Monday, August 1, 2016

दलित

1947 के पहले से भारत के जंगलों में रहने वाले लोगो को मूल निवासी कहा गया अंग्रेजी इतिहासकारों ने और उनको ही भारत ( वर्तमान भारत, पाकिस्तान, बर्मा, श्रीलंका) का प्राचीन और वास्तविक निवासी बताया गया। और ब्राह्मणों को इंग्लैंड का निवासी बताया गया, ( किंतु वैश्य , क्षत्रिय, शुद के विषय में नहीं बताया गया )
अंग्रेजों के दलाल भारतीयों ने अपने मालिको की इस बात को स्थापित करने में अपनी सम्पूर्ण शक्ति लगा दी।

किंतु सनातन धर्म व आर्य समाज के प्रकांड विद्वानो के कारण ये षड्यंत्र सफल नहीं हो पाया।

फिर इसी षड्यंत्र की अगली कड़ी के रूप में इन लोगो को आदिवासी घोषित किया गया , आदिवासी यानी आदिकाल से भारत में रहने वाले और स्थाई पहचान देने के लिये संविधान में आरक्षण दिया गया। ये उपाय कारगर हुआ और  st sc वर्ग अब समाज से कुछ अलग हो गया। लेकिन सरकारी नौकरी में आकर, पढ़ लिखकर ये लोग भी राष्ट्रभक्ति की भावना में आने लगे।
तो
अब नया शब्द   ''  दलित  ''  गढ़ा गया। और इसको पहचान देने और हिन्दू वर्ग से अलग करने के लिये जय भीम जय मीम का नारा दे दिया गया
साथ ही

अखबारों, टीवी चैनलों में यदि मुसलमान अपराध करे तो उसका धर्म नहीं बताया जाता
पर
यदि 2 हिंदुओ में लड़ाई हो जाए तो अचानक एक सवर्ण और दूसरा दलित हो जाता है और अखबारों, टीवी में दिखाया जाता है कि हिन्दू ने दलित को पीटा, ह्त्या की,।
इस समाचार को पढ़कर दलित में जय भीम जय मीम की भावना प्रबल होते जा रही है और पढ़े लिखे लोग, जो पहले st sc के आरक्षण के लॉलीपॉप में नहीं आ पाए थे, ये नई पीढ़ी भी सरकार की हिन्दू विरोधी नीतियों से बौद्ध व मुसलमानों के साथ एकरस होती जा रही है।

तो
ऐसा षड्यंत्र क्यों ??

क्योंकि

भारत लोकतांत्रिक देश है। लोकतंत्र में योग्यता की नहीं, वोट की चलती हैं, असली वोटर यहाँ गरीब वर्ग होता है जो बीमार, बुजुर्ग होने के बाद भी सपरिवार 100% वोट डालने जाता है।

इसीलिए मुसलमान व बौद्ध लोग हिन्दू समाज के अन्दर जातिवाद फैलाकर स्वर्ण दलित का खेल खेलकर हिन्दू समाज को तोड़ना चाहते है, जिसमें वो इंडियन संविधान की कृपा से सफल भी हो रहे हैं। मुसलमान व बौद्ध जानते हैं कि जय भीम जय मीम चलेगा तभी वो इस देश पर संविधानिक रूप से कब्जा कर पायेगा, एक बार कब्जा हो जाये तो फिर कोई हिन्दू उनको इस्लामिकरण से नहीं बचा पायेगा।
तो

ये पूरी रणनीति

यह लोकतंत्र पर हिन्दू विरोधी तत्वों द्वारा कब्जा कर देश का इस्लामिकरण करने की नई योजनाबद्ध सामाजिक तकनीक है।

स्वयं हम कितना भी प्रयत्न कर ले
किंतु टीवी चैनल और इन लोगो को सामूहिक रूप से प्रभावित करने वाले तत्व योजनाबद्ध रूप से इनके बीच पहुच रहे है।
तो

स्पष्ट है कि

यदि इस नीति को तोड़ा नहीं गया

तो दस वर्ष के पश्चात हिन्दुओं द्वारा आत्म रक्षा के पूर्ण प्रयास करने के बाद भी अपना अस्तित्व बचाना असंभव जैसा कार्य होगा।

विश्वजीत सिंह अनंत
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भारत स्वाभिमान दल

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