Saturday, August 20, 2016

इस्लाम का भाईचारा

सौ. जोया मंसूरी
मुझे बड़ी खुशी होती है उन मुसलमानों को देख कर जो आज कल दलितों की चिंता में दुबले हुऐ जा रहे हैं... जब ये दलितों के लिए ब्राह्मणो से रोटी बेटी का हक माँगते हैं तो गर्व से भर जाती हूँ कि कितने नेकदिल बन्दे हैं ... इनकी नेकदिली देख के मन ही मन इतनी खुशी मिलती हैं कि बता नहीँ सकती...
तो मेरे नेकदिल मुसलमान भाइयों क्या जात पात और फिरके का भेद इस्लाम में भी नहीँ ख़त्म होना चाहिए...? तो भैया कसंबी के लिए सैयद से, माहीफरोश के लिए शेख से और तुंतिया के लिए मिर्ज़ा से रोटी बेटी का हक कब माँग रहे हो...? अच्छा छोडो कम से कम शियाओ को मुसलमान ही मान लो...
शर्म करो ड्रामेबाजो, पहले अपने गीरेहबान में झाँक के देखो कितने छेद हैं...पहले अपनों को तो हक दिलवा दो अए नेकदिल मुसलमानों ...
हिंदुओं में हजारों जातियाँ मौजूद हैं मगर धर्म के आधार पर लड़ते देखा या सुना हैं उन्हे...?
सिखों में अकाली व निरंकारी कभी एक दूसरे के खून के प्यासे दिखे हैं तुम्हे...?
दिगम्बर जैन और श्वेतामबर जैन दोनों समुदायों में बहुत ज़बरदसत मतभेद हैं, दिगम्बर मुनि नंगे रहते हैं और श्वेताम्बर सिर से पैर तक श्वेत वस्त्र धारण करते हैं, मगर क्या मजाल है कि अपने प्रवचनों के दौरान एक दूसरे की आलोचना करें या गालियों से नवाज़ें...
ईसाइयों में रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट फ़िरकों के बीच शुरू में कड़वाहट रही मगर कभी उन्हे एक दूसरे ये कहते सुना हैं कि फलाँ फिरका ईसाई नहीँ है...
पूरी दुनिया में सिर्फ़ मुसलमान ही ऐसी बेवकूफ कौम है जिसके पास लड़ने के हजार बहाने हैं... अगर अलग अलग फिरके के एक एक मुसलमान को छांटकर एक कमरे में बँद कर दिया जाए, जीने की तमाम सहूलियतें मुहैय्या करा के और एक हफ्ते बाद कमरा खोल कर देखें तो एक भी जिंदा न मिलेगा... आपस में ही लड़कर मर जाएँगे...
"तूने अल्लाह पाक को अल्लाह मियाँ कहा ले मर..."
"तूने दाढी के साथ मूंछें भी रखी हैं ले मर..."
"तूने पजामे का नाड़ा नाभि के नीचे से बाँधा ले मर..."
अपना घर सम्भलता नहीँ चले हैं दूसरे के घर की आग बुझाने...आखिर अल्लाह तुम पागलों पर अपनी रहमतें क्यों नाज़िल फ़रमाये...??

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