा शासक नहीं था
जो उसके शासन को चनौती दे सके .......
महर्षि भृगुजी ने पृथुजी को प्रकट किया ....
बेन को शव बना दिया और जैसा शासक विश्व को चाहिए था दे दिया .........
इसका नाम है व्यासपीठ ......
दुर्दांत रावण का शासन चल रहा था
दूसरा कोई शासक उसके शासन को चुनौती देने वाला नहीं था
उस समय भगवान वशिष्ठजी ने भगवान राम को प्रकट किया और रावण के दिशाहीन शासनतंत्र को रसातल में पहुंचा दिया ........
दुर्योधन और कंस आदि के शासन को दूसरा कोई माई का लाल नहीं था जो चुनौती दे सके
भगवान कृष्णद्वैपायन वेदव्यासजी ने अपने तपोबल से श्रीकृष्ण को अभिव्यक्त किया ,
युधिष्ठिरजी को अभिव्यक्त किया ....
जैसा शासन विश्व को चाहिए था दे दिया !
भगवतपाद शिवावतार शंकराचार्य महाभाग ने क्या किया ...
सुधन्वा का शोधन करके वैदिक सम्राट के रूप में उसे प्रतिष्ठित किया ........
चाणक्यजी ने चन्द्रगुप्त को प्रशिक्षित करके विश्व को उन्नत शासन दिया ......
क्षेत्रीय धरातल पर समर्थ रामदासजी ने शिवाजी को प्रशिक्षित कर जैसा शासन चाहिए था दे दिया !
मै संकेत करना चाहता हूँ शंकराचार्य , धर्मगुरु का यह दायित्व होता है कि शासनतंत्र को सुव्यवस्थित रखें .....
फिर भी यदि शासन तंत्र अनसुनी करे तो पुरे विश्व के हित की भावना से जैसा शासनतंत्र विश्व को , भारत को चाहिए देने का मार्ग प्रशस्त करें
ऐसा बल और वेग जिसके जीवन में होता है
सज्जनों वह धर्माचार्य होता है .....
धर्माचार्यो के साथ खिलवाड़ उचित नहीं है ......
परन्तु स्वतंत्र भारत में ......
मुझे कहने में बहुत संकोच है ....
हुर्रियत के नेता ,
माओवादी ,
पोप के एजेंट ,
प्रतिबंधित उल्फा के सरगना ......
इन सबसे सांठगांठ करने वाला राष्ट्रद्रोही भी
विश्वस्तर पर शंकराचार्य के रूप में ख्यापित किया जाता है ......
पोप महोदय नकली नहीं है ,
दलाईलामाजी नकली नहीं है ......
लेकिन भारत के शासनतंत्र को स्वप्न में भी संकोच नहीं है कि शंकराचार्य सैकड़ो की संख्या में नकली घुमाए जा रहें है ....
इससे अधिक देश का पतन और क्या हो सकता है !
जब शंकराचार्य ही नकली होंगे , देशद्रोही होंगे तो इनका पतन अपनेआप हो जाएगा .........
मै कुछ समय और शासनतंत्र को देना चाहता हूँ ........
अराजकतत्वो को शंकराचार्य बनाकर घुमाने की प्रक्रिया शांत हो .............
कुल चार पीठ है .
शासनतंत्र चाहे तो एक दिन में घोषित कर सकता है कि
मान्य पुरीपीठ के शंकराचार्य ये है ,
मान्य श्रंगेरीपीठ के शंकराचार्य ये है ,
मान्य द्वारकापीठ के शंकराचार्य ये है ,
मान्य ज्योतिर्पीठ के शंकराचार्य ये है ...........
चार पीठ चार शंकराचार्य ....
तीन , दो , एक नहीं ...चार पीठ चार शंकराचार्य ...........
शंकराचार्य के नाम पर कोई अराजक तत्व यदि घूमता है तो उसे राष्ट्रद्रोह का दण्ड मिलना चाहिए ........
अंत में ,
आडवाणीजी और सोनिया जी के दामाद बनकर नकली व्यक्ति घूम रहे थे ...
जेल के शिकंजे में बंद किये गए
और यहाँ सैकड़ो की संख्या में नकली व्यक्ति शंकराचार्य के रूप में घुमाए जा रहे है और शासनतंत्र मूकद्रष्टा बना हुआ है !
यह भ्रम दूर कर लीजिए कि शंकराचार्य नकली होंगे , यंत्र बनकर काम करेंगे तो शासनतंत्र का ,
देश का कल्याण होगा !
तो सज्जनों भारत में सचमुच में स्वतंत्रता दिलाने के लिए सैधांतिक धरातल पर स्वतंत्र करने के लिए स्वस्थ व्यूह रचना की आवश्यकता है
और स्वस्थ क्रांति की आवश्यकता है ।
आप सबको आध्यात्मिक मनीषियों के पास आकर इसे समझने की आवस्यकता है ।
।।हर हर महादेव।।

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