Wednesday, August 24, 2016

नकारात्मक और सकारात्मक सोच...

मनुष्य का मन व बुद्धि विचारों के उत्पादन का कारख़ाना होता है कि अज्ञान अंतर्रात्मा नामक स्रोत से पैदा होता है। विचारों का यह कारख़ाना, मनुष्य के भविष्य निर्धारण पर हावी हो जाता है और उसे कल्याण और बुराई की ओर दिशानिर्देशित करते हैं। वास्तव में सकारात्मक मनुष्य की सोच की विविधता और गुणवत्ता, उसकी जीवन शैली और जीवन की गुणवत्ता पर निर्भर होता है। सुन्दर और सकारात्मक विचार, मनुष्य के जीवन को स्वर्ग और शांत बना देते हैं और इसी प्रकार नाकारात्मक सोच और निराशा उसके जीवन को नरक बना देते हैं। मनुष्य वैसा ही बन जाता है जैसा वह सोचता है।
सकारात्मक और सार्थक सोच ऊर्जावर्धक होते हैं कि जो अभ्यास, बार बार दोहराए जाने और सीखने से मन में पैदा होते हैं और मनुष्य के जीवन को दिशा निर्देशित करने का कारण बनते हैं। वास्तव में सकारात्मक सोच को मन की उपजी भ्रांतियों के समक्ष घुटने न टेकने के लिए सकारात्मक बुद्धि और जीवन की समस्त उत्साह वर्धक व आशाजनक क्षमताओं से लाभ उठाने का नाम दिया जा सकता है। नकारात्मक और विध्वंसक सोच जब मन में पैदा हो जाती है और मन में फैलने लगती है तो बहुत तेज़ी से पूरे मन को अपने क़ब्ज़े में ले लेती है और इस स्थिति में हम पूरी तरह से नकारात्मक सोच के चंगुल में फंस जाते हैं।

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