Monday, August 29, 2016

भारत का इस्लामीकरण क्यों?

पाकिस्तान मिलने के बाद मुसलमानों ने नारा दिया : ''हँस के लिया है पाकिस्तान, लड़ लेंगे हिन्दुस्तान''। इसीलिए १९४७ से ही भारत में इस्लामी जिहाद जारी है जिसमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तानी एवं भारतीय मुसलमान सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। देखिए कुछ प्रमाण-
(i) हकीम अजमल खां ने कहा- ''एक और भारत और दूसरी ओर एशिया माइनर भावी इस्लामी संघ रूपी जंजीर की दो छोर की कड़िया हैं जो धीर-धीरे, किन्तु निश्चय ही बीच के सभी देशों को एक विशाल संघ में जोड़ने जा रही हैं'' (भाषण का अंश खिलाफत कान्फ्रेस अहमदाबाद १९२१, आई.ए.आर. १९९२, पृ. ४४७)
(ii) कांग्रेस नेता एवं भूतपूर्व शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद ने पूरे भारत के इस्लामीकरण की वकालत करते हुए कहा- ''भारत जैसे देश को जो एक बार मुसलमानों के शासन में रह चुका है, कभी भी त्यागा नहीं जा सकता और प्रत्येक मुसलमान का कर्तव्य है कि उस खोई हुई मुस्लिम सत्ता को फिर प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करें'' बी.आर. नन्दा, गाँधी पेन इस्लामिज्म, इम्पीरियलज्म एण्ड नेशनलिज्म पृ. ११७)
(iii) एफ. ए. दुर्रानी ने कहा- ''भारत-सम्पूर्ण भारत हमारी पैतृक सम्पत्ति है उसका फिर से इस्लाम के लिए विजय करना नितांत आवश्यक है तथा पाकिस्तान का निर्माण इसलिए महत्वपूर्ण था कि उसका शिविर यानी पड़ाव बनाकर शेष भारत का इस्लामीकरण किया जा सके।'' (पुरुषोत्तम, मुस्लिम राजनीतिक चिन्तन और आकांक्षाएँ, पृ. ५१,५३)
(iv) मौलाना मौदूदी का कथन है कि ''मुस्लिम भी भारत की स्वतंत्रता के उतने ही इच्छुक थे जितने कि दूसरे लोग। किन्तु वह इसकी एक साधन, एक पड़ाव मानते थे, ध्येय (मंजिल) नहीं। उनका ध्येय एक ऐसे राज्य की स्थापना का था जिसमें मुसलमानों को विदेशी अथवा अपने ही देश के गैर-मुस्लिमों की प्रजा बनकर रहना न पड़े। शासन दारूल-इस्लाम (शरीयः शासन) की कल्पना के, जितना सम्भव हो, निकट हो। मुस्लिम, भारत सरकार में, भारतीय होने के नाते नहीं, मुस्लिम हैसियत से भागीदार हों।'' (डॉ. ताराचन्द्र, हिस्ट्री ऑफ दी फ्रीडम मूवमेंट, खंड ३, पृ. २८७)
(v) हामिद दलवई का मत है कि ''आज भी भारत के मुसलमानों और पाकिस्तान में भी प्रभावशाली गुट हैं, जिनकी अन्तिम मांग पूरे भारत का इस्लाम में धर्मान्तरण है''। (मुस्लिम डिलेमा इन इंडिया, पृ. ३५)
(vi) बंगालदेश के जहांगीर खां ने ''बंगला देश, पाकिस्तान, कश्मीर तथा पश्चिमी बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब व हरियाणा के मुस्लिम-बहुल कुछ भागों को मिलाकर मुगलियास्थान नामक इस्लामी राष्ट्र बनने का सपना संजोया है।'' (मुसलमान रिसर्च इंस्टीट्‌यूट, जहांगीर नगर, बंगलादेश, २०००)

(vii) सउदी अरेबिया के प्रोफेसर नासिर बिन सुलेमान उल उमर का कथन है कि ''भारत स्वयं टूट रहा है। यहाँ इस्लाम तेज गति से बढ़ रहा है और हजारो मुसलमान, पुलिस, सेना और राज्य शासन व्यवस्था में घुस चुके हैं और भारत में इस्लाम सबसे बड़ा दूसरा धर्म है। आज भारत भी विध्वंस के कगार पर है। जिस प्रकार किसी राष्ट्र को उठने में दसियों वर्ष लगते हैं उसी प्रकार उसके ध्वंस होने में भी लगते हैं। भारत एकदम रातों-रात समाप्त नहीं होगा। इसे धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा। निश्चय ही भारत नष्ट कर दिया जाएगा।'' (आर्गे; १८.७.०४)। इसीलिए मुस्लिम धार्मिक नेता मौलाना वहीदुद्‌दीन ने सुझाव दिया कि ''मुसलमानों को कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए और आगे चलकर उनमें से एक निश्चय ही भारत का प्रधान मंत्री हो जाएगा।'' (हिन्दु. टा. २५.१.९६) (हिन्दु. टा. २५.१.९६)
पाकिस्तानी जिहादियों का उद्‌देश्य भी अगस्त १९४७ का अधूरा कार्यक्रम पूरा करना है यानी पहले कश्मीर और फिर शेष भारत को इस्लामी राज्य बनाना। इसके लिए न केवल जिहादी संगठनों बल्कि आई.एस.आई. और तालिबान व पाकिस्तानी सेना का भी समर्थन है क्योंकि भूतपूर्व राष्ट्रपति जिया उल हक ने ''पाकिस्तानी सेना को 'अल्लाह के लिए जिहाद' (जिहाद फ़ी सबीलिल्लाह) का 'मोटो' या 'आदर्श वाक्य' दिया था। (एस. सरीन, दी जिहाद फैक्ट्री पृ. ३२१)
जिहादियों के उद्‌देश्य को स्पष्ट करते हुए मरकज दवाल वल इरशाद के अमीर हाफिज़ मुहम्मद सईद ने कहाः ''कश्मीर को भारत से मुक्त कराने के बाद लश्करे तायबा वहीं नहीं रुकेगा बल्कि भारतीय मुसलमानों, जिन पर हिन्दुओं द्वारा अत्याचार हो रहे हैं, के सहयोग से आगे जाएगा और उन्हें बचाएगा। कश्मीर तो, असली लक्ष्य भारत तक पहुँचने का दरवाजा है।'' (नेशन, ४.११.१९९८)। उन्होंने ७.११.१९९८ को 'पाकिस्तान टाइम्स' में लिखाः ''आखिर में लश्करे टाइबा दिल्ली, तेल अवीब (इज्राइल) और वाशिंगटन के ऊपर झंडा फहराएगा।'' उन्होंने २७ नवम्बर १९९८ को फिर 'फ्राइडे टाइम्स' में लिखाः ''मुस्लिम समाज की सभी समस्याओं का हल जिहाद है क्योंकि सभी इस्लाम विरोधी ताकतें मुसलमानों के विरुद्ध जुट गई हैं। मुजाहिद्‌्‌दीन भारतीय क्रूरताओं, जो कि निरपराधी कश्मीरियों को भयभीत कर रहे हैं; के विरुद्ध जिहाद कर रहे हैं। लश्कर के मुजाहिद्‌दीन, विश्व भर में आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं।'' इसी लहजे में उन्होंने १८.०८.२००४ को 'निदा ए मिललक्त' में लिखा ''वास्तव में पाकिस्तान तो इस महाद्वीप के मुसलमानों के लिए एक देश है। इसीलिए यह कश्मीर बिना अधूरा है। पाकिस्तान भी हैदराबाद, जूनागढ़ और मुम्बई (महाराष्ट्र) के बिना अधूरा है क्योंकि इन राज्यों ने (१९४७ में) पाकिस्तान में विलय की घोषणा की थी। लेकिन हिन्दुओं के कब्जे से मुक्त कराऐं, और उनकी मुस्लिम आबादी को यह आश्वासन दिया जाएगा कि वे पाकिस्तान के पूर्ण होने के लिए हमारा यह लक्ष्य है। हम भारत में वाणी और कलम से यह उद्‌देश्य प्रचारित करते रहेंगे और जिहाद द्वारा उन राज्यों को वापिस लेंगे।'' (सरीन, वही. पृ. ३१२) शायद इसीलिए पाकिस्तानी जिहादियों ने २६.११.२००८ को बम्बई पर हमला किया था। साथ ही यह ऐतिहासिक सत्य है कि १९४७ में सभी राज्यों ने स्वेच्छा से भारत में विलय किया था।
जैसे मुहम्मद के अध्यक्ष मौलाना मसूद अजहर, जिन्हें २००० में कंधार में हवाई जहाज में बन्धक बनाए १६० यात्रियों के बदले छोड़ा गया था, ने हाजरों लोगों की उपस्थिति में कहाः ''भारतीयों और उनको बतलाओ, जिन्होंने मुसलमानों को सताया हुआ है, कि मुजाहिद्‌दीन अल्लाह की सेना है और वे जल्दी ही इस दुनिया पर इस्लाम का झंडा महराएंगे। मैं यहाँ केवल इसलिए आया हूँ कि मुझे और साथी चाहिए। मुझे मुजाहिद्‌दीनों की जरूरत है जो कि कश्मीर की मुक्ति के लिए लड़ सकें। मैं तब तक शान्ति से नहीं बैठूंगा जब तक कि मुसलमान मुक्त नहीं हो जाते। इसलिए (ओ युवकों) जिहाद के लिए शादी करो, जिहाद के लिए बच्चे पैदा करो और केवल जिहाद के लिए धन कमाओ जब तक कि अमरीका और भारत की क्रूरता समाप्त नहीं हो जाती। लेकिन पहले भारत।'' (न्यूज ८.१.२०००)

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