Wednesday, August 24, 2016

ब्रिटिशों का घमंड

>>>>>>>>>>> अरब साम्राज्यवादी मुस्लिम पिशाचों से संघर्षरत भारत जैसे, असंगठित, जातिवाद से विभाजित हो चुके देश को ब्रिटन ने सरलता पूर्वक 184 वर्ष दास बनाया । किन्तु *समय समय बलवान है* पकती अनुसार अपनी सेना , अभेद्य शस्त्र ,चक्रवर्ती शासन , शक्ति  कूटनीति के सुवर्णमय मनोरथ मे राचते ब्रिटन द्वितीय विश्वयुद्ध मे विनाश खंडहर बना । ब्रिटन हस्तक सिंगापूर का नियंत्रण मात्र 8 दिन मे जापानियों ने कर लिया 1.00.000 ब्रिटिश-भारतीय सैनिको को युद्धबंधक बना लिए । ब्रिटन अंतर्गत मलाया तथा ब्रह्मदेश ने जापानी सैनिको को मुक्तिदाता मानकर स्वीकार कर लिया । 40.000 भारतीय युद्धबंधको सुभाषचंद्र की फोज मे जापान के पक्ष मे आ गए ।
[][][] ब्रिटन विनाश की अंकसंख्या
[] 🔴15.844 रणगाड़ी []🔴 42.010 युद्ध विमान []🔴 138 सबमरीन  [] 🔴 897 युद्धनौका तथा मालवाहक नौका [] 🔴4.50.000 अंग्रेज़ मारे गए साथ मे 120 अरब डॉलर की आर्थिक हानी भी हुई ।
युद्ध मे कंगाल बने ब्रिटन ने दरिद्र भारत से 130 करोड़ पाउंड  का ऋण लिया वर्तमान मूल्यानुसार 1.733 अरब रु,
ब्रिटन सतत पराजित हो रहा था , आर्थिक विनाश हो चुका था , एक सुवर्ण अवसर हमारे लिए मुक्ति का था किन्तु उस समय के महमूर्ख , बुद्धिहीन नेता कुछ न कर सके । विपरीत ब्रिटन को आर्थिक सहाय करते रहे ।
युद्ध सामग्री तैयार करने मे 14.00.000 भारतीय कारीगर लगे रहे ,
---------------------  *भारत की  ब्रिटिश शत्रु को सहाय* -------------------
(1) *475 करोड़ मीटर वस्त्र* (2)  *60 लाख टन लोहा* (3) *11 लाख टन पोलाद* (4) *19.7 करोड़ टन*
*कोयला* उपरांत 50 प्रकार के अस्त्र शस्त्र प्रदान किए* ।
>>>>> देशी राज्य भी उदार बन गए हैदराबाद के महा कृपण –लोभी निझाम ने 24 युद्ध विमान खरोदने के लिए दान दिया ।
सब कुछ मुक्त निःशुल्क प्रापट करके ब्रिटन युद्ध करने निकाला था , गांधी –जवाहर देखते रहे ।
घमंडी ब्रिटिश शासको ने अपनी सेना , कूटनीति , शस्त्र ,पर अभिमान था जिसके बल पर भारत की 30 करोड़ की प्रजा को शतको वर्ष दास बनाकर शोषण किया था , दाब मे रखी थी ।
सिंगापूर युद्ध आक्रमण मे मात्र 36.000 जापानियों ने सुरक्षित , अभेद्य गिनाती ब्रिटिश सेना को मात्र 8 दिन मे पराजित की , एवं 1.00.000 ब्रिटिश सैनिको को बंधक बनाए थे ।
----- ब्रिटन का घमंड टूट गया , अपनी सेना पर विश्वास था वह क्षणभंगुर प्रमाणित हुआ ।
--------------------------- *अखंड भारत सह  स्वतंत्र होने का सुवर्णावसर था , जो हम चूक गए*

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