Wednesday, August 24, 2016

जांच एजेंसी NIA ऑफिसर की खाल में छुपा था गद्दार तंजील अहमद

जांच एजेंसी NIA ऑफिसर की खाल में छुपा था गद्दार तंजील अहमद. अमर उजाला में छपी ये रिपोर्ट पढकर आप दंग रह जायेंगे क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही जब  इसकी मौत हुई थी तो पूरे देश ने इसे शहीद का दर्जा देकर सलामी दी थी.

कुख्यात शूटर मुनीर के हाथों मारे गए राष्ट्रीय जांच एजेंसी के डिप्टी एसपी तंजील अहमद एनआईए का खोल ओढ़कर अंडरवर्ल्ड को ऑपरेट कर रहे थे। पुलिस कस्टडी में आए मुनीर से पूछताछ में तंजील अहमद के कारनामे प्याज के छिलकों की तरह उधड़ने लगे हैं।
पुलिस सूत्रों ने जानकारी दी कि मुनीर ने बताया है कि दिल्ली में बैंक की कैश वैन से 1.5 करोड़ रुपये और धामपुर बैंक से 91 लाख रुपये की लूट में से 1.12 करोड़ रुपये उसने तंजील को दिए थे। बदले में डीएसपी तंजील गैंग को अत्याधुनिक हथियार और वारदात के बाद बचकर भागने के लिए सुरक्षित कवर मुहैया कराते थे।
गौरतलब है कि बिजनौर जिले के स्योहारा थाना क्षेत्र में सहसपुर निवासी एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद की दो अप्रैल को आधी रात सहसपुर के पास गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। बाइक सवार हमलावरों ने उन्हें आटोमैटिक हथियारों से 20 गोलियां मारी थीं।

एनआईए के डिप्टी एसपी की हत्या से पूरा देश हिल गया था। शुरू में इस हत्या के पीछे आईएसआई का हाथ बताया जा रहा था। लेकिन बाद में पुलिस ने तंजील के ही गांव के कुख्यात शूटर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्र मुनीर को हत्या का मास्टर मांइड बताकर वारदात का खुलासा कर दिया था।
मुनीर ने अभी तक कुल 39 घटनाएं कबूल की हैं। इनमें दिल्ली में दो साल पहले बैंक की कैश बैंक से 1.5 करोड़ रुपये लूटने की घटना भी शामिल है। उसने पुलिस को बताया है कि उसने पांच करोड़ से भी ज्यादा कैश लूटा, लेकिन इस लूट का बड़ा हिस्सा तंजील अहमद रख लेते थे।
वैन से 1.5 करोड़ रुपये लूटने के बाद वह सुरक्षित निकल आए थे। लेकिन फ्लैट पर कुछ ऐसा सामान छूट गया था जो उन्हें फंसा सकता था। ऐसे में तंजील से उन्होंने मदद ली। तंजील ने वो हथियार और बाकी सामान फ्लैट से हटा दिया।

तंजील को इस पूरी घटना की जानकारी थी और उन्होंने गैंग को पूरा बैकअप दिया था। बदले में उन्हें 90 लाख रुपये दिए गए थे। इसी तरह धामपुर की बैंक लूट में गैंग के हाथ कुल 91 लाख रुपये लगे थे। तंजील को इस रकम में से 22 लाख रुपये दिए गए थे।
पुलिस पूछताछ में मुनीर ने कबूला है कि एनआई के डिप्टी एसपी तंजील अहमद ने गैंग को एके- 47 रायफल और नाइन एमएम के पिस्टल की सप्लाई देने का वादा किया था। लेकिन रकम लेने के बावजूद वह हथियारों की सप्लाई नहीं दे पा रहे थे।

मुनीर ने पुलिस को बताया है कि तंजील ने कई बार गैंग को हथियार और कारतूस दिए थे। उन्होंने कहा था कि एनआईए में होने के नाते वह एके-47 आसानी से उपलब्ध करा देंगे। लेकिन वह इस वादे को पूरा नहीं कर पा रहे थे। बदले में उनकी डिमांड लगातार बढ़ती जा रही थीं। हर घटना के बाद वह मोटा हिस्सा ले लेते थे। मुनीर ने पुलिस से दावा किया है कि तंजील के लिंक कई दूसरे खतरनाक गैंगों से भी थे।
इससे यह सवाल भी उठने लगा है की क्या मुसलमान सचमुच भरोसे के काबिल नहीं होते हैं और वे पढ़ लिख लेने के बाबजूद अपनी जिहादी मानसिकता से उपर नहीं उठ पाते हैं. इस प्रकार की पहली घटना नहीं है जब सुरक्षा संस्थानों में काम कर रहे मुसलमान देश से गद्दारी करते पकड़े गए हों. ऐसे में सुरक्षा संस्थानों में बैठे अन्य मुसलमानों के प्रति संदेह उत्पन्न होना लाजिमी है.

http://www.amarujala.com/national/crime/gangster-munir-claims-that-tanzil-ahmed-was-operating-underworld?pageId=3

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