Wednesday, August 24, 2016

मैं ॐ हूँ

मैं ॐ हूँ ..

मैं ॐ हूँ
मैं साक्षात निराकार परब्रह्म हूँ ..
मैं सदा से था सदा से हूँ और सदा रहूँगा इसलिए मैं 'अक्षर' कहलाता हूँ ..
मैं सभी योगियों के ह्रदय में स्थित ऊर्जा हूँ जिससे उनके सभी कार्य सिद्ध होते हैं और मोक्ष मिलता है ..
इस सृष्टि का प्रथम शब्द मैं हूँ ..

मैं ॐ हूँ
सबकुछ मुझसे उत्पन्न होकर मुझमें लय हो जाता है ..किंतु मैं अनादि अनंत और संशयरहित हूँ ..
मैं सभी ध्यान योग  एवं तप का मूल हूँ..
कोई ऐसा मंत्र विशेष नही जो मेरे बिना पूर्ण हो सके .. किन्तु मैं स्वयं ही में ही पूर्ण हूँ

मैं ॐ हूँ

मैं प्राणियों के स्तर जोकि आरम्भ उत्थान तथा मोक्ष का हैं उनका परिचायक हूँ
स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम और योगेश्वर श्रीकृष्ण ने मुझे ध्याया है ..

मैं ॐ हूँ

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