कांग्रेसी कहते हैं कि - कांग्रेस का उद्भव देश की आजादी के लिए हुआ था और कांग्रेस ने ही देश को आजाद कराया था. जबकि हकीकत यह है कि- कांग्रेस का गठन अंग्रेजों के द्वारा, 1885 में अंग्रेजी मानसिकता के भारतीयों के, एक कल्ब के रूप में हुआ था और स्थापना के तीस साल तक किसी भी राष्ट्रीय गतिबिधि में कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था.
आम भारतीयों के मन में अंग्रेजों के खिलाफ जो गुस्सा था, कांग्रेस केवल उसको दबाने का काम करती थी. जो देशभक्त यह सोंचकर कांग्रेस में शामिल हुए थे कि - कांग्रेस आजादी के लिए लडेगी, वो भी कुछ समय में कांग्रेस की हकीकत को जानकार कांग्रेस छोड़ गए थे. सुभाष चन्द्र बोष और केशव बलिराम हेडगेवार ऐसी ही महान विभूतियाँ थी.
1900 से लेकर 1915 तक अनेकों आन्दोलन हुए मगर कांग्रेस किसी में शामिल नहीं हुई. बंग भंग का बिरोध हो या युगांतर / अभिनव भारत का आन्दोलन कांग्रेस सभी की विरोधी रही. 1906 के स्वदेशी आन्दोलन में भी शामिल नहीं हुई. इस दौरान घटने वाली घटनाओं कर्नल वायली का बध, नाशिक षड्यंत्र, कामागातामारु, पगड़ी सम्हाल, सभी का विरोध किया.
क्या आपको इस बात पर आश्चर्य नहीं होता है कि - जिस जमाने में अंग्रेजों के खिलाफ मामूली सी बात कहने तक पर, भारतीयों को फांसी / कालापानी की सजा दे दी जाती थी और संपत्ति जब्त कर ली जाती थी , उस जमाने में नेहरू जैसे कांग्रेसी बिना कोई व्यापार किये, इतना धन कैसे कमाते रहे ? क्या किसी कांग्रेसी को फांसी या कालापानी की सजा हुई ?
-विश्वजीत सिंह अनन्त
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल
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